सही उत्तर है…
(2) अरस्तु
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व्याख्या
अरस्तु राजनीति शास्त्र के पिता माने जाते हैं।
अरस्तु (384-322 ई.पू.), प्राचीन यूनानी दार्शनिक और वैज्ञानिक, को राजनीति शास्त्र का पिता माना जाता है। उन्होंने राजनीति के व्यवस्थित और वैज्ञानिक अध्ययन की नींव रखी। अरस्तु ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘पॉलिटिक्स’ में राज्य, सरकार के विभिन्न रूपों, नागरिकता, न्याय और संविधान जैसे विषयों पर गहन विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने राजनीति को एक स्वतंत्र विषय के रूप में स्थापित किया और इसे नैतिकता और दर्शन से जोड़ा।
‘राजनीति शास्त्र’ शब्द का सबसे पहले प्रयोग यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तू ने किया था, उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी। उस पुस्तक का नाम पॉलिटिक्स रखा। इसका अर्थ राजनीति होता है। इस पुस्तक में राजनीति अरस्तू ने कई देशों के संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन भी कियाऔर राजनीति को नीति शास्त्र से अलग करके एक स्वतंत्र विषय के रूप में मान्यता प्रदान की। अरस्तु ने पालिटिक्स को वरीयता प्रदान करते हुए से सर्वोच्च विज्ञान अर्थात मास्टर साइंस की संज्ञा दी।
अरस्तु ने राज्य को एक नैसर्गिक संस्था माना और कहा कि मनुष्य स्वभाव से ही एक राजनीतिक प्राणी है। उन्होंने सरकार के विभिन्न रूपों का वर्गीकरण किया और आदर्श राज्य की अवधारणा प्रस्तुत की। अरस्तु के विचारों ने न केवल उनके समकालीन समाज को प्रभावित किया, बल्कि आने वाली सदियों तक राजनीतिक चिंतन को दिशा दी। उनके सिद्धांत आज भी राजनीति शास्त्र के अध्ययन का आधार हैं, इसलिए उन्हें इस ‘राजनीति शास्त्र का पिता’ माना जाता है।