सही उत्तर है…
(a) कदम्ब के फूल
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विस्तृत विवरण
उपरोक्त रचनाओं में से ‘कदम्ब के फूल’ सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना है।
‘कदम्ब के फूल’ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित एक कहानी है । इसके अलावा सुभद्रा कुमारी चौहान ने अनेक काव्य कृतियां, कहानियां तथा बाल साहित्य की भी रचना की है। ‘झांसी की रानी’ उनकी बेहद प्रसिद्ध कविता थी, जिसकी पंक्तियां ‘बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।’ आज भी हर किसी को याद है।
सुभद्रा कुमारी चौहान (1904-1948) हिंदी साहित्य की प्रमुख कवयित्री और लेखिका थीं। वे स्वतंत्रता संग्राम की सक्रिय सहभागी भी रहीं।
सुभद्राकुमारी चौहान हिंदी साहित्य की एक अन्य महान कवयित्री महादेवी वर्मा की सखी भी थी। दोनों कवयित्रियां समकालीन थीं और बचपन से ही साथ पली-बढ़ीं और सहेलियां रहीं। दुर्भाग्यवश सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन एक कार दुर्घटना में मात्र 44 वर्ष की आयु में 15 फरवरी 1948 को हो गया था।
ये ध्यान देने वाली बात है कि सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित ‘कदम्ब का पेड़’ नाम से एक कविता भी है।
इस तरह ‘कदम्ब के फूल’ और ‘कदम्ब का पेड़’ ये दोनों रचनाएं सुभद्रा कुमारी चौहान की हैं।
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