भारतीय इतिहास में ‘महापद्मनंद’ को ‘दूसरा परशुराम’ के नाम से जाना जाता है।
विस्तार से वर्णन
‘महापद्मनंद’ एक शौर्यवान और यशस्वी राजा थे। उन्होंने नंद वंश की स्थापना की थी। अपने क्रोध और साहस एवं शौर्य के कारण उन्हें ‘दूसरा परशुराम’ कहा जाता था। उनके उग्र स्वभाव के कारण उन्हें ‘उग्रसेन’ भी कहा जाता था। इसके अलावा उन्हें ‘महापद्म एकरात’ तथा ‘सर्व क्षत्रान्तक’ आदि की उपाधि भी मिली थी, क्योंकि उन्होंने कई बार क्षत्रियों को परास्त किया और उनका नाश किया। इसी कारण उन्हें दूसरा परशुराम कहा जाने लगा।
परशुराम भी क्षत्रियों के विनाश के लिए जाने जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार उन्होंने 21 बार धरती से क्षत्रियों का विनाश नाश किया था। वे अत्यंत क्रोधी, वीर और साहसी थे। महापद्मनंद भी नंद वंश के प्रथम सम्राट थे और वो अत्यन्त वीर साहसी थे।
ये भी जानें…
‘सत्याग्रह’ का अर्थ है- (i) आंदोलन (ii) जुलूस (iii) सच का साथ देना (iv) अनशन