हिंदी व्याकरण में ‘उपसर्ग’ और ‘प्रत्यय’ वे शब्दांश होते हैं, जो किसी शब्द के आगे अथवा पीछे लग कर उस शब्द का अर्थ परिवर्तित कर देते हैं अथवा उस शब्द के अर्थ को विस्तारित करते हैं। आइए हिंदी व्याकरण के अंतर्गत उपसर्ग और प्रत्यय को समझते हैं।
उपसर्ग और प्रत्यय
हिंदी भाषा में शब्दों की रचना करते समय अनेक तरह की विधियां अपनाई जाती हैं। उपसर्ग एवं प्रत्यय इन्हीं विधियों में से दो विधियां हैं, जिनकी सहायता से शब्दों के आरंभ अथवा अंत में कुछ नए शब्दांश जोड़कर नए शब्द गढ़े जाते हैं अथवा जो मूल शब्द होता है, उसको या तो विशेषण प्रदान किया जाता है अथवा उस शब्द के अर्थ को विस्तारित कर दिया जाता है।
उपसर्ग की परिभाषा
‘उपसर्ग’ वे शब्दांश होते हैं, जो किसी शब्द के आरंभ में लगाए जाते हैं। यह शब्दांश सार्थक एवं छोटे खंड के रूप में शब्द के आरंभ में लगकर उस शब्द से एक नए शब्द का निर्माण करते हैं और उस शब्द का अर्थ परिवर्तित हो जाता है। यह शब्दांश मूल शब्द के लिए एक विशेषण का भी कार्य करते हैं। अर्थात नया बना शब्द विशेषण युक्त शब्द होता है।
उपसर्ग का अर्थ है, समीप आकर जुड़ना। अर्थात जो शब्दांश किसी शब्द के समीप आरंभ में आकर जुड़ जाता है, वह ‘उपसर्ग’ कहलाता है। हिंदी भाषा में 4 तरह के उपसर्ग प्रयुक्त किए जाते हैं।
- संस्कृत आधारित उपसर्ग
- हिंदी आधारित उपसर्ग
- उर्दू आधारित उपसर्ग
- अंग्रेजी आधारित उपसर्ग
उपसर्ग के कुछ उदाहरण
अति + क्रमण : अतिक्रमण
अति + श्योक्ति : अतिश्योक्ति
अति + अंत : अत्यन्त
अभि + मान : अभिमान
अभि + योग : अभियोग
अभि + वादन : अभिवादन
अभि + नय : अभिनय
अभि + भाषण : अभिभाषण
अव + गुण : अवगुण
अव + गति : अवगति
अव + शेष : अवशेष
अव + आज्ञा : अवज्ञा
अव + रोहण : अवरोहण
अप + यश : अपयश
अप + कार : अपकार
अप + कीर्ति : अपकीर्ति
अप + शकुन : अपशकुन
उप+ भोग : उपभोग
उप + हार : उपहार
उप + नाम : उपनाम
उप + योग : उपयोग
दुर् + दशा : दुर्दशा
दुर् + आग्रह : दुराग्रह
दुर् + गुण : दुर्गुण
दुर् + आचार : आचार
दुर् + आचार : दुराचार
दुर् + उपयोग : दुरुपयोग
दुर् + अवस्था : दुरावस्था
प्रत्यय की परिभाषा
‘प्रत्यय’ से तात्पर्य किसी शब्द के अंत में लगने वाले उन शब्दांशों से है, जो उस शब्द के अर्थ को विस्तारित करते हैं अथवा उस शब्द के अर्थ को बदल देते हैं। प्रत्यय शब्द के अंत में लगकर उस शब्द के अर्थ में विशेषता ला देते हैं अथवा उसमें परिवर्तन कर देते हैं।
‘प्रत्यय’ का शाब्दिक अर्थ है, ‘साथ में किंतु बाद में चलने वाला’। ‘प्रत्यय’ शब्द के बाद में लगते हैं और किसी संज्ञा के शब्द के अंत में जातिवाचक को भाववाचक या व्यक्तिवाचक संज्ञा को जातिवाचक या भाववाचक संज्ञा में बदल देते हैं।
प्रत्यय के कुछ उदाहरण
सांस्कृतिक : संस्कृति + इक
सामाजिक : समाज + इक
व्यक्तितव : व्यक्ति + तव
पहननावा : पहन + आवा
दिखावा : दिक + आवा
अच्छाई : अच्छा + ई
महंगाई : महंगा + ई
घबराहट : घबरा + आहट
दिखावट : दिखा + आवट
दुकानदार : दुकान + दार
ईमानदार : ईमान + दार
खटास : खट्टा + आस
चतुरता : चतुर + ता
पागलपन : पागल + पन
सुनार : सोना + आर
लडकपन : लड़क + पन
चिकनाहट : चिकना + आहट
ईमानदार : ईमान + दार
धोखेबाज : धोखा + बाज
नकली : नकल + ई
सरकारी : सरकार + ई
पढना : पढ़ + ना
लगाव : लग + आव
मेहरबानी : मेहर + बानी
मौलिक : मूल + इक
सामजिक : समाज + इक
जवानी : जवान + ई
चलना : चल + ना
नौकरी : नौकर + ई
लोकप्रियता : लोकप्रिय + ता
सफलता : सफल + ता
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दिए गए उपसर्ग से दो-दो शब्द बनाइए- (क) पुनर् (ख) हर (ग) सम् (घ) कु (च) अ (छ) बिन (ज) प (ङ) स्व