विचार/अभिमत
प्राणी अर्थात जो जीवित हो। इस पृथ्वी पर हर वह चीज़ जो सजीव है अर्थात साँस लेती है वह सभी प्राणी हैं। हमें प्राणियों की रक्षा करना हमारा दायित्व बनता है। वनों के साथ-साथ पशु (प्राणी) भी मानव के लिये महत्वपूर्ण संसाधन है इनसे मांस, खाल, हाथी दांत आदि प्राप्त होते है। इससे प्राणियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है आने वाले कुछ ही वर्षों में पशुओं (प्राणियों) की कुछ प्रजातियाँ पूर्णतः लुप्त हो जाने का भय है। इन्हें पर्यावरण संतुलन के लिये बचाना आवश्यक है।
पारिस्थितिकी तंत्र एवं जैव विविधता के संरक्षण में इनकी (प्राणियों) की मुख्य भूमिका है। इनके संरक्षण के लिए वन्य जीव संरक्षण अधिनियम भी बनाया गया है। इसे सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। तस्करों की सूचना देने वालों और वन्यजीवों (प्राणियों)के संरक्षण में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों को प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाए।
तहसील एवं ग्रामीण स्तर पर पशुओं (प्राणियों) के लिए सुरक्षा समितियों का गठन किया जाना चाहिए। वन्य जीवों की हत्या पर प्रतिबंध है।
वन्य प्राणी संरक्षण के उपाय
(1) वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों को बिना नुकसान पहुंचाए नियंत्रित करना।
(2) वन्य जीवों के शिकार पर पूर्णतः प्रतिबद्ध लगाना।
(3) वन्य क्षेत्रों में जैव मण्डल रिजर्व की स्थापना।
(4) राष्ट्रीय पार्क, अभयारण्य की स्थापना करना।
(5) वन्य जीवन प्रबंधन की योजनाओं को ईमानदारी से लागू करना।
भारतीय संस्कृति में बाघ हमेशा प्रमुख स्थान पर रहा है, कुछ दशक पहले, बाघों का लोगों द्वारा अपने विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए, जिसमें गैर-कानूनी कार्य भी शामिल है; जैसे – शरीर के अंगों, खाल (त्वचा), हड्डियों, दाँतों, नाखूनों आदि की तस्करी के लिए बड़े स्तर पर शिकार किया जाता था। इसके परिणाम स्वरूप पूरे भारत में बाघों की संख्या में बहुत अधिक कमी आई। नहीं ,हमें बाघों का शिकार नहीं करना चाहिए।
राष्ट्रीय पशु के रूप में एक उचित महत्व प्रदान करने के लिए रॉयल बंगाल बाघ को भारतीय मुद्रा नोटों के साथ-साथ डाक टिकटों में भी चित्रित किया गया है। राष्ट्रीय पशु के रूप में एक उचित महत्व प्रदान करने के लिए रॉयल बंगाल बाघ को भारतीय मुद्रा नोटों के साथ-साथ डाक टिकटों में भी चित्रित किया गया है। बाघ को इसी शक्ति, ताकत और चपलता के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु चुना गया है। यह अपने जंगल का राजा और रॉयल बंगाल टाइगर के जैसे नामों के कारण भी राष्ट्रीय पशु चुना गया है।
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