अनुच्छेद
परिवर्तन संसार का नियम है
परिवर्तन संसार का अटल नियम है। प्रकृति से लेकर मानव समाज तक, हर चीज निरंतर बदलाव की प्रक्रिया से गुजरती है। मौसम बदलता है, ऋतुएँ आती-जाती हैं, और पीढ़ियाँ एक-दूसरे का स्थान लेती हैं। परिवर्तन कभी-कभी धीमा होता है, जैसे पहाड़ों का क्षरण, तो कभी तेज़, जैसे प्रौद्योगिकी में क्रांति। यह विकास और प्रगति का द्वार खोलता है, लेकिन साथ ही चुनौतियाँ भी लाता है। जो परिवर्तन को स्वीकार करते और उसके अनुरूप ढलते हैं, वे आगे बढ़ते हैं। परिवर्तन से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे अवसर के रूप में देखना चाहिए। क्योंकि अंततः, परिवर्तन ही जीवन का सार है। यही प्रकृति और संसार का नियम है। जो परिवर्तन को सहज रूप से स्वीकार करते है, वे जीवन में अपना रास्ते को आसान बनाने मे कामयाब होते है। जो लगो परिवर्तन को सहज रूप से स्वीकार नहीं कर पाते वह जीवन में पिछड़ जाते हैं। इस परिवर्तन संसार का नियम है इस सत्य को स्वीकार करके हमें परिवर्तन के अनुरूप स्वयं को ढाल लेना चाहिए।
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