प्रसंग लेखन
जानवर द्वारा किसी मनुष्य को चोट पहुंचाने की अनेक घटनाएं घटती रहती हैं और हम समाचारों के माध्यम से ऐसी अनके घटनाओं को देखते-सुनते रहते हैं, जिसमें बताया जाता है कि अमुक क्षेत्र में तेंदुए अथवा बाघ आदि का आतंक या आवारा कुत्तों द्वारा निवासियों को काट लेने की घटनाएं आदि। मैं ऐसी ही दो प्रत्यक्ष घटनाओं का उदाहरण हूँ।
ऐसी ही एक घटना ध्यान में आती है, जब हमारे कॉलोनी के एक बच्चे को एक आवारा कुत्ते ने बुरी तरह काट लिया और उसे बच्चों को आवारा कुत्तों ने नोच-नोच कर इतना अधिक काटा कि बाद में उस बच्चे की मौत हो गई। ये हृदयविदारक घटना उस समय की है जब हमारी कॉलोनी में कुछ दिनों से आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ गई थी। वह आते जाते कॉलोनी निवासियों पर भौंकते थे। इस संबंध में हमने नगर पालिका को शिकायत की थी, लेकिन कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की गई थी।
एक दिन हमारे कॉलोनी के एक निवासी सुरेद्र गुप्ताजी का 8 वर्षीय बेटा अपनी हमारी गली के बाहर स्थित किराने की दुकान से कुछ खाने का सामान लेने गया। जब वह सामान लेकर लौट रहा था तो उसके हाथ में पैकेट देखकर आवारा कुत्ते उसके पीछे पड़ गए और उसके हाथ का पैकेट झपटने का प्रयास करने लगे। यह देखकर वह बच्चा भागने लगा तो आवारा कुत्ते उसके पीछे पड़ गए और न केवल उस पैकेट को छीन कर उसका सामान खा गए बल्कि बच्चे को भी बुरी तरह काट लिया। जब तक चीख-पुकार सुनकर कॉलोनी के निवासी आते तब तक बच्चा बहुत अधिक लहू-लुहान हो गया था। आनन-फानन में सब लोग उसे अस्पताल लेकर गए। जहाँ एक दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना से हमारी कॉलोनी में शोक की लहर दौड़ गई। गुस्से में हम सभी कॉलोनी के निवासियों ने नगर पालिका दफ्तर के सामने प्रदर्शन किया, तब जाकर नगर पालिका हरकत में आई और उन आवारा कुत्तों को पकड़ा गया।
ऐसी ही एक दूसरी घटना हमारे पुश्तैनी गाँव में घटी, जब हम लोग अपने गाँव में छुट्टियां बिताने दादी-दादी के घर गए थे। कुछ दिनों से हमारे गाँव में तेंदुए के आतंक के बारे में खबरें सुन रहे थे कि एक तेंदुआ जंगल से भटक कर गाँव में रोज आ जाता है और गाँव के किसी पालतू जानवर को उठाकर ले जाता है। वह अक्सर मनुष्यों पर भी आक्रमण कर देता है। गाँव के सभी लोग आतंकित थे और सावधान रहते थे।
एक दिन मैं अपने दादा के घर के ऊपर वाले बालकोनी में बैठा बाहर का नजारा देख रहा था तो मैंनें एक तेंदुए को आते देखा तभी दूसरी तरफ से एक ग्रामीण किसान अपने खेतों की ओर जा रहा था। तेंदुआ उस ग्रामीण किसान को देखकर उस पर झपटा और किसान भागा लेकिन तेंदुए ने किसान के हाथ में अपने दाँत गड़ा दिए। वह जोर से चीखा। उसकी आवाज सुनकर आसपास के ग्रामीण अपने घरों से हाथ में लाठी-डंडा लेकर बाहर निकले।
यह देखकर तेंदुआ भाग गया लेकिन वो किसान को पूरी तरह घायल कर गया था। उसके हाथ से खून बह रहा था। शुक्र था कि तेंदुए के आक्रमण से किसी की जान को कोई हानि नहीं हुई, लेकिन किसान के हाथ में बहुत चोट आई और वह बहुत दिनों तक अपना काम नहीं कर पाया।
इस तरह जानवरों द्वारा मनुष्य को चोट पहुंचाने के लिए घटनाएं घटती रहती हैं। मैं इन दो प्रत्यक्ष घटनाओं का साक्षी हूँ।
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