विचार/अभिमत
माँ के बिना बच्चे का उचित विकास नहीं हो पाता है, क्योंकि बिना माँ के बच्चे अपना जीवन व्यतीत तो कर लेते है लेकिन वह माँ को हर बात पर महसूस करते है। वह बिना माँ के अपने जीवन में बहुत कुछ सीखते तो हैं, पर हर पल वह अपनी माँ के आंचल का अभाव महसूस करते है। माँ के बिना बच्चे को वह प्रेम और स्नेह नहीं मिल पाता जिसकी उन्हें बचपन में जरूरत होती है। इसलिए ऐसे बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं।
माँ तो भगवान के समान होती है, जो हमेशा अपने से पहले अपने बच्चों के बारे में सोचती है । माँ हमेशा अपने बच्चे को पहले से दिन से बहुत कुछ सिखाती है । बिना के बच्चे के विकास एक कमी हमेशा कमी रह जाती है। बिना माँ के बच्चे को अपने जीवन अपने आप खुद ही संभालना पड़ता है। उसे स्वयं ही अपने जीवन में अपने आप को मजबूत बनाना पड़ता है । यह एक कटु सत्य है कि माँ के बिना बच्चे का उचित विकास नहीं हो पाता है। उसके जीवन में कुछ न कुछ कमी जरूर रह जाती है। बिना माँ का बच्चा पूरी जिंदगी अपने जीवन में माँ के अभाव को महसूस करता है।