अनुच्छेद
कर्तव्य एवं अधिकार
कर्तव्य और अधिकार मनुष्य के जीवन के दो महत्वपूर्ण विषय है। कर्तव्य और अधिकार दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए भी है, लेकिन अक्सर लोग दोनों में अंतर नहीं कर पाते। लोगों को अपने अधिकार की तो बहुत अधिक चिंता रहती है, लेकिन अपने कर्तव्यों को निभाने में आलस करते हैं। जबकि किसी भी लोकतंत्र में कर्तव्य और अधिकार दोनों का अपना महत्व है। हम अपने अधिकारों की मांग तभी कर सकते हैं जब हमने अपने कर्तव्यों का निर्वहन भी पूरी ईमानदारी से किया हो।
जिस तरह भारतीय नागरिक के 6 मूल अधिकार हैं। उसी तरह भारत के संविधान में भारत के नागरिक के मौलिक कर्तव्य भी निर्धारित किए गए हैं, लेकिन हम सभी को अक्सर अपने अधिकारों का ही अधिक ध्यान रहता है। अधिकारों की सभी बातें करते हैं लेकिन मौलिक कर्तव्यों की कोई बात नहीं करता जबकि दोनों का अपना-अपना महत्व है।
अधिकार और कर्तव्य दोनों एक दूसरे से संबंध रखते हैं। जब तक हम अपने कर्तव्य का निर्वहन सही ढंग से नहीं करेंगे। हमें अपने अधिकारों के बारे में भी बात करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। भारत के संविधान में भारत के नागरिकों के लिए 6 मौलिक अधिकार इस प्रकार हैं..
- समता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार
यह सभी 6 मौलिक अधिकार हर भारतीय नागरिक को प्राप्त हैं लेकिन इसके अलावा भारत के संविधान में भारतीय नागरिक के लिए कुछ कर्तव्य भी निर्धारित किए गए हैं। यह कर्तव्य इस प्रकार हैं..
- अपने संविधान का नियम अनुसार सत्य और निष्ठा से पालन करना।
- भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता को बनाए रखने तथा उसकी रक्षा करना।
- देश की रक्षा करना और आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्र के लिए अपनी सेवा अर्पित करना।
- देश में धार्मिक आधार पर और भाषाई आधार पर और क्षेत्रीय आधार पर भारत के सभी लोगों के बीच सद्भाव और सामान भाईचारे की भावना से रहना।
- देश की समग्र संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्व देखना देना और उन्हें संरक्षित करना।
- देश की प्राकृतिक और वन संपदा तथा पर्यावरण की रक्षा करना।
- देश की सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना। किसी भी तरह की हिंसा न करना जिससे जन-धन की हानि होती हो।
यह सभी देश के नागरिकों के मौलिक कर्तव्य हैं लेकिन इन कर्तव्यों की ओर कोई ध्यान नहीं देता सब अपने अधिकार को पाने की जुगाड़ में लगे रहते हैं और कर्तव्य को कर्तव्यों को निभाने से बचना चाहते हैं हमें दोनों को समान महत्व देखना देना चाहिए तभी भारत के सचिन आगे कहलाएंगे
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