‘शहरीकरण तथा पर्यावरण’ पर अनुच्छेद लिखिए।

अनुच्छेद

शहरीकरण तथा पर्यावरण

 

शहरीकरण व पर्यावरण एक दूसरे के विरोधाभासी बनते जा रहे हैं। ज्यों-ज्यों शहरीकरण बढ़ता जा रहा है, पर्यावरण को उतना ही अधिक नुकसान पहुँचता जा रहा है। शहरीकरण का मतलब है, अत्याधिक विकास बड़ी-बड़ी इमारतें, चौड़ी-चौड़ी सड़कें तथा अन्यगत ढाचागत संरचनाएं। शहरीकरण का मतलब है, कंक्रीटकरण यानी सीमेंट की ढांचागत संरचनाओं का निर्माण। इस कारण पेड़ों को काटना पड़ता है, हरी-भरी भूमि को कंक्रीट की भूमि में बदल दिया जाता है। यह सारे कृत्य पर्यावरण के लिए बेहद घातक सिद्ध हो रहे हैं। वृक्ष पर्यावरण का सबसे प्रमुख आधार हैं और शहरीकरण वृक्षों के लिए विनाशकारी साबित होता है। अत्यधिक शहरीकरण के कारण वृक्षों की बड़ी संख्या में कटाई होती है।

शहरीकरण के कारण हरे-भरे जंगल खत्म होते जा रहे हैं, और कंक्रीट के जंगल बढ़ते जा रहे हैं। शहरीकरण पर्यावरण के लिए विनाश का केंद्र बनता जा रहा है। ज्यों-ज्यों शहरीकरण बढ़ रहा है, उद्योग-धंधों की संख्या बढ़ रही है। शहर में जनसंख्या बढ़ती जा रही है। जिस कारण अधिक जनसंख्या के लिए अधिक जन-सुविधाओं का निर्माण करना पड़ रहा है। इसीलिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन अधिक हो रहा है, जो पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। शहरों में शहरों में वाहनों के धुएँ से हवा प्रदूषित होती जा रही है। बस्तियों, इमारतों में रहने वाले लोगों द्वारा निष्कासित कचरे तथा अपशिष्ट पदार्थों निष्पादन एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। शहरीकरण के कारण नगरों को नियोजन करने के लिए पर्यावरण मानकों के साथ खिलवाड़ करना पड़ता है। यह बात स्पष्ट है कि शहरों में गाँव के जैसी शुद्ध वायु और स्वच्छ पर्यावरण मिलना असंभव है। शहरीकरण प्रदूषण के पर्याय बनते जा रहे हैं, इसलिए बढ़ते हुए शहरीकरण के कारण पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, इसमें कोई दो राय नही है।


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