विचार/अभिमत
भाषा भिन्नता का आदर करना चाहिए।
भाषा भिन्नता का आदर करना चाहिए क्योंकि हर भाषा का अपना महत्व होता है। भाषा किसी की संस्कृति से जुड़ी होती है। इस संसार में अनेकों सैकड़ों भाषाएं हैं। इस पृथ्वी पर किसी भी एक भाषा का प्रभुत्व नहीं है।
हर क्षेत्र की अपनी अलग भाषा है। जिसकी जो मातृभाषा होती है उसे अपनी भाषा से गहरा लगाव होता है। यदि उसकी भाषा पर कोई विरोध प्रकट करता है तो व्यक्ति का मन आहत होता है। इसलिए जहाँ हमें अपनी भाषा से प्यार है उसे तो दूसरे व्यक्ति को भी अपनी भाषा से प्यार होगा। इसलिए अपनी भाषा के प्रति आदर सम्मान प्रकट करें तो दूसरे की मातृभाषा को भी सम्मान की दृष्टि से देखें।
हमारे देश में अगर अलग-अलग भाषाओं के लोग रहते हैं, तो यह हमारी देश की विविध संस्कृति का प्रतीक है। हमारे देश भारत में भाषा-भिन्नता बहुत अधिक है क्योंकि यहाँ पर अधिकतर राज्यों की अपनी अलग राज्य भाषा है। हर भाषा सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद समृद्ध है। चाहे वह हिंदी हो, पंजाबी, बंगाली, मराठी, गुजराती हो या तमिल, तेलुगु, कन्नड़ या मलयालम जैसे भाषाएं है। हर भाषा की एक सांस्कृतिक समृद्धता है।
विभिन्न भाषाओं वाले हमारे देश में सब लोग मिलजुल कर रहते है। अपनी मातृभाषा से प्यार करने के साथ-साथ हमें भाषा दूसरे राज्यों की भाषा का भी सम्मान करना चाहिए। इसी कारण और भाषा भिन्नता के आधार पर हमें भेदभाव नहीं करना चाहिए बल्कि सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए।