हिंदी निबंध
यदि हम पशु-पक्षी होते तो?
यदि हम पशु-पक्षी होते तो हमारा जीवन वैसा नहीं होता जैसा जीवन मनुष्यों का होता है। पशु-पक्षी और मनुष्यों में मुख्य अंतर बुद्धि और बोली का है। भगवान ने सोचने समझने की विचार शक्ति और बोलने के लिए वाणी केवल मनुष्य को ही दी है। यदि हम पशु पक्षी होते तो हम अपने मन के भाव और विचार को शब्दों और भाषा के माध्यम से नहीं कर पाते। यदि हम पशु पक्षी होते तो फिर चारों तरफ जंगल ही होता। मनुष्यों की तरह सभ्य समाज विकसित नहीं होता।
यदि हम पशु-पक्षी होते तो पेड़ों पर उछलते-कूदते, नदी में गोते लगाते, नीले आसमान में उड़ते। हम पशु-पक्षियों वाले वह सारे कार्य करते जो पशु और पक्षी करते हैं।
यदि हम पशु होते तो जंगलों में मुक्त भाव से विचरण करते। जिधर हमारी मर्जी होती उधर चले जाते। जब मर्जी होती तब खाना खाते। नदी में स्नान करते। पहाड़ों पर चढ़ते मैदाने में दौड़ लगाते।
यदि हम पक्षी होते तो स्वच्छंद भाव से आकाश में उड़ते, अपने पंखों से विशाल आकाश को नापने की कोशिश करते। पशु-पक्षी होने के कारण हमें यह सब करने को तो मिलता लेकिन हम वह कार्य नहीं कर पाते जो मनुष्य करते हैं। ना तो हम किताबें पढ़ पाते, ना तो हम टीवी देख पाते, ना हम मोबाइल चला पाते। ना ही हम त्यौहार आदि मना पाते, ना ही हम रंग-बिरंगे कपड़े पहन पाते। भोजन को पकाने की कला भी मनुष्यों को ही आती है। जो सारे कार्य हम मनुष्य के रूप में करते हैं, वह पशु पक्षी बनकर नहीं कर पाते।
यदि हम पशु-पक्षी होते तो हमारा जीवन भी पशु पक्षियों जैसा ही होता। तब हमारे अंदर इतनी विचार शक्ति नहीं होती जो कि मनुष्य में होती है।
हालांकि मनुष्य ने पर्यावरण के साथ खिलवाड़ बहुत अधिक किया है। हम पशु पक्षी होते तो शायद पर्यावरण के साथ इतना खिलवाड़ नहीं करते। पशु-पक्षी होने पर हम प्रकृति और पर्यावरण के साथ सामंजस्य बिठाकर अपने जीवन व्यतीत करते। पशु-पक्षी प्रकृति और पर्यावरण को नुकसान को नहीं पहुँचाते। जबकि मनुष्यों को पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुँचाया है।
इसलिए पशु पक्षी होने में हमारा लाभ भी होता और बहुत से कार्य करने से वंचित भी रह जाते जो आजकल के मनुष्य करते हैं।