‘डिजीभारतम्’ पाठ का सारांश हिंदी में लिखिए।

‘डिजीभारतम्’ पाठ का सारांश (हिंदी में)

‘डिजीभारतम्’ पाठ भारत की डिजिटल क्रांति को समर्पित एक पाठ है। जिसमें डिजिटल इंडिया के बारे में बताया गया है। यह पाठ भारत के डिजिटल इंडिया के मूल भाव को लेकर एक खाका प्रस्तुत करता है। इस पाठ में भारत में हुई वैज्ञानिक प्रकृति के उन आयामों को छुआ गया है, जिन्हें भारत ने पिछले समय में हासिल किया है।

इंटरनेट ने हम सभी के जीवन को कितना सरल बना दिया है और इंटरनेट की क्रांति के कारण संसार में सभी लोगों के कितने कार्य आसान हो गए हैं, इस पाठ में यह बताया गया है। भारत ने डिजिटल जगत में एक नया मुकाम हासिल किया है, यह डिजीभारतम् पाठ से पता चलता है।

डिजीभारतम् पाठ में बताया गया है कि समय बदलने के साथ-साथ मनुष्य की आवश्यकताएं भी बदलती रही है। पहले शिक्षा और ज्ञान का साधन किताबें और गुरु द्वारा शिष्य को मुँह से बोलकर ज्ञान देने तक सीमित था। प्राचीन काल में ताड़पत्रों और भोजपत्रों पर लेखन कार्य आरंभ होकर पुस्तक तक तक पहुंचा। अब यही पुस्तक डिजिटल रूप में कम्प्यूटर या मोबाइल की स्क्रीन पर आ गई हैं और पुस्तकों से आगे बढकर ज्ञान डिजिटल रूप में बदल गया है।

आज ज्ञान का दायरा बहुत बड़ा हो गया है और तरह की जानकारी इंटरनेट के माध्यम से कम्प्यूटर और मोबाइल की स्क्रीन पर चंद सेकंड में सहज रूप से और आसानी से उपलब्ध है। समाचार पत्र और पुस्तक आदि सभी अब मोबाइल और कंप्यूटर की स्क्रीन पर आसानी से पढ़े जा रहे हैं। इससे पुस्तकों के लिए कागज का निर्माण में कटने वाले वृक्षों पर भी अधिक जोर नहीं पड़ेगा।

डिजिभारतम् पाठ में भारत की आर्थिक क्रांति को भी बताया गया है कि कैसे भारत ने डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और यूपीआई के माध्यम से एक नई क्रांति खड़ी की है। अब सारे बैंकिंग कार्य और पैसों के लेनदेन के कार्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होने लगे हैं और भारत कैशलेस ट्रांजैक्शन की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

कहीं पर भी यात्रा करने के लिए टिकट खरीदना, किसी समारोह का टिकट खरीदना हो, किसी को पैसे भेजने हों या कहीं पर खरीदारी करनी हों, सब कुछ घर बैठे मोबाइल या कंप्यूटर के माध्यम से आसानी से होने लगा है। डिजिटल क्रांति ने भारत सहित पूरे विश्व को प्रभावित किया है और लोगों का जीवन बेहद आसान किया है। आने वाले समय में भारत में डिजिटल क्रांति और अधिक होने वाली है, और लोगों की जीवन शैली एकदम बदलने वाली है, यही इस पाठ के माध्यम से बताया गया है।


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अस्माकं देशस्य नाम भारतवर्षम् अस्ति। भारतवर्षम् एकः महान् देशः अस्ति। अस्य संस्कृतिः अति प्राचीना अस्ति। अस्य प्राचीनं नाम आर्यावर्तः अस्ति। पुरा दुष्यन्तः नाम नृपः अभवत्। सः महर्षेः कण्वस्य सुतया शकुन्तलया सह विवाहम् अकरोत्। तस्य भरतः नाम्नः पुत्रः अभवत्। इति कथयन्ति स्म यत् तस्य नामानुसारेण देशस्य नाम अपि भारतम् अभवत्।​ इस संस्कृत गद्यांश का हिंदी अनुवाद करें।

प्रदोषे दीपकः चन्द्रः प्रभाते दीपकः रविः। त्रैलोक्ये दीपकः धर्मः सुपुत्रः कुल-दीपकः।। स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः। स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते।। उत्तमे तु क्षणं कोपो मध्यमे घटिकाद्वयम्। अधमे स्याद् अहोरात्रं चाण्डाले मरणान्तकम्।। शैले-शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे-गजे। साधवो नहि सर्वत्र चन्दनं न वने-वने।। उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे। राजद्वारे श्मशाने च यः तिष्ठति स बान्धवः।। सभी श्लोक का अर्थ बताएं।

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