सेनापति बापट की संक्षिप्त जीवनी लिखें।

सेनापति बापट की जीवनी

सेनापति बापट महाराष्ट्र के एक जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत के स्वाधीनता संग्राम में बढ़ चढ़कर भाग लिया और अपने अदम्य साहस से स्वतंत्रता संग्राम में अपना अमूल्य योगदान दिया। वह गांधीवादी विचारधारा के समर्थक थे। स्वतंत्रता संग्रामी होने के साथ-साथ वह एक पर्यावरण संरक्षक तथा सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण के लिए अनेक कार्य किए।

सेनापति बापट का जन्म 12 नवंबर 1880 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के पारनेर नामक गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा दीक्षा पुणे के डेक्कन कॉलेज से प्राप्त की और कॉलेज के जीवन में ही वह चापेकर क्लब के सदस्य दामोदर बलवंत भिड़े के संपर्क में आ गए, जिस कारण उन्हें क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लेने की प्रेरणा मिली।

1904 में वह मंगलदास नाथूभाई छात्रवृत्ति प्राप्त होने के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। वहाँ पर वह अलग-अलग विचारधाराओं के व्यक्तियों के साथ संपर्क में आए। जहाँ एक ओर वह समाजवादी व साम्यवादी विचारधारा से परिचित हुए तो वहीं दूसरी ओर वह बी. डी. सावरकर के साथ संपर्क में भी आए।

उस समय भारत का स्वतंत्रता संग्राम चल रहा था, इसलिए सावरकर की सलाह पर वह बम बनाने की तकनीक सीखने के लिए पेरिस चले गए। वहाँ उन्होंने बम एवं हथियार बनाने की ट्रेनिंग ली और 1960 में भारत लौटे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया तथा क्रांतिकारियों के बीच बम बनाने की तकनीक का प्रचार किया। इससे क्रांतिकारियों के आंदोलन को बल मिला।

स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने के कारण उन्हें अंग्रेजों द्वारा 1912 में गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें 3 साल की सजा हुई। 1915 में उन्होंने ‘मराठा’ नामक समाचार पत्र के सहायक संपादक के रूप में काम करना शुरू कर दिया।

1920 में गांधीजी के संपर्क में आने पर वह गांधी जी के दर्शन से प्रभावित हुए और फिर पर्यावरण संरक्षण के रूप में भी कार्य करने लगे। उन्होंने अनेक तरह के सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया उसके साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी तरह के कार्य किए। उन्होंने सार्वजनिक स्थानों की सफाई अभियान भी शुरू किया। उन्होंने भारत के स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने के अलावा गोवा मुक्ति आंदोलन तथा संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में भाग लिया।

मुंबई और पुणे में सेनापति बापट मार्ग नाम से उनके नाम पर सड़कें हैं। उनके सम्मान में 1970 में डाक-टिकट जारी किया गया था। उनका निधन 1967 में हुआ।


Other questions

म्यानमार को आज़ादी किसके नेतृत्व मे और कब मिली?

Chapter & Author Related Questions

Subject Related Questions

Recent Questions

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here