“यदि युधिष्ठिर को राजा बना दिया गया तो कदम-कदम पर हमें अपमानित किया जाएगा।” यह वाक्य दुर्योधन ने अपने पिता धृतराष्ट्र से कहा है।
जब युधिष्ठिर के पिता पांडु की मृत्यु हो गई तो पांडु की मृत्यु के बाद अंधे धृतराष्ट्र को राजा बनाया गया। क्योंकि धृतराष्ट्र अंधे थे और राजकाज इतनी कुशलता पूर्वक नहीं चला सकते थे। इसलिए पांडु के पुत्र युधिष्ठिर को राजा बनाने की बात चली।
दुर्योधन युधिष्ठिर के राजा बनाने के विरुद्ध था। वह कहता था कि राज्य पर उसके पिता का पहला अधिकार था, लेकिन उसके चाचा पांडु को राज्य मिल गया। चूँकि उसके पिता बड़े भाई हैं, इसलिए बड़े भाई का सबसे बड़ा पुत्र होने के कारण वह राजा बनने का उत्तराधिकारी है ना कि युधिष्ठिर।
युधष्ठिर को राजा बनाने की बात चली तो दुर्योधन ने विरोध करते हुए धृतराष्ट्र से कहा कि युधिष्ठिर को राजा बना दिया गया तो कदम-कदम पर हमें अपमानित किया जाएगा। क्योंकि वह स्वयं राजा बनना चाहता था। इसी कारण वह युधिष्ठिर के राजा बनने के विरुद्ध था और पांडवों को किसी भी कीमत पर किसी भी तरह की राजसत्ता देने के समर्थन में नहीं था।