सूरदास ने कृष्ण की बाल रूप की भक्ति अधिक की है।
सूरदास ने अपने अधिकतर पदों के माध्यम से कृष्ण के बाल रूप का चित्रण किया है। सूरदास ने जितने भी पद रचे हैं, उनमें अधिकतर पद कृष्ण के बालरूप का चित्रण करते हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का अद्भुत चित्रण किया है। श्री कृष्ण वृंदावन गोकुल में अपना जो बचपन बिताया, उनके बचपन के सभी प्रसंगों का वर्णन सूरदास ने अपने पदों के माध्यम से किया है।
सूरदास के पदों में वात्सल्य रस, श्रृंगार रस और शांत रस का अद्भुत संयोजन मिलता है। उनके पदों में माता यशोदा और श्री कृष्ण के बीच के प्रसंगों से वात्सल्य रस की अद्भुत अभिव्यक्ति प्रकट होती हैं। वहीं श्रीकृष्ण की गोपियो के साथ लीलाओं के माध्यम से उन्होंने श्रंगार रस को दर्शाया है। उन्होंने श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों की भक्ति तथा स्वयं श्रीकृष्ण के प्रति सुदामा तथा अन्य लोगों के भक्तिभाव से शांत रस का दर्शाया है। सूरदास ने अपने अधिकतर पदों के माध्यम से श्री कृष्ण के बाल रूप का सुंदर चित्रण किया है।