जलीय पौधों में मूलरोम नहीं होते, फिर भी इन पौधों को जल के अवशोषण में कठिनाई इसलिए नहीं होती क्योंकि जलीय पौधों के तने अनुकूलित होते हैं जो कि स्वयं को पानी के अवशोषण के अनुसार ढाल लेते हैं।
जलीय पौधों के तनो में यह गुण होता है, कि वो नरम एवं प्रत्यास्थ होते हैं, जिस कारण यह आवश्यकता पड़ने पर पानी का अवशोषण कर लेते हैं। वास्तव में पौधों में मूलरोम यानि जड़ का मुख्य कार्य पौधे के लिए पानी का अवशोषण करना ही होता है, इसीलिए भूमि पौधों में जड़े पाई जाती हैं क्योंकि वह भूमि के अंदर गहराई तक जाकर जल का अवशोषण कर सकें। जलीय पौधों तो पानी में होते हैं तो यहां पर जड़ों का कोई कार्य नहीं होता, इसलिए पानी के अवशोषण का कार्य तने ही कर लेते हैं, जो कि वायवीय होते है, और आसानी से पानी का अवशोषण कर लेते है। यही कारण है कि जलीय पौधों में मूल रोम न होने के बावजूद जव अवशोषण में कोई कठिनाई नहीं होती।