‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर बताइए कि नगर पालिका ने नेताजी की प्रतिमा क्यों लगवाई थी? इससे नेताजी के जीवन का कौन सा पहलू उजागर होता है? उनके जीवन पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए​।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में नगर पालिका द्वारा प्रतिमा लगाने का निर्णय कई महत्वपूर्ण कारणों पर आधारित था। यह न केवल एक महान नेता के प्रति श्रद्धांजलि थी, बल्कि शहर के लोगों में देशभक्ति की भावना जागृत करने का एक प्रयास भी था। प्रतिमा नेताजी के असाधारण नेतृत्व, अटूट साहस और देश के लिए उनके बलिदान को प्रतिबिंबित करती है।

इस प्रतिमा से नेताजी के जीवन के अनेक पहलू उजागर होते हैं। यहाँ पर उनका नेतृत्व और देशभक्ति वाला पहलू उजागर होता है।  उनका साहस और दृढ़ संकल्प भी उजाग होता है। इस प्रतिमा से देश के लिए उनका त्याग और बलिदान भी प्रकट होता है।

नेताजी का जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके अद्वितीय योगदान, उनके साहस, और देश के लिए उनके बलिदान के लिए याद किया जाता है। उनका आदर्शवाद और देशभक्ति आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर संक्षिप्त प्रकाश:

नेताजी का जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक ज्वलंत अध्याय है। 1897 में कटक में जन्मे सुभाष चंद्र बोस ने अपनी उच्च शिक्षा कोलकाता और कैम्ब्रिज से प्राप्त की। वे जल्द ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक प्रमुख नेता बन गए। 1943 में उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया और ‘दिल्ली चलो’ का प्रसिद्ध नारा दिया। नेताजी पूर्ण स्वराज और सामाजिक समानता के लिए दृढ़ता से लड़े। हालांकि 18 अगस्त, 1945 को एक विमान दुर्घटना में उनकी कथित मृत्यु हो गई, उनका जीवन और कार्य आज भी लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। नेताजी की प्रतिमा उनके इसी साहस, त्याग और देशभक्ति का स्मारक है, जो आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्र के प्रति समर्पण का संदेश देती रहेगी।


Related questions

नेताजी की मूर्ति से क्षमा मांगने के पीछे कैप्टन का क्या भाव छिपा होता था ? (नेताजी का चश्मा)

मूर्ति निर्माण में नगर पालिका को देर क्यों लगी होगी नेताजी का चश्मा पाठ के आधार पर बताइए? (अ) धन के अभाव के कारण (ब) मूर्तिकार ना मिलने के कारण (स) मूर्ति स्थापना के स्थान का निर्णय न कर पाने के कारण (द) संगमरमर ना मिलने के कारण

‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर शासन-प्रशासन के कार्यालयों की कार्यशैली बारे में आपकी क्या धारणा बनती है?

हालदार साहब ने जब मूर्ति के नीचे मूर्तिकार ‘मास्टर मोतीलाल’ पढ़ा, तब उन्होंने क्या-क्या सोचा?

Related Questions

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Questions