‘नमक’ कहानी ‘रज़िया सज्जाद जहीर’ द्वारा लिखी गई एक कहानी है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के विभाजन का त्रासदी और मानवीय संवेदनाओं को उकेरा गया है।
‘नमक’ कहानी में साफिया का चरित्र-चित्रण
- ‘नमक’ कहानी में साफिया इस कहानी की सबसे प्रमुख पात्र है। वह दिल्ली में रहती है और उसका भाई लाहौर में रहता है। ‘नमक’ कहानी के आधार पर सफिया का चरित्र चित्रण इस प्रकार है :
- ईमानदार महिला : साफिया में एक ईमानदार महिला के दर्शन होते हैं, क्योंकि पहले तो वह चोरी छुपे नमक ले जाने का विचार करती है लेकिन फिर उसका जमीर उसे इस बात के लिए इजाजत नहीं देता। वह सोचती है कि जो नमक वह प्रेम के प्रतीक के रूप में सिख बीवी को भेंट स्वरूप लेकर जा रही है, उस प्रेम भरी सौगात को वह चोरी छुपे किसी जुर्म के तौर पर नहीं ले जाना सकती। इसलिए वह चोरी छुपे नमक ना ले जाकर उसके बारे में कस्टम अफसर को बता देती है।
- वायदे की पक्की : सफिया अपने वादे पर अटल स्त्री है। उसने सिख बीवी को वायदा किया था कि वह उन्हें लाहौर से लाहौरी नमक लाकर देगी। इसलिए कानूनी रूप से नमक ना ले जाने की कानूनी अड़चनों के बावजूद पूरा करती है, क्योंकि उसे अपना वादा निभाना था।
संवेदनशील महिला : सफिया में पूरी संवेदनशीलता है और वह रिश्तों को संवेदनशीलता को समझती थी और रिश्तों को निभाना जानती है। - जिम्मेदार नागरिक : पाकिस्तान से भारत नमक ले जाना गैरकानूनी था। इसलिए सफिया किसी भी तरह का कानून नहीं तोड़ना चाहती थी। नमक ले जाना भी जरूरी था इसीलिए उसने कानून का सम्मान करते हुए नमक की पुड़िया कस्टम ऑफिसर को दिखाकर एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज अदा किया। वह चाहती तो नमक की पुड़िया किसी ना किसी तरह चोरी छुपे ले जा सकती थी। इस तरह उसके मन में कानून के प्रति सम्मान भी है।