‘दुनिया सोती थी पर दुनिया की जीभ जागती थी।’ कथन का आशय स्पष्ट कीजिए। (नमक का दरोगा)

‘दुनिया सोती थी पर दुनिया की जीभ जागती थी’ इस कथन का आशय यह है कि किसी भी घटना के प्रसारित होने में समय नहीं लगता। पंडित अलोपदीन को जैसे ही दरोगा वंशीधर ने गिरफ्तार किया वैसे ही घटना तेजी से पूरे नगर में फैल गई। इस कथन का आशय भी यही है कि किसी भी घटना को प्रसारित में लोग दिन-रात भी नहीं देखते। ऐसा भले ही लग रहा हो कि रात का समय और दुनिया सो रही हो लेकिन लोग की जुबान शांत नही रहती। उनकी जुबान पर कोई बात स्थिर नही रह पाती। वह जो कुछ सुनते है उसे दूसरे तक पहुँचाने में जरा भी देरी नहीं करते। इस तरह लोगों की जुबान (जीभ) शांत नही रहती थी।

‘नमक का दरोगा’ कहानी में यह कथन उस समय आया है, जब दरोगा वंशीधर ने पंडित अलोपदीन को गिरफ्तार कर लिया। पंडित अलोपदीन शहर की जानी-मानी हस्ती थे। उनके पास अपार धन था फिर भी दरोगा बंशीधर ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तो लोगों को आश्चर्य हुआ कि अपनी धन संपत्ति के बलबूते पर किसी को भी खरीद लेने वाले पंडित अलोपदीन आज गिरफ्तार कैसे हो गए। रात में वंशीधर ने अलोपदीन को गिरफ्तार किया था लेकिन सुबह होते-होते यह घटना पूरे नगर में आज की तरह फैल गई थी।


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