‘काई सा फटे नहीं’ पंक्तियों का आशय स्पष्ट करो।

यह पंक्तियां भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा रचित ‘असाधारण’ नामक कविता से ली गई हैं। ‘काई सा फटे नहीं’ पंक्तियों का आशय इस प्रकार है…

मनुष्य को किसी भी तरह के संकट से आने पर काई की तरह फटे नही अर्थात संकटों से घबरा कर बिखर नही जाये। मनुष्य को संकटों के आगे हार नहीं मान लेनी चाहिए।

इस कविता की ये पंक्तियां इस प्रकार है…

लहरों के आने पर,
 काई सा फटे नहीं,
रोटी के लालच में, तोते सा रटे नही,

अर्थात प्राणी वही प्राणी है।अर्थात मनुष्य सच्चा मनुष्य वही है जो लहरों के आने पर यानी किसी भी तरह के संकट के आने पर काई की तरह फट नही जाये यानी संकट के आने पर घबरा नहीं जाए। संकटों के आगे हार नहीं माने बल्कि संकटों का डटकर मुकाबला करे। रोटी के लालच में तोते सा रटे नही यानी वो किसी भी तरह के लोभ लालच के कारण अपने आचरण को नहीं भूल जाए और केवल अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी करने को तैयार ना हो बल्कि अपने चरित्र को उज्जवल बनाकर रखें। सच्चा मनुष्य वही मनुष्य है जिसमें यह सब गुण हों।


Other questions

वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए :- “उनके वंशज अपनी भयावह लपटों से अब भी उनका मुख उज्जवल किए हुए हैं |” (पाठ – पानी की कहानी)

आशय स्पष्ट कीजिये- भाई-भाई मिल रहें सदा ही टूटे कभी न नाता, जय-जय भारत माता।

Related Questions

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Questions