उनके वंशज अपनी भयावह लपटों से अब भी उनका मुख उज्जवल किए हुए हैं |
’रामचंद्र तिवारी’ द्वारा लिखे गये ‘पानी की कहानी’ नामक पाठ की इन पंक्तियों का आशय इस प्रकार है :
आशय : लेखक से वार्तालाप करते हुए ओस की बूंद जो कि पानी का स्वरूप है, लेखक से कहती है कि उसका निर्माण हाइड्रोजन और ऑक्सीजन नामक दो गैसों के संयोग से हुआ है। इस तरह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों गैसें उसके वंशज हैं, जो सूर्य मंडल में अभी भी सूर्य के घेरे में लपटों के रूप में मौजूद हैं। यानी सृष्टि के निर्माण के समय जब पानी नहीं था तब हाइड्रोजन और ऑक्सीजन नामक दो गैसों से ही पानी का निर्माण हुआ और धरातल यानी पृथ्वी पर जीवन का विकास आरंभ हुआ।
पानी की बूंद कहती है कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों उसके वंशज है, जो अभी भी सूर्यमंडल में अपनी धधकती गैसों के रूप में मौजूद हैं, और सूर्य के मुख्य को आभा प्रदान कर रहे हैं।
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