तुलसीदास ने अयोध्या नरेश महाराजा दशरथ के चारों पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के करतबों का वर्णन किया है। तुलसीदास अपने बाल लीला प्रसंग में इन सभी बालकों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के कर्तव्यों का वर्णन करते हुए कहते हैं कि यह सभी बालक कभी चंद्रमा को पाने की जिद करने लगते हैं तो कभी अपनी परछाई देखकर ही डर जाते हैं।
वह कभी अपने दोनों हाथों से ताली बजाते हुए उल्लासित होकर नाचने लगते हैं तो कभी अपनी बाल सुलभ हरकतों से अपनी तीनों माता और अपने पिता दशरथ को प्रसन्न कर देते हैं।
अपने चारों बालकों के इन करतबों को देखकर उनकी तीनों माताएं कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी पुलकित हो उठती हैं और उनका मन प्रसन्नता से भर जाता है।