संवाद लेखन
ग्राम अधिकारी और ग्राम सेवक के बीच संवाद
ग्राम सेवक: श्रीमान जी, क्या बात है न आजकल कार्यालय में न ही शाम को चौपाल में देखते हो, कहाँ हो आजकल?
ग्राम अधिकारी: अरे भाई, जाएंगे कहाँ, बस शर्मा जी के घर के पास का डंगा बरसात में टूट गया है, बस उसी लिए खंड विकास अधिकारी के चक्कर लगा रहा हूँ।
ग्राम सेवक: इस बार तो बरसात ने सच में बहुत तबाही पहुंचाई है गाँव में।
ग्राम अधिकारी: तबाही तो ऐसी किसी के खेत की फसल तबाह हो गयी है, किसी के घर की दीवार गिर गयी है, किसी के पशु स्वयं के पानी के बहाव में बह गए हैं और जाने और कितनी मुसीबतें यह बरसात इस बार लायी है।
ग्राम सेवक: तो क्या इस बार आपने इस आपदा से निपटने के लिए अतिरिक्त वितीय सहायता के लिए भी आवेदन किया है।
ग्राम अधिकारी: हाँ, आवेदन दिया तो है, लेकिन जिला अधिकारी भी यही कह रहे हैं कि सब जगह हाल एक सा है और हमारे पास बजट की भारी कमी है।
ग्राम सेवक: बस यही तो कारण है हमारे देश में बढ़ती चोर-बाजारी का, कल मैं जब शहर से आ रहा था तो मैं देखा कि गाँव के शुरू में जो जिला विकास अधिकारी का घर है वहाँ पर बरसात के कारण उनकी बाहर की दीवार टूट गयी थी और कल ही संबन्धित विभाग के अधिकारियों ने वहाँ की दीवार ठीक भी कर दी और तुरंत चिनाई करवा दी गयी।
ग्राम अधिकारी: ऐसी बात नहीं है भाई, हमें भी उन्होंने साफ इनकार नहीं किया है लेकिन केवल बजट की कमी के कारण वह हमारी मदद नहीं कर पा रहे हैं।
ग्राम सेवक: तो फिर तो भाई साहब, इसका मतलब, अधिकारियों के घर के कार्य मुफ्त में हो रहे हैं क्या? ग्राम अधिकारी: बात तो सही है, लेकिन इसमें मैं क्या कर सकता हूँ भाई ?
ग्राम सेवक: क्यों नहीं कर सकते, आप माने तो हम कल ही सब गाँव वाले जिला विकास अधिकारी के पास जाएंगे और अगर उन्होंने कोई मदद नहीं की तो जन आंदोलन करना पड़ा तो करेंगे। हम लोगों से जब वोट मंगनी होती है तो सरकार के नुमायानंदे अनेक प्रलोभन देते हैं लेकिन बाद हमें पूरे पाँच साल पूछते भी नहीं।
ग्राम अधिकारी: ठीक है फिर कल सारे गाँव में संदेश भिजवा दो कि कल हम सब सुबह 10.00 बजे जिला विकास अधिकारी के कार्यालय जाएंगे और अपनी मुसीबतों और मांगो को उनके समक्ष रखेंगे।
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