तोप : वीरेन डंगवाल (कक्षा-10 पाठ-5 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)

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तोप : वीरेन डंगवाल (कक्षा-10 पाठ-5 हिंदी स्पर्श 2)

TOP : Viren Dangwal (Class 10 Chapter 5 Hindi Sparsh 2)


तोप : वीरेन डंगवाल

पाठ के बारे में…

‘तोप’ नामक कविता के माध्यम से कवि वीरेन डंगवाल ने ऐतिहासिक विरासत वाली वस्तुओं की महत्ता की ओर संकेत किया है। कवि ने कविता के माध्यम से यह बताने का प्रयत्न किया है कि प्रतीक और धरोहर दो तरह की हुआ करती हैं। एक धरोहर जिसे देखकर या जिसके बारे में जानकर हमें अपने देश और समाज की प्राचीन उपलब्धियों का ज्ञान मिलता है। वहीं दूसरी धरोहर वे धरोहरें होती हैं, जो हमें बताती हैं कि हमारे पूर्वजों से कब, क्या और कहाँ चूक हुई, जिसके कारण हमारे देश की कई पीढ़ियों को  दुख और दमन चलना पड़ा था।

‘तोप’ कविता के माध्यम से ऐसे ही दो प्रतीकों के बारे में बताया है। कवि ने कविता में कंपनी बाग में रखी एक ऐतिहासिक तोप के माध्यम से यही बात बताने का प्रश्न किया है। यह तोप ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाई गई थी जो देश के स्वाधीनता संग्राम  सेनानियों के विरुद्ध दमन के लिए प्रयोग में लाई गई थी। आज कंपनी बाग में रखी गई तोप हमें उसकी याद आती है।


कवि के बारे में…

वीरेंद्र डंगवाल हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि रहे हैं, जिनका जन्म 5 अगस्त 1947 को उत्तराखंड राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले के कीर्ति नगर में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा पहले नैनीताल में और उच्च शिक्षा इलाहाबाद में हुई। वह पेशे से अध्यापक थे। इसके बाद पत्रकारिता से भी जुड़े रहे।

वीरेंद्र डंगवाल की कविताओं की विशेषता समाज के साधारण जन और हाशिए पर स्थित जीवन के लक्षण को प्रस्तुत करने की रही है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से ऐसी बहुत सी चीजों और जीव-जंतुओं आदि को अपनी कविता का आधार बनाया है, जिनकी प्रायः अनदेखी की जाती रही है।

उनके दो कविता संग्रह ‘इसी दुनिया में’ और ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ नाम से प्रकाशित हो चुके हैं। अपने पहले कविता संग्रह ‘इसी दुनिया में’ के लिए उन्हें ‘श्रीकांत वर्मा पुरस्कार’ भी मिला था तथा दूसरे कविता संग्रह ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ मिला इसके अलावा उन्हें अन्य कई छोटे-बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्होंने अन्य भाषाओं के कई महत्वपूर्ण कवियों की कृतियों का हिंदी में अनुवाद भी किया है।

28 सितंबर सन 2015 को उनका निधन हो गया



हल प्रश्नोत्तर

(क) निम्नलिखिथ प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1 : विरासत में मिली चीजों की बड़ी संभाल क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : विरासत में मिली चीजों की बड़ी संभाल इसलिए होती है, क्योंकि विरासत में मिली वस्तुएं हमें चीजें हमें हमारे प्राचीन इतिहास का अनुभव कराती है। यह हमें हमारे पूर्वजों और परंपरा तथा भूतकाल की याद दिलाती हैं। यह हमारे पूर्वजों की धरोहर होती हैं। जिनके माध्यम से हम अपने बीते हुए समय चाहे वह समृद्ध रहा हो या नहीं रहा हो, उसको महसूस करते हैं।

इन चीजों के माध्यम से हमें तत्कालीन समय के परिवेश और इतिहास की जानकारी भी प्राप्त होती है और उससे फिर हम वर्तमान का संदर्भ जोड़कर भविष्य की संरचना करते हैं। यह चीजें हमें अपनी पुरानी पीढ़ी से जुड़े रहने के लिए कड़ी का काम करती है। और हमें अपने पिछले अतीत से कुछ सीख लेने के का काम करती हैं।

प्रश्न 2 : इस कविता से तोप के विषय में क्या जानकारी मिलती है?

उत्तर : इस कविता से तोप के विषय में हमें यह जानकारी मिलती है कि यह तो 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के विरुद्ध शक्तिशाली हथियार के रूप में प्रयोग की गई थी। यह वह तो है, जिसने भारत के अनेक शूरवीर स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन की लीला मिटा दी थी।

अंग्रेजों ने इस तोप का उपयोग स्वाधीनता सेनानियों के दमन के लिए किया था। आज कंपनी बाग में रखी है तो केवल खिलौना है, क्योंकि अब इसका प्रयोग कोई नहीं करता। अब यह तोप दर्शनीय वस्तु है, जिस पर पक्षियों ने अपना घोंसला बना रखा है और बच्चे इससे खेलते हैं। यह तोप हमें बताती है कि किसी का भी समय सदैव एक समान नही रहता, चाहे कोई कितना भी ताकतवर क्यों ना हो।

प्रश्न 3 : कंपनी बाग में रखी तोप क्या सीख देती है?

उत्तर : कंपनी बाग में रखी तोप हमें यह सीख देती है कि कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो एक ना एक दिन उसे समय के फेर में आकर झुकना ही पड़ता है। समय हमेशा एक समान नहीं रहता। बड़े से बड़े शक्तिशाली सूरमा भी एक दिन दयनीय बन चुके हैं। समय परिवर्तनशील है और यह अच्छे-अच्छे ताकतवर के अहंकार को चूर कर चुका है।

कभी एक समय ये तोप बेहद ताकतवर हुआ करती थी और जिसने कई स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के जीवन का बलिदान लिया था। आज इस तोप की दशा दयनीय बन चुकी है, अब तोप कोई नहीं पूछता बच्चों के खेलने का खिलौना मात्र बन कर रही हो। एक समय में ये तोप भले ही स्वाधीनता सेनानियों पर गरजती हो लेकिन आज उसकी वह गर्जन शांत हो चुकी है।

प्रश्न 4 : कविता में तोप को दो बार चमकाने की बात की गई है। ये दो अवसर कौन-से होंगे?

उत्तर : कविता में तोप  को दो बार चमकाने की बात की गई है। यह दो दिवस  15 अगस्त और 26 जनवरी होते हैं। 15 अगस्त को देश की स्वतंत्रता का दिवस होता है, जबकि 26 जनवरी देश का गणतंत्र दिवस होता है। यह दोनों दिवस राष्ट्रीय पर्व से संबंधित हैं और राष्ट्रीय गौरव एवं स्वाभिमान से जुड़े हुए हैं।

इसी कारण 15 अगस्त और 26 जनवरी को तोप को चमका कर कंपनी बाग में सजा कर रखा जाता है। इस तोप के माध्यम आजादी से पहले के उन दिनों को याद किया जाता है ताकि आने वाली नई पीढ़ी उनसे कुछ प्रेरणा ले सकें।


(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 1 : अब तो बहरहाल छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फ़ारिग हो तो उसके ऊपर बैठकर चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप।

भाव : ‘तोप’ कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने यह बताया है कि समय बड़ा बलवान होता है। कवि ने कंपनी बाद में रखी एक ऐतिहासिक तोप की वर्तमान स्थिति का वर्णन करते हुए कहा है कि यह तोप एक समय में बेहद शक्तिशाली हुआ करती थी और जोर-जोर से गरजा करती थी।

सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में इस तोप कोहराम मचा रखा था और अनेक स्वाधीनता सेनानियों की जान ली थी। उस समय यह तो आतंक का पर्याय थी। लेकिन अब यह तो शांत है, बेबस है और खिलौना मात्र बनकर रह गई है। अब तो छोटे बच्चे इस पर सवारी करते हैं, खेलते-कूदते हैं। जब बच्चे नहीं होते तब तोप पर चिड़ियों का झुंड इकट्ठा होकर अपनी चहचहाट से परेशान करता है।

किसी समय में बड़े-बड़े सूरमाओं के हौसले पस्त कर देने वाली यह तोप आज  बच्चों की खिलखिलाहट और चिड़ियों की चहचहाट और गपशप सुनने के लिए विवश है। कवि ने  इन पंक्तियों के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयत्न किया है कि समय अच्छे से अच्छे बलवान को धरातल पर पटकता है।

प्रश्न 2 : वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद।

भाव : ‘तोप’ कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से कवि वीरेन डंगवाल ने यह बताया है की भले ही एक ऐसा समय था, जब तोप बड़ा गरजा करती थी और अपने आतंक से अच्छे-अच्छों का मुँह बंद कर देती थी, लेकिन आज यह समय भी है जब स्वयं उसका मुँह बंद है और वह गरजने की जगह शांत पड़ी है, क्योंकि एक ना एक दिन ऐसा होना ही था।

कवि समय की परिवर्तनशीलता को बताते हुए कहता है कि बड़े से बड़ा शक्तिशाली व्यक्ति क्यों ना हो कितना भी कोई अत्याचारी क्यों ना हो, उसके अत्याचार का अंत एक ना एक दिन अवश्य होना है। तोप ने अपने-अपने समय में भले ही अनेक स्वाधीनता सेनानियों के जीवन को समाप्त किया था, उनका मुँह बंद किया था, लेकिन आज वह स्वयं दयनीय अवस्था में पड़ी हुई है।

आज कोई उसको पूछने वाला नहीं है। आज उसका स्वयं का मुँह बंद है। कोई भी कितना शक्तिशाली और अत्याचारी हो उसका अंत ऐसा ही होता है।

प्रश्न 3 : उड़ा दिए थे मैंने अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे।

भाव : ‘तोप’ कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से कवि वीरेन डंगवाल ने यह बताया है कि तोप अपनी पुरानी गाथा का वर्णन करते हुए कहती है कि एक समय उसका भी था जब उसने किसी की भी नहीं सुनी। इतने बड़े बड़े सूरमाओं को अपने आगे उड़ा दिया। उस तोप का उसका इतना आतंक था कि सब लोग उससे घबराते थे। बड़े से बड़ा वीर भी उसके सामने टिक नहीं पाता था। तोप अपने उन दिनों को याद करती है, जब वह बेहद ताकतवर थी और आज वह बेहद कमजोर हो गई है। जिस तोप की एक समय धाक थी, आज उसकी बच्चे कर रहे है।


भाषा अध्ययन

प्रश्न 1 : कवि ने इस कविता में शब्दों का सटीक और बेहतरीन प्रयोग किया है। इसकी एक पंक्ति देखिए, ‘धर रखी गई है, यह 1857 की तोप’। ‘धर’ शब्द देशज है और कवि ने इसका कई अर्थों में प्रयोग किया है। ‘रखना’, ‘धरोहर’ और ‘संचय’ के रूप में। कविता रचना करते समय उपयुक्त शब्दों का चयन और उनका सही स्थान पर प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उत्तर : कवि ने इस कविता में जिस तरह एक ही शब्द को अलग-अलग अर्थों में प्रयुक्त किया है, वैसे ही कुछ और उदाहरण इस प्रकार हैं…

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून
पानी गए ऊबरै, मोती मानुष चून।

इस पद में पानी शब्द का तीन बार अलग-अलग अर्थों में प्रयोग किया है। पानी शब्द का मनुष्य की प्रतिष्ठा, मोती की चमक और आटे के लिए जरूरी द्रव के संबंध में प्रयुक्त किया है।

कनक-कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाए,
वा खाये बौराए, जा पाय बौराए

इस दोहे में कनक शब्द को दो बार धतूरे और सोने के संदर्भ में प्रयुक्त किया है।

प्रश्न 2 : तोप’ शीर्षक कविता का भाव समझते हुए इसका गद्य में रूपांतरण कीजिए।

उत्तर : ‘तोप’ शीर्षक कविता का गद्य रूपांतरण इस प्रकार होगा :

एक समय था, जब ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से आई। भारत ने अपनी अतिथि परंपरा का पालन करते हुए उसको हाथों-हाथ लिया और उसको अपने यहाँ जगह दी। लेकिन उस कंपनी का उद्देश्य कुछ दूसरा ही था, वह धीरे-धीरे हमारे साधनों पर कब्जा करते हुए हमारे ऊपर ही शासन करने लगी। धीरे-धीरे हमारी शासक बन बैठी। उसने अनेक बाग-बगीचों, हथियारों, तोपों आदि का निर्माण किया।

हमारे साधनों से ही बनाए गए इन सभी यंत्रों का उसने शक्तिशाली हथियार के रूप में हम पर ही प्रयोग किया। 1857 के स्वाधीनता संग्राम में इस तोप ने कहर मचा रखा था और भारत के अनेक स्वाधीनता संग्राम सेनानियों की जान ली थी। तब यह तोप बेहद शक्तिशाली थी और आतंक का पर्याय बन चुकी थी। आज हालत यह है कि यह तोप खिलौना मात्र बनकर रह गई है।

आज इस तोप पर बच्चे सवारी करते हैं, पक्षी अपना घोंसला बनाकर रहते हैं। जो तोप कभी  बेहद शक्तिशाली थी वह आज बेहद दयनीय अवस्था में उपेक्षा की शिकार पड़ी है, जिसे केवल साल में दो बार 15 अगस्त और 26 जनवरी को याद किया जाता है। बाकी पूरे साल वह उपेक्षा का शिकार रहती है।

कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो, अत्याचारी क्यों ना हो। उसके अत्याचार का एक ना एक दिन तो अंत होना ही है। शक्तिशाली से शक्तिशाली व्यक्ति को एक न एक दिन धरातल पर आना ही है।


योग्यता विस्तार

प्रश्न 1 : कविता लिखने का प्रयास कीजिए और उसे समझिए। 

उत्तर : विद्यार्थी स्वयं के प्रयास और अनुभव से कोई कविता लिखें। विषय अपनी इच्छानुसार चुन सकते हैं। एक स्वरचित कविता प्रस्तुत है…

यह है मेरा भारत देश अनेक भाषा,
अनेक वेश एक सूत्र में बंधे सारे प्रदेश
नही होता कोई कलेश ये है
यह है मेरा भारत देश
जग में सबसे रहे महान 
ऊँची सदा इसकी रहे शान
मेरा भारत मेरी पहचान
मेरा भारत महान

प्रश्न 2 : तेजी से बढ़ती जनसंख्या और घनी आबादी वाले वाली जगहों के आसपास पार्कों का होना क्यों जरूरी है? कक्षा में परिचर्चा कीजिए।

उत्तर : तेजी से बढ़ती जनसंख्या और घनी आबादी वाली जगहों के आसपास पार्कों का होना इसलिए जरूरी है क्योंकि लोग चंद पलों के लिए खुली हवा में सांस ले सकें। स्वच्छ वायु हर किसी के स्वास्थ्य के लिए बेहद आवश्यक है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण ऊँची-ऊँची इमारतें खड़ी हो रही है और लोगों के रहने की जगह कम होती होती जा रही है। उन्हें खुला वातावरण मिलना बेहद मुश्किल होता जा रहा है।

ऐसे में घनी आबादी के बीच पार्कों के होने से लोग कुछ समय के लिए खुली हवा में चैन की सांस ले सकते हैं और प्रकृति के दृश्यों को का आनंद भी ले सकते हैं। यह मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। इसलिए तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के आसपास का पार्कों का होना जरूरी है।


परियोजना कार्य

प्रश्न 1 : परियोजना कार्य स्वतंत्रता सेनानियों की गाथा संबंधी पुस्तकों पुस्तकालय से प्राप्त कीजिए और पढ़कर कक्षा में सुनाइए।

उत्तर : विद्यार्थी स्वतंत्रता सेनानियों की गाथा संबंधी पुस्तकों को पुस्तकालय से लेकर आएं और उन्हें पढ़कर अपनी कक्षा में अपने साथी छात्रों को सुनाएं। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए कुछ महान स्वतंत्रता सेनानियों के नाम प्रस्तुत हैं। विद्यार्थी इन स्वतंत्रता सेनानियों की जीवन गाथा संबंधी पुस्तकों को खोजें और लाएं..

  • सुभाषचंद्र बोस
  • महात्मा गाँधी
  • भगतसिंह
  • चंद्रशेखर आजाद
  • लाला लाजपत राय
  • राम प्रसाद बिस्मिल
  • राजगुरु
  • सुखदेव
  • अशफाकउल्ला खाँ
  • ऊधम सिंह
  • रासबिहारी बोस
  • बिपिनचंद्र पाल
  • बाल गंगाधर तिलक

तोप : वीरेन डंगवाल (कक्षा-10 पाठ-5 हिंदी स्पर्श 2) (NCERT Solutions)

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