NCERT Solutions (हल प्रश्नोत्तर)
कर चले हम फिदा : कैफ़ी आज़मी (कक्षा-10 पाठ-6 हिंदी स्पर्श भाग 2)
KAR CHALE HAM FIDA : Kaifi Azami (Class 10 Chapter 6 Hindi Sparsh 2)
कर चले हम फिदा : कैफ़ी आज़मी
पाठ के बारे में…
इस पाठ में ‘कर चले हम कविता’ को प्रस्तुत किया गया है। ‘कर चले हम फिदा’ ‘कैफी आज़मी’ द्वारा लिखी गई कविता है, जो उनके जो उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखी थी। इस कविता के माध्यम से उन्होंने भारतीय सैनिकों की वीरता और उनके बलिदान का वर्णन किया है। यह कविता हिंदी फिल्म ‘हकीकत’ में गीत के रूप में फिल्माई गई थी।
रचनाकार के बारे में…
कैफ़ी आज़मी हिंदी उर्दू साहित्य के जाने-माने कवि और गीतकार तथा गज़लकार रहे हैं। उन्होंने उर्दू अदब की दुनिया में काफी नाम कमाया। उनकी गिनती उर्दू कवियों की पहली पंक्ति में की जाती है।उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता का कार्य किया है। उनका जन्म 19 जनवरी 1919 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के मजमां गाँव में हुआ था।
उनके कुल 5 कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें झंकार, आखिर-ए-शब, अवारा सज़दे, सरमाया का नाम प्रमुख है। इसके अलावा उनका फिल्मी गीतों का संग्रह ‘मेरी आवाज सुनो’ प्रकाशित हुआ। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई जाने-माने पुरस्कार मिल चुके हैं। 10 मई 2002 को उनका निधन हुआ।
प्रश्न-1 : क्या इस गीत की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है?
उत्तर : इस गीत की एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। यह गीत सन 1962 में हुए भारत एवं चीन के बीच हुए युद्ध पर आधारित था। सन 1962 में भारत ने चीन पर आक्रमण कर दिया था। तब भारतीय सैनिकों ने वीरता से लड़ते-लड़ते अपने देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान कर दिया था।
यह गीत युद्ध को आधार बनाकर रखा गया है। इस गीत को इसी युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी, हिंदी फिल्म ‘हकीकत’ में भी फिल्माया गया है। यह गीत भारत और चीन के बीच युद्ध की वास्तविकता और सैनिकों की भावना को प्रदर्शित करता है और यह गीत विशेष रूप से इसी दिन के लिए कवि ‘कैफ़ी आज़मी’ द्वारा लिखा गया था।
प्रश्न-2 : ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’, इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है?
उत्तर : सर हिमालय का हमने ना झुकने दिया’ , इस पंक्ति में हिमालय इस बात का भारत के मान और सम्मान का प्रतीक है। भारत चीन के बीच हुए युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों का बलिदान तो कर दिया, लेकिन उन्होंने भारत के सम्मान पर आँच ना आने दी। उन्होंने हिमालय का न झुकने दिया। 1962 में भारत और चीन के बीच हिमालय की घाटियों में ही युद्ध हुआ था।
उस समय भारत के अनेक सैनिकों ने अपने प्राणों का बलिदान कर देश की सीमाओं की रक्षा की थी। भारतीय सैनिकों के उस बहादुरी एवं अद्भुत बलिदान कारण ही हिमालय का सर नहीं झुका था, यानी भारत का मान सम्मान कायम रहा। इन भारत के इन वीर सैनिकों ने अपने प्राणों की बलिदान करके भारत की मान-सम्मान की रक्षा की।
प्रश्न-3 : इस गीत में धरती को दुलहन क्यों कहा गया है?
उत्तर : इस गीत में कवि ने धरती को दुल्हन इसलिए कहा है, क्योंकि कवि ने यहाँ पर प्रतीक के रूप में धरती दुल्हन और सैनिकों को दूल्हे का रूप बनाया है। भारतीय सैनिकों के शौर्य और बहादुरी के कारण बलिदान के कारण उनके खून से धरती लाल रंग से रंग गई थी।
दुल्हन भी लाल लिबास पहनती है। लाल रंग से रंगने के कारण ऐसा लग रहा था की धरती दुल्हन बन गई है और भारतीय सैनिक अपने प्राणों का बलिदान करके अपने खून से रंगकर को दुल्हन का लिबास प्रदान किया है, इसीलिए कवि ने लड़की को दुल्हन कहा है।
प्रश्न-4 : गीत में ऐसी क्या खास बात होती है कि वे जीवन भर याद रह जाते हैं?
उत्तर : गीत में जीवन भर याद रहने वाली अनेक खास बातें होती हैं। गीत भावना से भरे होते हैं। उनमें मधुरता होती है, संगीत की लय होती है, गेयता का गुण होता है। गीत सच्चाई से भरे होते हैं,जो मन के भावों को व्यक्त करते हैं, मर्मस्पर्शी होते हैं, जो ह्रदय के तारों को छेड़ देते हैं।
इसी कारण यह जीवन भर याद रह जाते हैं। ‘कर चले हम फिदा’ गीत के माध्यम से भी सैनिकों की भावना और उनके बलिदान उदात्ता प्रकट हो रही है जो सीधे-सीधे दिल को छू ले रही है, इसीलिए यह गीत अमर बन गया। यह केवल किसी एक व्यक्ति का गीत नहीं सैनिकों की तरफ से सभी भारतीयों का गीत है। गीत के इन्हीं गुणों के कारण ही गीत जीवनभर याद रह जाते हैं।
प्रश्न-5 : कवि ने ‘साथियो’ संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है?
उत्तर : कवि ने इस कविता में ‘साथियों’ संबोधन का प्रयोग समस्त भारत वासियों के लिए किया है। इस कविता में सैनिकों के मन की भावना व्यक्त हो रही है। उन्होंने वह बलिदान की राह पर चल रहे हैं। वह अपने प्राणों का बलिदान करने जा रहे हैं, लेकिन बलिदान करने से पूर्व या बलिदान करते समय व समस्त भारतवासियों को संबोधित करते हुए कह रहे हैं कि हम ने तो अपना कर्तव्य निभा दिया, अब आगे का कर्तव्य निभाना तुम्हारा काम है। अब तुम्हें ही इस देश को संभालना है और इसकी रक्षा करनी है। इस तरह कवि ने साथियों संबोधन का प्रयोग समस्त भारत वासियों के लिए किया है।
प्रश्न-6 : कवि ने इस कविता में किस काफ़िले को आगे बढ़ाते रहने की बात कही है?
उत्तर : कवि ने इस कविता में अपने देश पर मर मिटने वाले बलिदानी सैनिकों के काफ़िले को आगे बढ़ते रहने की बात कही है। कवि ने कहा है कि बलिदान का यह कार्य रुकना नहीं चाहिए और जब-जब देश को आवश्यकता पड़े सैनिकों को अपने प्राणों का बलिदान करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
देश की सीमाएं तभी सुरक्षित रह सकती है जब देश के वासी और सैनिक अपने देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने के लिए सदैव तत्पर रहें। कवि का कहना है कुछ सैनिकों ने अपने देश की सीमा की रक्षा के लिए बलिदान तो कर दिया है लेकिन यह क्रम आगे भी चलता रहना चाहिए क्योंकि अभी और रास्ता तय करना है। अभी शत्रुओं को पूरी तरह परास्त कर पूरी तरह विजय प्राप्त करना है। तभी सैनिकों का बलिदान सार्थक होगा।
प्रश्न-7 : इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ किस ओर संकेत करता है?
उत्तर : इस गीत में सर पर कफन बांधना सैनिकों के उस भावों की ओर संकेत करता है, जिसमें वह अपने देश की रक्षा के लिए अपने जीवन को बलिदान करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। सर पर कफन बांधना का अर्थ है, बिना किसी संकोच के हर पल अपने देश की रक्षा करना और आवश्यकता पड़ने पर अपने प्राणों के बलिदान करने से भी संकोच ना करना।
सर पर कफन बांधना अर्थात यह जानते हुए भी कि मेरे जीवन को खतरा है, हँसते-हँसते युद्ध करना ही सर पर कफन बाँधना होता है। सर पर कफन बाँधना निडरता का सूचक होता है। देश की रक्षा करने वाला सैनिक मौत से नहीं डरता और हमेशा मौत का खतरा होते हुए भी देश की रक्षा करने के लिए तैयार रहता है।
प्रश्न-8 : इस कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर : ‘कर चले हम कविता’ का प्रतिपाद्य इस प्रकार होगा। ‘कर चले हम फिदा’ कविता उर्दू के प्रसिद्ध कवि कैफी आज़मी द्वारा रचित एक कविता है।
यह कविता उन्होंने फिल्मी गीत के रूप में एक हिंदी फिल्म ‘हकीकत’ के लिए लिखी थी। यह कविता हकीकत फिल्म में गीत के रूप में फिल्माई गई थी। यह फिल्म भारत चीन 1962 में हुए भारत चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी थी। यह कविता भी उसी युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जिसके माध्यम से सैनिकों ने अपने देश की रक्षा में अपने प्राणों का बलिदान करने वाले सैनिकों ने जाते-जाते अपने हृदय के भावों को व्यक्त किया है।
कवि ने अपने शब्दों के माध्यम से कवि के हृदय की आवाज को कविता में उतारा है। इस कविता में सैनिक अपने देशवासियों को संबोधित करते हुए कह रहे हैं कि उन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया है यानी उन्होंने अपना कर्तव्य निभा दिया है। अब दूसरे सैनिकों और देश के सभी वासियों के हाथ में यह देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। अब उन्हें अपना कर्तव्य निभाना है और देश को ना केवल देश की रक्षा करनी है बल्कि देश के मान सम्मान को भी बढ़ाना है।
अपने देश की रक्षा करने के लिए देश की आन, बान और शान पर आँत नहीं आने देने के लिए समय आने पर अपना बलिदान करने से नहीं चूकते और वह हमेशा यह कार्य करते रहेंगे। यही इस कविता का प्रतिपाद्य है।
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1.
साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
भाव : कवि कहता है कि देश की रक्षा के लिए जाने वाले सैनिक अपने वचन का पालन करने के लिए कृत संकल्प थे। इसी कारण वह अपने जीवन का अंतिम युद्ध लड़ते गए। जब तक उन सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान नहीं कर दिया उन्होंने हार नहीं मानी।
उनके प्राण निकलते जा रहे थे लेकिन वह लड़ते जा रहे थे। उनका भले ही उनका जीवन संकट में आ गया था लेकिन वह लड़ने से पीछे नहीं हटे और उनके आगे बढ़ते कदमों को शत्रु रोक नहीं पाया। किसी भी तरह की परिस्थिति में उनके कदम डगमगाए नहीं। देश की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राणों की बाजी लगा दी लेकिन देश के सम्मान पर आँच न आने दी।
प्रश्न 2.
खींच दो अपने खू से जमीं पर लकीर
इस तरफ़ आने पाए न रावन कोई
भाव : कवि कहता है कि युद्ध के मैदान में देश की रक्षा में लगे सैनिक अपनी अंतिम सांस तक देश की रक्षा करते है। वह सैनिकों से रावण रूपी शत्रु के लिए लक्ष्मणरेखा खींचने की बात कह रहा है। कवि का भाव यह है कि देश की धरती पवित्र है। यह धरती सीता के समान है और सैनिक लक्ष्मण के समान। सीता रूप भूमि पर शत्रु रूपी रावण यदि सीता का हरण करने आएगा तो अपने खून से लक्ष्मण रेखा खींचकर सैनिक इस देश की रक्षा करेंगे ताकि रावण रूपी शत्रु न आने पाये।
प्रश्न 3.
छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
भाव : यह भारत भूमि सीता के समान है। सीता की तरह पवित्र है और इस देश के निवासी-सैनिक सभी राम-लक्ष्मण की तरह है। इसलिए इस सितारों की धरती पर यदि शत्रु रूपी रावण आँख उठाकर बुरी नजर से देखने की जुर्रत करेगा तो राम-लक्ष्मण रूपी भारत के सैनिक और जनता शत्रु की ईंट से ईंट बजा देगी और अपने देश के मान सम्मान की रक्षा करने के पीछे नहीं हटेगी। ऐसे कम ही लोग होते हैं जो देश की रक्षा करने में अपने प्राणों का बलिदान करने में संकोच करते हो लेकिन भारत के वीर जवानों की रक्षा करते हुए ऐसा ही किया है।
भाषा अध्ययन
1. इस गीत में कुछ विशिष्ट प्रयोग हुए हैं। गीत संदर्भ में उनका आशय स्पष्ट करते हुए अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए। कट गए सर, नब्ज़ जमती गई, जान देने की रुत, हाथ उठने लगे
उत्तर : गीत में प्रयुक्त विशिष्ट प्रयोग के अंतर्गत इन शब्दों का आशय और उनका वाक्य में प्रयोग इस प्रकार होगा :
कट गए सर
आशय : बलिदान होना, अपने प्राणों का बलिदान कर देना।
वाक्य प्रयोग : भारत-चीन युद्ध के मैदान में सैनिक बहादुरी से लड़ते रहे उनके सर कटते गए लेकिन वह निरंतर आगे बढ़ते रहे।
नब्ज़ जमती गई
आशय : ठंड के कारण नसों में खून का जमना।
वाक्य प्रयोग : जब भारत-चीन युद्ध चल रहा था तब बर्फीली चोटियों पर हिमालय की वादियों में युद्ध लड़ा जा रहा था। जहाँ पर हिमालय की वादियों में लेह लद्दाख की कड़ी सर्दी में वीर जांबाज सैनिकों की नब्ज़ जमती गई लेकिन फिर भी वह युद्ध करते गए।
जान देने की रुत
आशय : अपनी मातृभूमि के लिए अपने जीवन का बलिदान कर का अवसल मिलना।
वाक्य प्रयोग : भारत-चीन युद्ध में सैनिक बहादुरी से लड़े और जब उन्हें लगा कि अबउनकी जान देने की रुत आ गई है, तो उन्होंने संकोच नहीं किया।
हाथ उठने लगे
आशय : आक्रमणकारियों का आक्रमण करना।
वाक्य प्रयोग : जब चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया और आक्रमणकारियों के हाथ उठने लगे तो भारत के सैनिकों ने मुंह तोड़ जवाब दिया।
2. ध्यान दीजिए संबोधन में बहुवचन शब्द रूप पर अनुस्वार का प्रयोग नहीं होता, जैसे भाइयों, बहनों, देवियों, सज्जनों आदि
उत्तर : विद्यार्थी ऐसे समझें…
भाइयो : सफ़ाई कर्मचारियों के नेता ने कहा, भाइयो! कहीं भी गंदगी न रहने पाए।
बहिनो- समाज सेविका ने कहा, बहिनो! कल पोलियो ड्राप पिलवाने ज़रूर आना।
देवियो- पुजारी ने कहा, देवियो! देवियो! कलश पूजन में जरूर शामिल होना।
सज्जनो- सज्जनो! यहाँ सफ़ाई बनाए रखने की कृपा करें।
योग्यता विस्तार
प्रश्न 1: कैफ़ी आज़मी उर्दू भाषा के एक प्रसिद्ध कवि और शायर थे। ये पहले गज़ल लिखते थे। बाद में फ़िल्मों में गीतकार और कहानीकार के रूप में लिखने लगे। निर्माता चेतन आनंद की फ़िल्म ‘हकीकत’ के लिए इन्होंने यह गीत लिखा था, जिसे बहुत प्रसिद्धि मिली। यदि संभव हो सके तो यह फ़िल्म देखिए।
उत्तर : सिनेमा हॉल में जाकर ये फिल्म देखना संभव नहीं है। विद्यार्थी ये फिल्म टीवी अथवा यूट्यूब पर देख सकते हैं। इंटरनेट पर ये फिल्म सर्च करने पर मिल सकती है। ये एक श्वेत-श्याम (ब्लैक एंड व्हाइट) फिल्म है। इस फिल्म में धर्मेंद ने मुख्य भूमिका निभाई थी। ये फिल्म देशभक्ति की भावना से भरी फिल्म है। फिल्म को देखें, समझें और फिल्म के भाव को महसूस करें।
प्रश्न 2. ‘फ़िल्म का समाज पर प्रभाव’ विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर : फ़िल्म का समाज पर प्रभाव पर परिचर्चा इस प्रकार हो सकती है…
अध्यापक : बच्चों, आज हम ‘फ़िल्म का समाज पर प्रभाव’ विषय पर चर्चा करेंगे। फ़िल्में हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं और समाज पर गहरा प्रभाव डालती हैं। क्या कोई बता सकता है कि फ़िल्में समाज को कैसे प्रभावित करती हैं?
राजेश : सर, फ़िल्में समाज में जागरूकता फैलाने का काम करती हैं। उदाहरण के लिए, ‘पिंक’ जैसी फ़िल्म ने महिलाओं के अधिकारों और सहमति के महत्व पर रोशनी डाली।
अध्यापक : बहुत अच्छा, राजेश। और कोई?
रोशनी : सर, फ़िल्में हमें मनोरंजन तो देती ही हैं, साथ ही सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान आकर्षित करती हैं। ‘तारे ज़मीन पर’ ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाई।
अध्यापक : सही कहा, रोशनी तुमने। फ़िल्में मनोरंजन का माध्यम होने के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी देती हैं। और किसी का कोई विचार?
सोनम : सर, कुछ फ़िल्में समाज में नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकती हैं। हिंसा और नशे को बढ़ावा देने वाली फ़िल्में युवाओं पर बुरा असर डालती हैं।
अध्यापक : बिल्कुल सही, सोनम। फ़िल्में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए हमें फ़िल्में चयनित और सोच-समझकर देखनी चाहिए।
आशुतोष : सर, फ़िल्में समाज में बदलाव लाने का भी जरिया बन सकती हैं। ‘लगान’ जैसी फ़िल्में हमें एकजुटता और संघर्ष की प्रेरणा देती हैं।
अध्यापक : बहुत अच्छा, अजय। फ़िल्में समाज में जागरूकता, प्रेरणा, और मनोरंजन का माध्यम हैं। लेकिन हमें हमेशा उनकी सामग्री और संदेश के प्रति सजग रहना चाहिए।
अध्यापक : धन्यवाद बच्चों, आज की परिचर्चा यहीं समाप्त होती है। मुझे खुशी है कि आप सबने अपने विचार साझा किए।
प्रश्न 3. कैफ़ी आज़मी की अन्य रचनाओं को पुस्तकालय से प्राप्त कर पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। इसके साथ ही उर्दू भाषा के अन्य कवियों की रचनाओं को भी पढ़िए।
उत्तर : विद्यार्थी अपने गाँव, कस्बे या शहर के नजदीकी पुस्तकालय जाएं। वहाँ पर कैफी आज़मी से संबंधित साहित्य को ढूंढे। उनकी पुस्तकें प्राप्त करें। उन रचनाओं कों पढ़ें। उर्दू भाषा के कई अन्य कवि साहित्यकार जैसे मिर्जा ग़ालिब, मीर आदि को पढ़ें।
प्रश्न 4. एन० सी० ई० आर० टी० द्वारा कैफ़ी आज़मी पर बनाई गई फ़िल्म देखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर : विद्यार्थी एन. सी. ई. आर. टी. की वेबसाइट पर जाएं वहाँ पर फिल्म को तलाशें। या इंटरनेट पर अन्य माध्यमों जैसे हिंदी और ऊर्दू कवियों-शायरों-गीतकारों से संबंधित वेबसाइट पर फिल्म को तलाशें। फिल्म मिलने के बाद उसे देखें और कैफी आज़मी के जीवन को समझने का प्रयास करें।
परियोजना कार्य
प्रश्न 1. सैनिक जीवन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एक निबंध लिखिए।
उत्तर : विद्यार्थी इस विषय पर स्वयं निबंध लिखने का प्रयास करें। उनकी सहायता के लिए एक निबंध का लिंक दिया जा रहा है। इस लिंक पर जाकर संबंधित विषय पर लिखे निबंध को देख सकते हैं।
‘सैनिक जीवन की चुनौतियाँ’ इस विषय पर एक निबंध लिखें।
प्रश्न 2. आज़ाद होने के बाद सबसे मुश्किल काम है ‘आज़ादी बनाए रखना’। इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर : ये एक प्रायोगिक कार्य है। विद्यार्थी अपनी कक्षा में विषय पर आपस में चर्चा करें। सहायता हेतु इस लिंक पर जाएं कि कैसे चर्चा हो सकती है।
आज़ाद होने के बाद सबसे मुश्किल काम है ‘आज़ादी बनाए रखना’। इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
प्रश्न 3 : अपने स्कूल के किसी समारोह पर यह गीत या अन्य कोई देशभक्तिपूर्ण गीत गाकर सुनाइए।
उत्तर : ‘कर चले हम फिदा’ ये गीत विद्यार्थी अपने विद्यालय के समारोह में सुना सकते हैं। या अपनी पसंद का कोई भी देशभक्ति भरा गीत चुन सकते हैं…
जैसे..
मेरे देश की धरती सोना (फिल्म – उपकार)
ये प्रीत जहाँ की रीत सदा (फिल्म – पूरब और पश्चिम)
होठों पर सच्चाई रहती है (जिस देश में गंगा बहती है)
ये देश है मेरा स्वदेश है मेरा (स्वदेस)
कर चले हम फिदा : कैफ़ी आज़मी (कक्षा-10 पाठ-6 हिंदी स्पर्श भाग 2) (NCERT Solutions)
कक्षा-10 हिंदी स्पर्श 2 पाठ्य पुस्तक के अन्य पाठ
साखी : कबीर (कक्षा-10 पाठ-1 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)
पद : मीरा (कक्षा-10 पाठ-2 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)
मनुष्यता : मैथिलीशरण गुप्त (कक्षा-10 पाठ-3 हिंदी स्पर्श भाग 2) (हल प्रश्नोत्तर)
पर्वत प्रदेश में पावस : सुमित्रानंदन पंत (कक्षा-10 पाठ-4 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)
तोप : वीरेन डंगवाल (कक्षा-10 पाठ-5 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)