वर्तमान समय में धर्म की अवधारणा से तात्पर्य किसी विशेष समुदाय से होता है, जो कोई विशिष्ट संस्कृति और पूजा पद्धति का पालन करता है। ऐसे व्यक्तियों का समूह जो जिसकी पूजा पद्धति भिन्न है, जो एक विशेष प्रकार की ईश्वर को मानता है, जिसके अपने अलग धार्मिक ग्रंथ हैं, ऐसे समुदाय को किसी विशेष धर्म का पालन करने वाला समुदाय कहा जाता है। वर्तमान संदर्भ में यही धर्म की अवधारणा है।
भारतीय दार्शनिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो धर्म का अर्थ है, अपने कर्तव्य का पालन करना। जीवन में जो मानवीय कर्तव्य हैं, उनका पालन करना ही धर्म है। नैतिकता को बनाए और नैतिकता के रास्ते पर चलते हुए जीवन का निर्वाह करना ही धर्म है, यही धर्म की मूल भारतीय अवधारणा है। आज धर्म का अर्थ बदल गया है और यह विशेष पूजा-पद्धति, अलग ईश्वर को मानने वाले समुदाय तक सीमित कर दिया गया है।
भारत में लगभग 7-8 धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। भारत में सबसे अधिक 79% लोग हिंदू धर्म का अनुसरण करते हैं। मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग हैं लगभग 15% हैं। सिक्ख धर्म को मानने वाले 2% से कुछ कम हैं। ईसाई धर्म को मानने वाले 2.5% हैं। बौद्ध धर्म को मानने वाले 0.70% लोग हैं। जैन धर्म को मानने वाले भी 0.50% से कम हैं। पारसी धर्म को मानने वाले कुछ अनुयायी हैं। इस तरह भारत में सबसे मुख्य धर्म हिंदू है और उसके बाद दूसरा सबसे बड़ा धर्म मुस्लिम है।