किसने कहा कि ‘समानों के साथ समानता का, असमानों के साथ असमानता का व्यवहार होना चाहिए।’

यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक ‘प्लेटो’ ने यह कथन कहा था कि ‘समानों के साथ समानता का, असमानों के साथ असमानता का व्यवहार होना चाहिए।’

प्लेटो ने ऐसा क्यों कहा होगा, उसके लिए पहले समानता और ससमानता को समझते हैं। समानता का अर्थ समान व्यवहार से नहीं होता जो अधिकार किसी एक व्यक्ति को प्राप्त हैं, वह सभी व्यक्ति को प्राप्त होनी चाहिए, ऐसा उचित नही होगा। उदाहरण के लिए लेकिन समानता समान स्तर पर ही कार्य करती है। यदि कोई अधिकार देश के सर्वोच्च पद जैसे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को प्राप्त है वह किसी आम नागरिक को नहीं मिल सकता, इसीलिए समाज में ऊंचे नीचे और मध्यम तरह ये तीन स्तर होते हैं। इसलिए हर स्तर के लोगों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जा सकता। यहाँ पर समानता से तात्पर्य सामाजिक मानदंडों से है. जो मौलिक व आधारभूत अधिकार हर व्यक्ति को प्राप्त होने चाहिए वह उसे मिलने चाहिए यही समानता है। यही समानता के साथ समानता वाला व्यवहार है। जो अधिकार किसी विशेष पद पर बैठे व्यक्ति के लिए निश्चित है वह उसे ही मिलते हैं यह असमानता है और असमानता के साथ असमानता वाला व्यवहार है।


Related questions

आलस्य और परतंत्रता का जीवन जीने वालों को क्या संदेश देना चाहिए?

आत्मविश्वास के बलबूते आप अपनी जीवन में क्या-क्या कर सकते हैं?

Related Questions

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Questions