आलस्य और परतंत्रता का जीवन जीने वालों को संदेश
आलस्य और परतंत्रता का जीवन जीने वाले को यह संदेश है कि जीवन का असली उद्देश्य आलस्य नहीं है। ईश्वर ने जीवन परतंत्र होने के लिए नहीं प्रदान किया है। आलस्य और परतंत्रता जीवन के नकारात्मक पहलू हैं? आलस्य पर मनुष्य का पूरा नियंत्रण होता है, वह अपने कमियों के कारण ही आलस्य जैसी गलत आदत को अपना लेता है।
परतंत्रता पर मनुष्य का पूरा नियंत्रण नहीं होता उसे किसी प्रतिकूल परिस्थिति के कारण भी परतंत्र बनना पड़ सकता है, लेकिन वह प्रयास करें तो परतंत्रता से भी मुक्ति पा सकता है। लेकिन जिन लोगों को आलस्य और परतंत्रता में जीने की आदत पड़ जाती है, वह इससे मुक्ति नहीं पाने का प्रयास करते। इसी कारण अपने पूरे जीवन आलस्य और परतंत्रता में निकाल देते हैं। मनुष्य को ईश्वर ने कर्म करने के लिए भेजा है।
कर्म ही मनुष्य का मूल मंत्र है। यदि मनुष्य कर्महीन होकर आलस्य को अपना लेगा तो उसका जीवन निरर्थक है। उसी प्रकार अपनी स्वतंत्रता को खोकर परतंत्रता में जीना मनुष्य के लिए लज्जा का विषय होना चाहिए। इसलिए आलस्य को को त्याग कर कर्मशील बनो तथा परतंत्रता की जंजीरों को तोड़ कर स्वतंत्रता का जीवन जियो। आलस्य और परतंत्रता का जीवन जीने वालों के लिए यही संदेश है।
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