अस्पृश्यता को परिभाषित कीजिए? इसके आयाम भी लिखे।

अस्पृश्यता की परिभाषा एवं अस्पृश्यता के आयाम

अस्पृश्यता से तात्पर्य किसी ऐसे व्यक्ति अथवा वस्तु के संदर्भ में लिया जाता है, जिसको स्पर्श करना वर्जित हो। अस्पृश्यता सामान्यतः उन व्यक्तियों और जातियों के संदर्भ में प्रयुक्त की जाती है, जिन्हें तथाकथित निचली जाति का दर्जा दे दिया गया है और ऐसी जाति से संबंध रखने वाले लोगों के शरीर को छूना अस्पृश्यता माना गया। तथाकथित निचली जातियां जिनका व्यवसाय कार्य मल-मैला उठाना, साफ-सफाई करना, कूड़ा-करकट उठाना, जूते-चप्पल आदि की मरम्मत करना आदि जैसे कार्य हैं।

इस तरह के कार्य करने वाले लोगों को एक विशेष जाति के दायरे में बांध दिया गया है और ऐसी जाति से संबंध रखने वाले लोगों को तथाकथित उच्च जाति वाले लोगों द्वारा न छूना ही अस्पृश्यता माना जाता है। तथाकथित ऊँची जाति वाले लोग इस तरह के काम करने वाले तथाकथित निचली जाति वाले लोगों को हेय दृष्टि से देखते थे। मध्यकालीन भारत में और स्वतंत्र भारत से पूर्व के भारत में अस्पृश्यता की समस्या बड़े विशाल स्तर पर थी। स्वतंत्र भारत के पहले भी यह एक सामाजिक समस्या थी।

भारत के स्वतंत्रता के बाद स्थिति कानून के तहत कुप्रथा को मिटाने के निरंतर प्रयास किए गए हैं और सभी को समान नागरिक दर्जा प्रदान कर जातिगत भेदभाव मिटाने का प्रयास किया गया है। अस्पृश्यता की कुप्रथा तथाकथित उच्च जाति वाले लोगों द्वारा तथाकथित नीची जाति वाले लोगों के साथ सामाजिक भेदभाव का मूल थी। तथाकथित निचली जाति वाले व्यक्ति ऐसा पेशेवर कार्य करते थे जो हेय दृष्टि से देखा जाता रहा। जैसे मैला ढोना, साफ-सफाई करना, कूड़ा-करकट उठाना, मल-मूत्र साफ करना, जूते-चप्पल मरम्मत करना, माँस आदि व्यवसाय करना आदि। इस तरह के व्यवसाय पेशेवर कार्य करने वाले लोगों को समाज में निकली जाति का दर्जा दे दिया गया और उच्च जाति वाले लोगों ने ऐसी कार्य करने वाले लोगों को स्पर्श करने से बचने लगे। इसी को अस्पृश्यता कहा जाता है। अस्पृश्यता के तीन के आयाम हैं…

  • अपवर्जन एवं बहिष्कार
  • अनादर एवं अपमान
  • अधीनता एवं शोषण

अपवर्जन एवं बहिष्कार : अपवर्जन एवं बहिष्काक के अंतर्गत तथाकथित उच्च जाति के लोगों द्वारा निचली जाति के लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया और उनकी बस्तियां आदि समाज से अलग कर दी गईं।

अनादर एवं अपमान : उच्च जाति वाले व्यक्तियों द्वारा तथाकथित निचली जाति के व्यक्तियों का अनादर किया जाता रहा। उच्च जाति के लोग निचली जाति लोगों को हे. दृष्टि से देखते थे और निरंतर उनका अनादर करते थे।

अधीनता एवं शोषण : तथाकथित ऊंची जाति के लोगों ने निचली जाति के लोगों का आस्था के नाम पर निरंतर शोषण किया। उच्च जाति को लोग निचली जाति के लोगों को स्वयं से निम्न मानकर उनको अपने अधीन बनाकर रखते थे और उनसे सेवा कार्य लेते


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