सरदार पूर्णसिंह हिंदी के एक प्रसिद्ध निबंधकार थे। वह द्विवेदी युग के निबंधकार थे उन्होंने हिंदी में छः निबंध लिखे, जिनके नाम इस प्रकार है।
- आचरण की सभ्यता,
- मजदूरी और प्रेम,
- अमेरिका का मस्त योगी वाल्ट व्हिटमैन,
- कन्यादान,
- पवित्रता
- सच्ची वीरता
सरदार पूर्णसिंह के निबंधों की भाषा खड़ी बोली से युक्त भाषा है। उन्होंने अपने निबंधों में जहाँ तत्सम शब्दों का प्रयोग किया है तो फारसी और अंग्रेजी शब्दों का भी प्रयोग किया है। उनके निबंधों में व्यंगात्मकता, विचारात्मकता, वर्णनात्मकता, भावात्मकता आदि सभी का मिश्रण मिलता है। यही उनके निबंधों की विशिष्ट शैली है। उनके निबंध सरल और सहज भाषा में लिखे गए हैं, जो कि सरलता से आम पाठक को भी समझ में आ जाते हैं। उनके निबंधों में बड़े-बड़े उपदेश और गूढ़ बातें का समावेश नहीं है।
सरदार पूर्ण सिंह द्विवेदी युग के प्रसिद्ध निबंधकार रहे हैं। उनका जन्म सन 1881 ईस्वी में एबटाबाद नामक स्थान पर हुआ था जो कि वर्तमान समय में पाकिस्तान में पड़ता है। उनके पिता का नाम करतार सिंह था। उनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा रावलपिंडी में हुई।
जहाँ से उत्तीर्ण होने के बाद लाहौर में बस गए और लाहौर से उन्होंने एम.ए. परीक्षा उत्तीर्ण की। वे अध्ययन के लिए जापान भी गए और जहाँ उनकी भेंट उस समय जाापान आए हुए स्वामी रामतीर्थ से हुई। स्वामी रामतीर्थ के विचारों से इतना प्रेरित हुए कि वहीं पर उन्होंने सन्यास ले लिया। बाद में वह स्वामी जी के साथ ही भारत वापस आ गए। स्वामी जी की मृत्यु के बाद वे देहरादून बस गए और विवाह करके वहीं पर अध्यापन कार्य करने लगे। उनका निधन सन् 1931 में हुआ था।
Other questions
‘सरकार को भिखारियों के पुनर्वास के लिए प्रयत्न करना चाहिए’ इस विषय पर अनुच्छेद लिखिए।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार क्या है?