‘कुब्जा’ नामक मोरनी आने से जालीघर का वातावरण क्षुब्ध हो उठा था। कुब्जा एक मोरनी थी, अपने नाम के अनुरूप ही कुब्जा थी। वह ईर्ष्यालु स्वभाव की थी। वह सभी से लड़ती रहती थी, इसी कारण उसकी जालीघर के अन्य पशु-पक्षियों से नहीं बनती थी। वह दूसरी मोjनी राधा से ईर्ष्या करती थी और हमेशा उसको चोंच मारकर घायल कर देती थी। वह नीलकंठ मोर से प्रेम करती थी और इसी कारण वह राधा मोरनी से ईर्ष्या करती थी क्योंकि नीलकंठ और राधा मोर-मोरनी में आपस में प्रेम था।
‘नीलकंठ’ कहानी जोकि महादेवी वर्मा द्वारा लिखी गई है, उसमें महादेवी वर्मा ने एक मोर नीलकंठ और राधा एवं कुब्जा नाम की दो मोरनियों को अपने घर में पाला था। नीलकंठ मोर की हो आधार बनाकर उन्होने ‘नीलकंठ’ कहानी की रचना की है। महादेवी वर्मा का पशु पक्षियों से बेहद लगाव रहा है। उन्होंने अपने घर में अनेक पशु पक्षी पाल रखे थे। अलग-अलग पशु पक्षियों के संदर्भ में उन्होंने अनेक संस्मरणात्मक कहानियाँ लिखी है, जिनमें नीलू, गिल्लू, गौरा आदि के नाम प्रमुख हैं।
संदर्भ पाठ
‘नीलकंठ’ लेखिका – महादेवी वर्मा (कक्षा – 7, पाठ -15)
Other questions
लालमणि का अपनी माँ के प्रति कैसा व्यवहार था? (पाठ – गौरा गाय)
अपने गुरु के प्रति घीसा के स्वभाव से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
‘गिल्लू’ पाठ में लेखिका की मानवीय संवेदना अत्यंत प्रेरणादायक है । टिप्पणी लिखिए ।