अनौपचारिक पत्र
बाढ़ पीड़ितों की मदद के दौरान हुए अनुभवों को साझा करते हुए मित्र को पत्र
दिनांक : 16 जून 2024
प्रिय मित्र प्रतीक,
तुम जानते हो कि पिछले दिनों हमारे लखनऊ जिले के एक गाँव में भयंकर बाढ़ आई हुई थी। यह गाँव गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है। गोमती नदी में भारी बारिश के कारण पिछले दिनों बहुत भयंकर बाढ़ आ गई थी और यह गाँव बाढ़ की चपेट में आ गया।
मैं एक सामाजिक संस्था से जुड़ा हुआ हूं इसलिए उस संस्था की तरफ से बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए राहत अभियान चलाया जा रहा था। मैंने भी उस राहत अभियान में भाग लिया। मैं अपनी संस्था की तरफ से वॉलिंटियर के रूप में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए गया।
हमने गाँव में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए यथासंभव प्रयत्न किए। हमारी संस्था की तरफ से पैकेट बंद खाने का इंतजाम किया गया था, जो हमने बाढ़ पीड़ितों के शिविर में जाकर वितरित किए।
बाढ़ पीड़ितों का शिविर गाँव से थोड़ा दूर एक मैदान में लगाया गया था। जहां पर सरकार द्वारा अस्थाई शिविर लगाए गए हैं। इनमें उन लोगों को पुनर्स्थापित किया जा रहा है, इनके घर बाढ़ में डूब गए हैं। हमने इन शिविरों में जाकर पैकेटबंद खाना वितरित किया। इसके अलावा हमने कुछ जरूरी दवाइयां भी वितरित की ।
हम बाढ़ पीढ़ितों की सहायता के लिए लगभग 3 दिन तक वहाँ पर रहे और अलग-अलग तरह के सहायता कार्य किए। मैंने वहाँ बाढ़ पीड़ितों के परिवारों के बच्चों को पढ़ाया भी था। उनकी स्कूल की कॉपी-किताबें पानी में बुरी तरह भीगकर खराब हो गईं थीं। हमने बच्चों के लिए कॉपी-किताबें भी वितरित की ।
इस बाढ़ पीड़ितों की सहायता करके सच मे बहुत अच्छा लगा। समाज सेवा में एक अलग ही आनंद है। किसी जरूरतमंद और निर्धन की सहायता करने में अनोखा आनंद मिलता है। मेरी तुमको सलाह है कि तुम भी हमारी सामाजिक संस्था से जुड़ जाओ। तुम्हें भी समाज सेवा में बहुत आनंद आएगा।
तुम्हारा मित्र,
नयन
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