अब्दुल फजल कौन था? अकबरनामा को उसके महत्वपूर्ण योगदान में से एक क्यों माना जाता है स्पष्ट कीजिए!

अबुल फजल अकबर के दरबार का एक शाही इतिहासकार था, जिसने अकबर के जीवन पर आधारित ‘अकबरनामा’ नामक कृति का संयोजन किया था।

अबुल फजल का पूरा नाम ‘अबुल फजल इब्न मुबारक’ था, जिसका जन्म 24 जनवरी 1951 ईस्वी में आगरा में हुआ था। वह शीघ्र ही अकबर के दरबार में कर्मचारी बन गया और अपनी योग्यता के कारण जल्दी ही प्रधानमंत्री पद तक जा पहुंचा।

अबुल फजल ने अकबर के जीवन पर आधारित ‘अकबरनामा’ नामक कृति का सृजन किया। यह कृति तीन खंडों में इसी कृति का तीसरा खंड ‘आईने अकबरी’ के नाम से जाना जाता है। ‘आईने अकबरी’ को अकबर के समय का गजट भी कहा जा सकता है, क्योंकि आईने अकबरी में अबुल फजल ने तत्कालीन मुगल साम्राज्य की अर्थव्यवस्था की बारीक जानकारी प्रस्तुत की है। उसने ‘आईने अकबरी’ में मुगल साम्राज्य का सांख्यिकी सर्वेक्षण को प्रस्तुत किया है तो राजस्व व्यवस्था तथा आर्थिक स्थिति का विवरण दिया है। इसके अलावा उसने खजाने और सिक्कों से संबंधित विवरण भी पेश किया है। आईने अकबरी भी 5 भागों में विभाजित है और उसने हर बात में अलग-अलग विषयों को केंद्र रखकर उनका विस्तृत विवेचन किया है।

अकबरनामा को अबुल फजल के सबसे महत्वपूर्ण योगदान में एक इसलिए माना जाता है क्योंकि यह कृति उसने तत्कालीन मुगल साम्राज्य का बारीकी से विश्लेषण प्रस्तुत किया है जो तत्कालीन मुगल साम्राज्य की दशा का स्पष्ट रूप से वर्णन करता है और हमें उस समय की आर्थिक राजनीतिक एवं सामाजिक जानकारियों का विवरण प्राप्त होता है। इसी कारण अकबरनामा को अबुल फजल के महत्वपूर्ण योगदान में से एक योगदान माना जाता है।


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