गद्य की अपेक्षा कविता का अनुवाद कठिन क्यों होता है या कविता की अपेक्षा गद्य का अनुवाद सरल क्यों होता है।

कविता अर्थात पद्य का अनुवाद गद्य की अपेक्षा कठिन इसलिए होता है क्योंकि गद्य का अनुवाद गद्यात्मक शैली में ही करना पड़ता है जबकि कविता एक पद्ययात्मक शैली में रचित की गई रचना होती है, जिसे गद्यात्मक शैली में अनुवादित करना होता है।

कविता का अनुवाद करते समय उसे गद्यात्मक शैली में परिवर्तित करते समय नए-नए शब्दों और वाक्यों का निर्माण करना पड़ता है। कविता के पद को व्याख्यात्मक रूप देना पड़ता है, इसी कारण कविता का अनुवाद गद्य की अपेक्षा अधिक कठिन होता है। पद्य शैली में रचित की की गई कविता आसानी से हर किसी को समझ नहीं आती, उसको समझने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता पड़ती है, जिन्हें भाषा में पूर्ण दक्षता प्राप्त हो और जो पद्य की समझ रखते हों। इसलिए उसमें अधिक श्रम लगता है। पद्य का अनुवाद करते समय नये शब्दों और वाक्यों की गद्य शैली में रचना करनी पड़ती है।

अनुवाद करने समय ये ध्यान भी रखना होता है कि कविता का मूल भाव और उसकी लय न बदलने पाये। कविता की लय और भाव ही उसकी सबसे बड़ी विशेषता होती है। इसलिए कविता का अनुवाद करने समय विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है। यही कारण है कि गद्य की अपेक्षा कविता का अनुवाद कठिन होता है। कविता की अपेक्षा गद्य का अनुवाद सरल इसलिए होता है, क्योंकि गद्य का अनुवाद करते समय से उसे गद्य शैली में ही अनुवादित करना होता है अर्थात दोनों स्रोत और लक्ष्य दोनों एक ही शैली है, इसी कारण बहुत अधिक नए शब्दों या वाक्यों की आवश्यकता नही पड़ती। उसे स्रोत से लक्ष्य भाषा में बस परिवर्तित कर दिया जाता है। इसी कारण गद्य का अनुवाद करना सरल होता है।


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