महादेवी वर्मा के जन्म के समय लड़कियों की दशा कैसी थी? आज उसमे क्या परिवर्तन आया हैं?

महादेवी वर्मा के समय लड़कियों की दशा अच्छी नहीं थी। जब महादेवी वर्मा का जन्म हुआ था तब उनके समय समाज में लड़कियों के जन्म को बहुत अधिक अच्छा नहीं माना जाता था। यदि लड़की के जन्म से पहले ही लड़की के माता-पिता और उसके घर वालों को पता चल जाता कि जन्म लेने वाली संतान लड़की है, तो उसका जन्म लेने से पहले ही भ्रूण हत्या कर दी जाती थी।

यदि कोई लड़की जन्म ले भी ली होती तो भी या तो उसे जन्म लेते ही मार दिया जाता था, नहीं तो उसका पालन पोषण भेदभाव पर आधारित होकर किया जाता था। लड़की को बोझ के समान समझा जाता था। उसे पराया धन माना जाता था कि एक दिन उसका विवाह हो जाना है और वह अपने ससुराल चली जाएगी। लड़की की पढ़ाई पर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था। उसके खानपान और पोषण पर भी उतना अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था। यदि संतान लड़की है तो उसके मुकाबले संतान लड़का होने पर लड़के पर अधिक ध्यान दिया जाता था और हर कार्य में भेदभाव किया जाता था।

लड़कियों को पौष्टिक भोजन कम मिलता था। लड़कों के मुकाबले उन्हें कम भोजन दिया जाता था। उनसे घर के सारे काम कराये जाते और उन्हें केवल घर चहारदीवारी और घरेलु कार्यो तक ही सीमित कर दिया जाता था। उनकी शिक्षा पर भी बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था।

हालांकि महादेवी वर्मा को इन सब स्थितियों का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि उनके पूरे खानदान में 100 वर्ष बाद किसी लड़की का जन्म हुआ था। इस कारण उनके दादा बेहद खुश हुए थे और उन्होंने इसी खुशी में उनका नाम महादेवी रखा था। महादेवी वर्मा का पालन पोषण भी पूरे लाड़-प्यार से हुआ।

आज के समय की बात की जाए तो आज के समय में लड़कियों की स्थिति और उनकी दशा बदली है। आज लड़कियों की शिक्षा पर भरपूर ध्यान दिया जाता है। उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाता। लड़कियों को भी लड़कों के समान ही भरपूर पोषण युक्त खाना मिलता है।

लड़कियां आज जीवन के हर क्षेत्र में अपनी कला और प्रतिभा से अपनी उपस्थिति को दर्ज करा रही हैं, इसलिए आज लड़कियों की स्थिति सुधरी है। हालांकि कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति में उतना अधिक बदलाव नहीं आया है लेकिन फिर भी स्थिति उतनी खराब नहीं है और धीरे-धीरे सब जगह बदलाव आ रहा है। शहरों में लड़कियों की स्थिति कहीं अधिक बेहतर है।


Other questions

किसके आने से लेखिका के जालीघर का वातावरण क्षुब्ध हो गया?

‘गिल्लू’ पाठ में लेखिका की मानवीय संवेदना अत्यंत प्रेरणादायक है । टिप्पणी लिखिए ।

Related Questions

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Questions