हमारे विचार के अनुसार बच्चों पर माता-पिता का इतना दबाव अच्छा और बुरा दोनों तरह से है, लेकिन इसमें अच्छाइयां अधिक है और बुराइयां कम है। इस विषय के संदर्भ में कुछ तर्क इस प्रकार हैं…
अच्छा : कोई भी माता पिता अपनी संतान का बुरा नहीं चाहते। वह हमेशा अपने बच्चों की भलाई चाहते हैं। इसलिए वह बच्चों पर कुछ दवाब बनाते हैं, ताकि उनके बच्चे अनुशासित रहें और अपने पढ़ाई आदि के प्रति सचेत रहें। यदि वे बच्चों पर दबाव नहीं बनाएंगे तो हो सकता है, बच्चे पढ़ाई के प्रति लापरवाह हो जाएं। इस तरह उनकी पढ़ाई प्रभावित हो सकती है और उनका करियर भी प्रभावित हो सकता है। माता पिता अपने बच्चों पर दबाव इसलिए बनाते हैं क्योंकि वह चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ लिख कर कोई अच्छा करियर बना ले ताकि उसका भविष्य सुरक्षित हो जाए। इसीलिए बच्चों पर दबाव बनाते हैं ताकि बच्चे अपने करियर के प्रति गंभीर रहें।
बुरा : कभी-कभी माता-पिता बच्चों पर अनावश्यक दबाव बना देते हैं। बच्चों की जिस विषय में रुचि नहीं होती, जिस तरह की पढ़ाई में रुचि नहीं होती, माता-पिता उसे वही पढ़ाई करने के लिए दबाव बनाते हैं। उदाहरण के लिए किसी बच्चे को यदि विज्ञान विषय पढ़ने में रुचि नहीं है और वह कला अथवा कॉमर्स विषय लेना चाहता है, लेकिन माता-पिता दवाब बनाकर उसे विज्ञान विषय लेने के लिए ही विवश करते हैं। इससे बच्चा अरुचि होने के कारण विज्ञान विषय में सफल नही हो पाता है और उसकी पढ़ाई प्रभावित होती है। इससे उसका भविष्य भी प्रभावित हो जाता है।
यदि बच्चे को उसकी रुचि के अनुसार उनकी उसकी मनपसंद का विषय लेने की छूट दी जाए तो शायद उस विषय में अधिक निपुण हो सकता है और किसी भी विषय में निपुण होने पर अच्छे करियर की संभावना होती है। अक्सर माता-पिता समाज की प्रवृत्ति के अनुसार चलते हैं। वह अपने बच्चे की रुचि नहीं बल्कि समाज की प्रवृत्ति देखते हैं। यदि समाज में डॉक्टर, इंजीनियर, वकील बनने की प्रवृत्ति अधिक है, तो वह अपने बच्चे को भी वही बनाना चाहते हैं। वो यह नहीं देखते कि उनके बच्चे की क्या बनने में रुचि है, इसी कारण में बच्चे पर अनावश्यक दबाव बनाते हैं जो कि बिल्कुल उचित नहीं है।
किसी को भी अपनी रूचि के अनुसार अपने जीवन को डालने का अधिकार है। माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों के साथ माता-पिता की तरह नहीं बल्कि दोस्त की तरह व्यवहार करें ताकि बच्चा अपनी हर परेशानी को माता-पिता से शेयर कर सके और वह बिना किसी दबाव के अपनी पढ़ाई की जरूरतों को माता-पिता को बता सके। आजकल के माता-पिता ऐसा करते भी हैं, लेकिन पहले के समय में ऐसा करना बहुत कम होता था।इस तरह हम कह सकते हैं माता द्वार माता पिता द्वारा बच्चों का जवाब बनाया जाना अच्छा भी है, और थोड़ा बुरा भी लेकिन इसमें अच्छाइयां अधिक है और बुराइयां कम है।
निष्कर्ष :
दोनों तर्को से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं, कि माता-पिता का अपने बच्चों पर उनके भविष्य के ध्यान देना तो उचित है ताकि उनका बच्चा अपने सही करियर को चुन सके लेकिन इसमें माता-पिता को बहुत अधिक दवाब नही देना चाहिए। उन्हें अपनी इच्छा अपनी संताप पर नहीं थोपनी चाहिए और अपनी संतान की इच्छा का भी ख्याल रखना चाहिए कि वास्तव में वो क्या करना चाहते हैं।
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