‘समाज सेवा ही ईश्वर सेवा है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।

विचार लेखन

समाज सेवा ही ईश्वर सेवा है

 

समाज क्या है? समाज का अस्तित्व मानव (मनुष्य ) से है। हम ईश्वर को को मंदिरों में, मस्जिद में, गिरिजा घरों में, जंगलों ,पर्वत ,पहाड़ों पर खोजते रहते है। ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए बड़े–बड़े यज्ञ अनुष्ठान करते रहते हैं। दूध से भगवान की मूर्तियों को नहलाया जाता है। यज्ञ में देसी घी इस्तेमाल होता है और तो और भोजन पकाकर उसे नदियों में बहा दिया जाता है क्योंकि ऐसा करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और जब किसी गरीब को कुछ देने की बात आए तो हम उसे दुत्कार देते हैं।

ईश्वर सृष्टि के कण–कण में विद्यमान है। भगवद् गीता में भी श्री कृष्ण भगवान नें कहा है कि मैं हर मानव (मनुष्य) के हृदय में वास करता हूँ । प्रत्येक मानव ईश्वर की ही रचना है और जब हम किसी मानव की सेवा करते हैं तो वास्तव में हम ईश्वर की ही सेवा करते हैं ।

कहते हैं कि जिसने मानव सेवा को ही अपना धर्म बना लिया उसे ईश्वर को खोजने की आवश्यकता नहीं है । अगर आप किसी भूखे को भोजन करवाते हो प्यासे को पानी पिलाते हो । किसी बीमार व्यक्ति की सेवा करते हो तो , ज़रूरत मंद को पैसे देते हो बुजुर्गों की सेवा करते हो तो आपको एक आंतरिक खुशी प्राप्त होती है । भगवान वही बसते हैस जहाँ सब के प्रति के लिए सेवा भाव होता है। दरअसल आपने यह सेवा मनुष्यों अथवा समाज के लिए की है लेकिन कहते हैं कि समाज सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है ।


Other questions

तुम अपने देश की सेवा कैसे करोगे ?​अपने विचार लिखो।

प्रौद्योगिकी इतनी आगे बढ़ चुकी है कि इनसानों की जगह मशीनें लेती जा रही हैं। अपने विचार लिखिए।

Chapter & Author Related Questions

Subject Related Questions

Recent Questions

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here