विचार लेखन
प्रौद्योगिकी के प्रभाव और दुष्प्रभाव
प्रौद्योगिकी अब इतना आगे बढ़ चुकी है कि इंसानों की जगह मशीनें ले चुकी है। इस बात में जरा भी संदेह नहीं है। आज हम चारों तरफ प्रौद्योगिकी का प्रभाव देख रहे हैं। प्रौद्योगिकी ने हमारे जीवन में इस कदर गहरी पैठ बना ली है कि हम प्रौद्योगिकी पर अत्याधिक निर्भर हो चुके हैं। पहले जो काम करने में हमें घंटो लगते थे, अब हम मिनटो में मशीनों की सहायता से हो जाते हैं। इसी कारण प्रौद्योगिकी के कारण इंसानों की जगह मशी लेती जा रही हैं, क्योंकि मशीनों द्वारा प्रौद्योगिकी की सहायता से हम लंबे समय में किए जाने वाले कार्य को थोड़े समय में ही संपन्न कर ले पा रहे हैं।
अगर कपड़े धोने की बात आए तो हम अब हाथ से कपड़े धोने की जगह वॉशिंग मशीन पड़ने पर निर्भर हो गए हैं। बर्तन धोने के लिए डिश वाशर का प्रयोग करते हैं। किसी इमारत में ऊपरी मंजिल पर चढ़ने के लिए सीढ़ियों की जगह अब लिफ्ट का उपयोग करते हैं। रसोई घर में मसाला पीसने के लिए मिक्सर का प्रयोग करते हैं। इसी तरह दैनिक जीवन के रोजमर्रा के कार्यों में इंसान जो काम खुद अपने हाथ से करता था, वह अब मशीनों के माध्यम से करने लगा है।
प्रौद्योगिकी के विकास के कारण मशीनों द्वारा इंसान का जगह लिए जाने के लाभ हैं तो इससे अधिक हानियाँ भी हैं। मशीनों द्वारा कार्य जहाँ हमारे समय की बचत होती है, यही एकमात्र लाभ है तो वहीं अनेक हानियाँ हैं। अब इंसान की शारीरिक गतिविधि कम हो गई है और वो आराम पसंद हो गया है, जो उसके लिए तरह-तरह के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं उत्पन्न करने का कारण बन रहा है।
मानव की जीवन शैली बिगड़ती जा रही है और वह मशीनों पर अत्याधिक निर्भर होने के कारण अपने खान-पान और जीवनशैली को दूषित कर चुका है। स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है, वही उनके पास नहीं रहेगा तो मशीन द्वारा जल्दी जल्दी काम निपटाकर समय की बचत करने का भी कोई औचित्य नही है।
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