बुद्धि लब्धि क्या है? विस्तार से बताएं। इंटेलीजेंट कोशेंट (आइक्यू) — Intelligent Quotient (IQ)

बुद्धि लब्धि इंटेलीजेंट कोशेंट (आइक्यू)

बुद्धि लब्धि या इंटेलीजेंट कोशेंट (आईक्यू) कई तरह के मानकीकृत परीक्षणों से प्राप्त एक गणना है। बुद्धि लब्धि की सहायता से किसी व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता का आकलन किया जाता है ।

बुद्धि लब्धि — इंटेलीजेंट कोशेंट (आइक्यू) ‘बुद्धि लब्धि’ यानी ‘इंटेलीजेंट कोशेंट’ (Intelligent Quotient)  से तात्पर्य मनुष्य की बौद्धिक क्षमता के आकलन से होता है। बुद्धि लब्धि शब्द बौद्धिक क्षमता के मापन के संदर्भ में प्रयुक्त किया जाता है।

हम सबको पता है कि किसी हर व्यक्ति की समान बुद्धि का स्तर समान नहीं होता। कोई बहुत अधिक बुद्धिमान होता है, तो कोई मध्यम स्तर का बुद्धिमान होता है। कोई व्यक्ति साधारण बुद्धि वाला होता है, तो कोई व्यक्ति मूर्ख होता है। किसी की भी बुद्धि का स्तर समान नहीं होता, इसी कारण कोई विद्वान बन जाता है, तो कोई वैज्ञानिक बन जाता है। कोई गणित, विज्ञान अथवा अर्थशास्त्र के बड़े-बड़े सूत्रों को आसानी से हल कर लेता है, तो कहीं कोई साधारण बुद्धि वाला होता है जो सामान्य बात को भी आसानी से समझ नहीं पाता और केवल साधारण कार्य करने तक ही सीमित रह जाता है।

मनुष्य की अलग-अलग बुद्धि क्षमता के अलग-अलग स्तर के अनेक कारण होते हैं। यह कारण कारण पारिवारिक कारण हो अथवा आनुवंशिक हो सकते हैं। सामाजिक कारण भी बुद्धि को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा व्यक्ति को मिलने वाली शिक्षा भी उसके बुद्धि के स्तर निर्धारित करने का एक मुख्य कारण हो सकती है।

मनुष्य की बाल्यावस्था से किशोरावस्था तक उसकी बुद्धि का निरंतर विकास होता रहता है। विकास की इस प्रक्रिया में आयु की एक ऐसी अवस्था आती है, जब मनुष्य की बुद्धि स्थिर हो जाती है। उसके बाद मनुष्य की बुद्धि का विकास नहीं होता। यह बुद्धि के विकास का चरम बिंदु होता है। इस स्थिर बिंदु के बाद मनुष्य की बुद्धि का विकास रुक जाता है और वह बुद्धि की पूर्णता को प्राप्त कर लेता है। बुद्धि लब्धि निरंतर परिवर्तनशील होती है और आयु के साथ-साथ बुद्धि लब्धि में परिवर्तन होता रहता है।

बाल्यावस्था और किशोरावस्था में जहां बुद्धि तीव्र होती है, वहीं प्रौढ़ावस्था में मनुष्य की बौद्धिक क्षमता में कमी भी आ सकती है बुद्धि लब्धि को मापने की प्रक्रिया में मानसिक आयु महत्वपूर्ण बिंदु होती है। मानसिक आयु से तात्पर्य उस आयु से होता है, जो किसी व्यक्ति के कार्यों द्वारा ज्ञात की जा सकती है जिस व्यक्ति से उसकी आयु में जिस सामान्य कार्य की अपेक्षा होती है, वह कार्य मनुष्य जिस क्षमता से करता है, उससे उसकी मानसिक आयु निर्धारित होती है। उदाहरण के लिए यदि कोई 12 वर्ष का बच्चा यदि 16 वर्ष के बच्चे की क्षमता वाले सारे प्रश्नों को हल कर लेता है तो उसे इसकी मानसिक आयु माना जायेगा।

बुद्धि लब्धि (आईक्यू) को निकालने के लिये निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है।

बुद्धि लब्धि : मानसिक आयु X 100 /वास्तविक आयु

प्रतिभाशाली ➔ 140 या उससे उपर
अतिश्रेष्ठ 120 से 139
श्रेष्ठ 110 से 119
सामान्य 90 से 109
मन्द 80 से 89
सीमान्त मंद बुद्धि 70 से 79
मंद बुद्धि 60 से 69
हीन बुद्धि 20 से 59
जड़ बुद्धि 20 से कम

अलग-अलग आयु के अलग-अलग बालकों की बुद्धि-लब्धि की परीक्षा के लिए उनके लिए अलग-अलग प्रश्नों का सेट तैयार किया जाता है और उनकी आयु के अनुसार तैयार किए गए प्रश्नों के सेट से जो प्रश्न पूछे जाते हैं और उनके द्वारा दिए गए उत्तर के आधार पर बुद्धि लब्धि निकाली जाती है।

बुद्धि लब्धि बुद्धि का क्षेत्र व्यापक और जटिल होता है। बुद्धि के लिए एक निश्चित पैमाना बना पाना सरल कार्य नहीं होता। किसी भी व्यक्ति के व्यवहार से उसकी बुद्धि के स्तर का आकलन नहीं किया जा सकता। एक बुद्धिमान व्यक्ति भी खराब व्यवहार कर सकता है और एक कम बुद्धि वाला व्यक्ति अच्छा व्यवहार कर सकता है, इसलिए बुद्धि लब्धि के मापन के लिए एक विशिष्ट सूत्र को तैयार किया गया, जिसके आधार पर बुद्धि लब्धि का मापन किया जा सकता है। यह बुद्धि लब्धि का सूत्र ऊपर दिया गया सूत्र ही है।

बुद्धि लब्धि के जनक के तौर पर विद्वान टर्मन को जाना जाता है, जिन्होंने बुद्धि लब्धि के सूत्र का सर्वप्रथम सही और परिमार्जित रूप में प्रतिपादन किया था।


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