‘भाइयों और बहनों’ शब्द का प्रयोग बूढ़े सियार ने किया था। इन शब्दों का प्रयोग बूढ़े सियार ने तब किया, जब संत का छद्म वेश बनाकर बैठे भेड़िए के दर्शन करने के लिए हजारों भेड़े आईं और जब उन्होंने संत का रूप धारण किए भेड़िए को पहचान लिया तो वहां से वापस भागने लगी। तब बूढ़े सियार ने भेड़ों को रोकते हुए ‘भाइयों और बहनों’ शब्दों का प्रयोग किया। इन शब्दों का प्रयोग करके वह भेड़ों को समझा-बुझाकर रोक लेना चाहता था। उसने यह भेड़ों को यह समझाने की चेष्टा की कि डरो मत, यह भेड़िए एक बहुत बड़े संत हैं। इन्होंने हिंसा बिल्कुल छोड़ दी है, यह केवल आपका हित चाहते हैं।
‘भेड़ और भेड़िया’ कहानी ‘हरिशंकर परासाई’ द्वारा रचित एक व्यंग्यात्मक कहानी है, जिसके माध्यम से उन्होंने जंगल के भेड़ और भेड़ियों को आधार बनाकर राजनीति पर करारा व्यंग्य किया है।
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“थाल मे लाऊँ सजाकर भाल जब भी” पंक्ति मे निहित भाव को स्पष्ट कीजिए।