अनुच्छेद
यात्रा जिसे मैं भूल नहीं सकता (संस्मरण)
वह यात्रा जो मैं कभी भूल नहीं सकता। यह यात्रा मेरे मन मस्तिष्क पर पूरी तरह अंकित हो गई थी। हुआ यूं कि गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने नाना नानी के घर जा रहा था। मेरे साथ मेरे माता-पिता और छोटी बहन भी थी। हमारे नाना-नानी का घर हमारे शहर से 500 किलोमीटर दूर दूसरे शहर में था।
हम चारों बस से नाना नानी के घर जाने के लिए सवार हुए क्योंकि नाना नानी के घर तक कोई ट्रेन नहीं जाती थी। 500 किलोमीटर दूर बस की यात्रा का सफर 7-8 घंटे में पूरा होना था। हम लोग सुबह 10 बजे बस में सवार हो गए। सात आठ घंटे का सफर काटना काफी उबाऊ होना था लेकिन बस में हमारा 7-8 घंटे का सफर यूं कट गया कि हमें पता ही नहीं चला। इसका मुख्य कारण हमारे साथ बस में सवार हुए वह सज्जन थे, जो पूरी बस में हमारा मनोरंजन करते रहे।
वह सज्जन बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने न केवल तरह-तरह के चुटकुले सुनाए बल्कि कई प्रसिद्ध व्यक्तियों की मिमिक्री भी की। उन्होंने हम सब बस यात्रियों का पूरे यात्रा के दौरान अच्छा खासा मनोरंजन किया। उनके द्वारा किए गए मनोरंजन के कारण हमें बस की लंबी यात्रा बेहद छोटी लगी। उनकी बातें इतनी मनमोहक थीं कि हमारा मन कर रहा था कि बस का सफर कभी खत्म नहीं हो और हम उनकी बातें सुनते रहे। जब हमारा स्टॉप आ गया तो हमने उनसे विदा ली। उन्हें आगे जाना था। हमनें हमारा सफर आसान बनाने के लिए उन्हें धन्यवाद किया। सच में बस की वह यात्रा बेहद अविस्मरणीय रही। बस की वह यात्रा मैं भूल नहीं सकता।
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