अनुच्छेद
कक्षा में मेरा पहला दिन
कक्षा में पहला दिन हर किसी छात्र के जीवन में एक बेहद रोमांचक दिन होता है। मेरे पिताजी का ट्रांसफर दूसरे शहर में हुआ था और मेरा नए विद्यालय में एडमिशन हुआ था। विद्यालय जिस दिन से आरंभ हुआ, वह दिन कक्षा में मेरा पहला दिन था। नई कक्षा नए विद्यालय की अनुभूति अलग ही थी।
नए वातावरण में मुझे कुछ घबराहट सी हो रही थी। मेरे मन में तरह-तरह के विचार कर रहे थे कि पता नहीं कक्षा में कैसे विद्यार्थी होंगे। कोई मेरा अच्छा दोस्त बन पाएगा या नहीं। सही समय पर मैं विद्यालय पहुंच गया। जैसे ही मैं अपनी कक्षा में घुसा, सभी विद्यार्थियों ने मेरा तेज आवाज में स्वागतम कहकर स्वागत किया। मैं कक्षा का सबसे नया विद्यार्थी था। मुझे सबसे आगे की ही बेंच मिली। मेरी बगल वाली सीट पर एक और विद्यार्थी बैठा था जो उस विद्यालय में कई साल से पढ़ रहा था।
पहला पीरियड आरंभ हुआ और हमारे कक्षा अध्यापक का प्रवेश हुआ। उन्होंने सबसे पहले मेरा नाम पूछा और कहां से आए हो? यह पूछा मैंने अपने सारा विवरण बता दिया उन्होंने बेहद प्यार भरे विनम्र और स्वर में मुझसे बातें की जिससे मेरी घबराहट कम हुई। मेरे साथ जो विद्यार्थी बैठा था, उसने मध्यांतर में उससे मेरी बहुत अधिक बातें हुई। पहले दिन ही वह मेरा अच्छा दोस्त बन गया था।
उसकी काफी रुचियां मेरी ओर से मिलती जुलती थीं। कक्षा में अन्य चार पांच विद्यार्थियों से भी मेरी बातचीत हुई और उन सब से बातचीत करके मेरे मन की झिझक खत्म हो गई और मुझे ऐसा महसूस ही नहीं हो रहा था कि यह कक्षा में मेरा पहला दिन है। सारे विद्यार्थी हंसमुख स्वभाव के थे। शाम को जब विद्यालय समाप्त होने के बाद मैं अपनी कक्षा से बाहर निकला तो मेरे मुझको ऐसा अनुभव ही नहीं हो रहा था कि आज इस कक्षा में मेरा पहला दिन था। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं बहुत समय से यहाँ पर पढ़ रहा हूँ। कुल मिलाकर कक्षा में पहले दिन का मेरा अनुभव बेहद अच्छा रहा।
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