हमारा जीवन दूसरों की सहायता करने से ही सफल होता है यह बात बिल्कुल सच प्रतिशत सत्य है। ‘गानेवाली चिड़िया’ पाठ के आधार पर कहा जाए तो यह बात बिल्कुल सही सिद्ध होती है।
हमारे जीवन का उद्देश्य केवल अपने स्वार्थ के लिए ही जीना नहीं होता बल्कि हमारा जीवन सार्थक तभी होता है, जब हम दूसरों के भी काम आए। हम दूसरों के लिए भी कुछ ऐसे कार्य करें जिससे उनका भला हो। केवल अपने स्वार्थ के लिए जीवन जीने वाले व्यक्ति का जीवन कभी भी सफल जीवन नहीं माना जा सकता। अपने हित की चिंता करना, हर मनुष्य का स्वभाविक लक्षण है, लेकिन केवल अपने हित के बारे में ही सोचना ये बिल्कुल भी उचित नही है। अपने लिए तो सभी जीते हैं, सच्चा मनुष्य तो वही है जो दूसरों के लिए जीए। आज तक जितने भी प्रसिद्ध महापुरुष हुए हैं, उन्होंने हमेशा समाज के लिए कुछ अच्छे कार्य किये। उन्होंने दूसरों के लिए कुछ ना कुछ दिया। वह दूसरों के हित के लिए कुछ करके गए, इसलिए हम आज तक तक याद करते हैं। सभी महापुरुषों में कोई भी ऐसा नहीं है, जिसने दूसरों के लिए कुछ ना कुछ नहीं किया हो। जो केवल अपने लिए ही जीवन जीते रहे, उनका आज नाम लेने वाला कोई नहीं है। कोई उन्हें याद नहीं करता।
‘गानेवाली चिड़िया’ पाठ में भी चिड़िया सदैव दूसरों की भलाई का सोचती थी। वह राजा को गाना सुनाने के लिए राजी हुई तो उसे मजदूर और किसानों को भी गाना सुनाने की चिंता थी। उसने अपने मधुर गाना केवल राजा के लिए ही नहीं बल्कि किसान मजदूर सभी के लिए सुनाया। उसे सबके हित की चिंता थी। इसी कारण वह सबको प्रिय थी। उसका जीवन वास्तव में सफल जीवन था क्योंकि वह अपने मधुर सबकों खुश रखने का प्रयास करती थी।
निष्कर्ष :
अंत में ‘गानेवाली चिड़िया’ पाठ में चिड़िया के आचरण से हमें यही सीख मिलती है कि हमारे जीवन दूसरों की सहायता करने से ही सफल होता है। हमें केवल स्वयं के बारे में नहीं सोचना चाहिए बल्कि दूसरों की सहायता करने के लिए भी सदैव तत्पर रहना चाहिए। हमारा जीवन केवल स्वार्थ (स्वयं का हित) पर नही बल्कि परमार्थ (दूसरों का हित) पर आधारित होना चाहिए।
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