वापसी यात्रा में ईश्वरी ने बीर को इसलिए डांटा क्योंकि बीर ने असभ्य व्यवहार किया था। बीर ने ट्रेन में ना केवल एक गरीब यात्री को तमाचे मारे, उसे धक्का दिया उसे भला-बुरा कहा बल्कि उससे पहले ईश्वरी के घर पर ही नौकरों और मुंशी रियासत अली को डांटा फटकारा।
बीर पर जमीदारी के बनावटी रूप का नशा चढ़ चुका था और वह स्वयं को जमीदार का ही पुत्र समझने लगा था, और वह अपने स्वाभाविक विचारों को छोड़कर जमींदारों के पुत्र जैसा आचरण करने लगा। इसी कारण वापसी यात्रा में ईश्वरी ने बीर को डांटा, क्योंकि उस पर झूठी जमींदारी का नशा चढ़ चुका था।
‘नशा’ कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी है, जिसमें ईश्वरी और बीर के दो मुख्य पात्र हैं। ईश्वरी जमीदार का बेटा है जबकि बीर एक साधारण क्लर्क का बेटा था। दोनों आपस में मित्र थे। बीर हमेशा जमींदारों के आचरण की आलोचना करता रहता था लेकिन ईश्वरी चुपचाप सुनता रहता था।
एक बार ईश्वरी बीर को अपने घर ले गया तो उसने अपने घर में बीर का सबसे परिचय यह कहकर कराया कि बीर भी एक जमीदार का बेटा है। ईश्वरी द्वारा बीर का ऐसा परिचय कराये जाने पर बीर थोड़ी देर के लिए स्वयं को जमीदार के पुत्र जैसा ही समझने लगा।
उस पर जमींदारी का नशा चढ़ चुका था। उसने ईश्वरी के घर पर जमीदार जैसा आचरण करना शुरु कर दिया। उसने नौकरों को तथा मुंशी को डांटा और ट्रेन में एक गरीब मुसाफिर को जरा सी गलती पर मारा। उस पर झूठी जमींदारी का नशा चढ़ चुका था इसलिए ईश्वरी ने बीर को डांटा।