निर्बल जन की सेवा करने के लिए मन में सेवा भाव होना जरूरी है। किसी भी निर्बल जन सेवा करने के लिए पहले मन में सेवा भाव अपनाना आवश्यक है। बिना सेवा भावना के निर्बल जन की सेवा नहीं की जा सकती। किसी भी निर्बल जैन की सेवा एक औपचारिकता नहीं बल्कि उसके प्रति समर्पण की भावना है। निर्बल जन की सेवा करने के लिए हमें लोगो की पहचना करनी होगी जो वास्तव में निर्बल हैं। हमें उन लोगों की समस्याओं को जानकर उनके लिये उचित समाधान प्रदान करना होगा।
जैसे अनेक बेघर लोग होते हैं, जिनके पास रहने के लिए घर तक नही और वो सड़क किनारे फुटपाथ पर अपना जीवन गुजारने के लिए विवश है। ऐसे लोगों के लिए हम रहने के आवास का प्रबंध कर सकते हैं। इसके लिए हमें ऐसे स्वयंसेवी संस्थाओं से संपर्क करना होगा जो बेघर लोगों के लिए रहने का प्रबंध करती है। हम ऐसे लोगों के रहना का प्रबंध करने के लिए बड़े उद्योगपतियो और समाज के प्रतिष्ठित लोगों से भी संपर्क कर सकते है कि वो लोंग आगे आएं और बेघर लोगों के आवास के प्रबंध के लिए कुछ दान करें।
बहुत से निर्बलजन ऐसे हैं, जिनके पास पहनने के लिए पर्याप्त कपड़े तक नहीं होते है। ऐसे कड़कती ठंड में कंपकपाते हुए अपना जीवन बिताने के लिए मजबूर होते है। ऐसे लोगों के लिए कंबल और कपड़े आदि बांटकर उनकी सेवा कर सकते हैं। ऐसे असहाय लोगों के लिए जो दो वक्त का खाना मुश्किल से जुटा पाते है उनके लिए खाने का प्रबंध किया जा सकता है।
गरीब बस्ती में रहने वाले गरीब माँ-बाप के बच्चे जो पैसे के अभाव के कारण पढ़ाई से वंचित हैं, ऐसे बच्चों के लिए पढ़ाई का प्रबंध कर सकते हैं ताकि उन्हें शिक्षा मिले और वह अपने जीवन को संभाल सके। इस तरह ऐसे अनेक कार्य हैं जिनके माध्यम से हम निर्बल जन की सेवा कर सकते हैं।
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