सही विकल्प होगा…
(ख) परोपकार के लिए
विस्तार से समझें…
‘जो जिया न आपके लिए’ इस पंक्ति का भाव यही होगा कि जो परोपकार का कार्य नहीं करता। जो दूसरों के लिए नहीं जीता, जिसने परोपकार का कोई कार्य नहीं किया हो। जो कभी दूसरों के काम नहीं आया हो, जिसने दूसरे के दुख को अपना दुख नहीं समझा हो, जिसने पर पीड़ा में अपनी पीड़ा नहीं महसूस की हो, ऐसा व्यक्ति कभी दूसरों के लिए नहीं जीता। वो केवल अपने स्वार्थ के लिए जीता है। उसे केवल अपने स्वार्थ की चिंता होती है, उसे दूसरों के दुख दर्द से कोई मतलब नहीं होता। ऐसा व्यक्ति परोपकार का कोई कार्य भी नहीं करते। वो केवल वही कार्य करते हैं, जहाँ पर उनके स्वार्थ की सिद्धि होती हो। यानि जहाँ पर उनका मतलब पूरा होता हो, उनको फायदा होता हो।