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लहरों के आने पर काई की दशा कैसी हो जाती है?

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लहरों के आने पर काई फटने लगती है और चारों तरफ फैल जाती है। इस तरह लहरों के आने पर काई का कोई अस्तित्व नहीं रहता।

 

कवि ‘भवानी प्रसाद मिश्र’ अपनी कविता ‘प्राणी वही प्राणी है’ के माध्यम से कहते हैं कि…

तापित को स्निग्ध करे,
प्यासे को चैन दे;
सूखे हुए अधरों को
फिर से जो बैन दे
ऐसा सभी पानी है। 

लहरों के आने पर,
काई-सा फटे नहीं;
रोटी के लालच मे
तोते-सा रटे नहीं
प्राणी वही प्राणी है।

लँगड़े को पाँव और
लूले को हाथ दे,
सत की संभार में
मरने तक साथ दे,
बोले तो हमेशा सच,
सच से हटे नहीं;
झूट के डराए से
हरगिज डरे नहीं
सचमुच वही सच्चा है।

अर्थात कवि कहना चाहता है कि लहरों के आने पर जो काई की तरह फट जाता है, वह प्राणी नहीं बनना है, क्योंकि इससे उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। यहाँ पर लहरों से तात्पर्य जीवन के संकटों से है। जो प्राणी जो मनुष्य जीवन के संकटों से घबराकर टूट कर बिखर जाता है वह कभी जीत नहीं सकता।

मनुष्य को ऐसा होना चाहिए जो अपनी संकटों के आने पर भी विचलित ना हो और दृढ़ता से मुकाबला कर संकट पर विजय पाये। जो हमेशा सच बोलता है, वो झूठ के बहकावे में नही आता है, वही सच्चा मनुष्य है।


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नवीन जीवन-दृष्टि एवं विचारों के प्रसार के लिए हमारे अंदर किन-किन गुणों का होना आवश्यक है? और क्यों?​

विश्व-नागरिक होने की भावना ही व्यक्ति के मन में सच्ची मानवता का संचार करती है। इस पर अपने विचार लिखिए।

जलीय पौधों में मूलरोम नहीं होते फिर भी इन पौधों को जल के अवशोषण में कठिनाई नहीं होती, क्यों?

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जलीय पौधों में मूलरोम नहीं होते, फिर भी इन पौधों को जल के अवशोषण में कठिनाई इसलिए नहीं होती क्योंकि जलीय पौधों के तने अनुकूलित होते हैं जो कि स्वयं को पानी के अवशोषण के अनुसार ढाल लेते हैं।

जलीय पौधों के तनो में यह गुण होता है, कि वो नरम एवं प्रत्यास्थ होते हैं, जिस कारण यह आवश्यकता पड़ने पर पानी का अवशोषण कर लेते हैं। वास्तव में पौधों में मूलरोम यानि जड़ का मुख्य कार्य पौधे के लिए पानी का अवशोषण करना ही होता है, इसीलिए भूमि पौधों में जड़े पाई जाती हैं क्योंकि वह भूमि के अंदर गहराई तक जाकर जल का अवशोषण कर सकें। जलीय पौधों तो पानी में होते हैं तो यहां पर जड़ों का कोई कार्य नहीं होता, इसलिए पानी के अवशोषण का कार्य तने ही कर लेते हैं, जो कि वायवीय होते है, और आसानी से पानी का अवशोषण कर लेते है। यही कारण है कि जलीय पौधों में मूल रोम न होने के बावजूद जव अवशोषण में कोई कठिनाई नहीं होती।


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वर्षा जल संग्रहण के तीन लाभ लिखिए।

डाक विभाग में लिपिक की नौकरी के आवेदन के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

औपचारिक पत्र

डाक विभाग में लिपिक की नौकरी के आवेदन के लिए प्रार्थना पत्र

 

संतोष वर्मा,
रवि कुंज,
सिमित्री रोड, कार्ट रोड,
शिमला -171002।

दिनाँक : 9 अप्रेल 2024

सेवा में,
मुख्य डाक अधिकारी,
मुख्य डाक घर,
शिमला- 171001,

विषय : लिपिक के पद हेतु आवेदन

श्रीमान जी,
पूरे सम्मान के साथ, मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि मुझे दैनिक समाचार पत्र ‘दृष्टि’ के माध्यम से यह पता चला है कि आप के कार्यालय में एक लिपिक का पद खाली है और आपने उसे भरने के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।

मैं स्नातक पास हूँ और अभी मैं कम्प्यूटर एप्लिकेशन का कोर्स दूर-शिक्षण के माध्यम से कर रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि मैं आपके कार्यालय के लिपिक के पद लिए योग्य प्रार्थी होऊंगा।

मैंने दो साल तक एक निजी कंपनी में लिपिक का कार्य भी किया है। इसलिएस मेरे पास दो वर्षों का लिपिकीय अनुभव है। मैं कार्यालय के सभी तरह के कार्यों में अभ्यस्त हूँ और अपने कार्य को सदा मैं पहली प्राथमिकता देता हूँ। मैं मानता हूँ कि जो इंसान अपने कार्य को सत्यनिष्ठा से करता है वह जिंदगी में सदैव अपने मकसद को हासिल करता है।

श्रीमान जी, मुझे विश्वास है कि मैं आपके विभाग में लिपिक की नौकरी के आवश्यक मानदंडो पर खरा उतरूंगा और आपको कभी भी शिकायत का मौका नहीं दूंगा। मैं एक निम्न वर्ग के परिवार से संबंध रखता हूँ और नौकरी की मुझे सख्त ज़रूरत है और इस नौकरी की मेरे लिए बहुत अहमियत है।

इसलिए श्रीमानजी आप से अनुरोध है कि इस लिपिक के पद के लिए मेरा आवेदन स्वीकार करने की कृपा करें और मुझे आपके कार्यालय में सेवाएँ देने का एक मौका प्रदान करें।

संक्षिप्त बायोडाटा

नाम : संतोष वर्मा
जन्मतिथि : 12 अगस्त 1996
शैक्षणिक योग्यता :

10th – राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल, शिमला से 65% अंको से 2011 में उत्तीर्ण
12th – राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल, शिमला से 70% अंको से 2013 में उत्तीर्ण
B.com – शिमला विश्वविद्यालय, शिमला से 80% अंको से उत्तीर्ण

अनुभव : दो वर्षों का एक निजी संस्थान में लिपिक के रूप में कार्य

पत्र के साथ संलग्न : सभी प्रमाणपत्रो की प्रतिलिपियां

 

धन्यवाद,

भवदीय,
संतोष वर्मा,
A-45, जनता कॉलोनी,
शिमला


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महामाया कौन सा समास है?

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महामाया : महान है जो माया

समास भेद : कर्मधारण्य समास

‘महामाया’ में ‘कर्मधारण्य समास’ होगा
स्पष्टीकरण

‘महामाया’ में ‘कर्मधारय समास’ इसलिए है क्योंकि जब महामाया समस्त पद का समास विग्रह करते हैं तो समास विग्रह में द्वितीय पद प्रधान होता है और प्रथम पद एक विशेषण की तरह कार्य कर रहा है, इसलिए यहां पर कर्मधारय समास होगा।

कर्मधारय समास में प्रथम पद विशेषण होता है और दूसरा पद विशेष्य होता है। इसमें सभी पद प्रधान होते हैं।

कर्मधारय समास की परिभाषा के अनुसार कर्मधारय समास में पहला पद एक विशेषण का कार्य करता है तथा दूसरा पद उसका विशेष्य होता है। कर्मधारय समास में पहला पद उपमान तथा दूसरा पद विशेष्य का कार्य करता है।

कर्मधारण्य समास के कुछ उदाहरण

विश्वव्यापी : विश्व में व्याप्त है जो
नीलांबर : नीला है जो अंबर
चरणकमल : चरण के समान कमल
कामधेनु : कामना पूरा करने वाली धेनु (गाय)

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“अगर तुम्हें कोई ज़्यादा दे तो अवश्य चले जाओ जाओ। मैं तनख्वाह नहीं बढ़ाऊँगा।” a) प्रस्तुत कथन का वक्ता कौन है ? उसका पूरा परिचय दीजिए। b) प्रस्तुत कथन का श्रोता कौन है ? इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिए। c) प्रस्तुत कहानी का उदेश्य स्पष्ट कीजिए।​ (बात अठन्नी की)

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“अगर तुम्हें कोई ज़्यादा दे तो अवश्य चले जाओ जाओ। मैं तनख्वाह नहीं बढ़ाऊँगा।”

 

a) उपरोक्त कथन का वक्ता बाबू जगत सिंह है, जो पेशे से इंजीनियर हैं। वह अपने नौकर रसीला से यह बात कह रहे हैं। समाज में यूँ तो वह  एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के तौर पर जाने जाते हैं, लेकिन वह एक रिश्वतखोर व्यक्ति भी हैं और उनका स्वभाव बेहद कठोर है। उनका नौकर रसीला उनसे वेतन बढ़ाने की प्रार्थना कर रहा है। इसीलिए उसी संदर्भ में उन्होंने ये कथन कहा है। जब उसने अपना वेतन बढ़ाने की बात कही तो बाबू जगत सिंह ने बेहद कठोर स्वर में उसे यह कथन कहा।

b) इस कथन का श्रोता रसीला है। वह इंजीनियर बाबू जगत सिंह के यहाँ नौकर था। उसका वेतन केवल ₹10 था। उसके परिवार में बूढ़े पिता, उसकी पत्नी और उसके तीन बच्चे थे। सभी के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उसके ऊपर ही था। ₹10 में उसका गुजारा नहीं हो पता था, इसलिए उसने इंजीनियर बाबू जगत सिंह से वेतन बढ़ाने की प्रार्थना की थी।

c) ‘बात अठन्नी की’ कहानी का मुख्य उद्देश्य समाज के तथाकथित प्रतिष्ठित लोगों के पाखंड को उजागर करना है। समाज में ये तथाकथित प्रतिष्ठित और सम्माननीय लोग अंदर से कितने संकीर्ण हृदय वाले होते हैं, यही इस कहानी के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है।

लेखक ने कहानी के माध्यम से यह बताया है कि यह सम्माननीय लोग बाहर से ईमानदार और अच्छे होने का ढोंग करते हैं, लेकिन ये खुद संकीर्ण हृदय वाले और बेईमान होते हैं। यह अपने गरीब नौकर की मामूली सा वेतन बढ़ाने में भी संकोच करते हैं और केवल अठन्नी कैसे मामूली रकम के लिए नौकर को जेल भिजवाने से भी नहीं चूकते। लेकिन खुद हजारों रुपये की रिश्वत लेते हैं। अदालत भी गरीबों के साथ न्याय नही करती।

इस कहानी के माध्यम से ये बताने का प्रयास किया गया है कि हमारी सामाजिक और न्यायिक व्यवस्था केवल गरीब और कमजोर लोगों के अपराध पर ही सजा दिलवा पाती है। बड़े चोरों और बड़े अपराधी आराम से बच निकलते हैं। ‘बात अठन्नी की’ जैसी मामूली रकम के हेरफेर के लिए नौकर रसीला को 6 महीने की कठोर सजा हो जाती है, लेकिन हजारों रुपए की रिश्वत लेने वाले बाबू जगतसिंह जैसे तथाकथित प्रतिष्ठित लोगों का कुछ नहीं होता।

‘बात आठन्नी की’ सुदर्शन द्वारा लिखी गई एक सामाजिक पृष्ठभूमि की कहानी है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज में बैठे तथाकथित प्रतिष्ठित लोगों के पाखंड को उजागर किया है। कहानी के मुख्य पात्रों में दो नौकर रसीला और रमजान हैं तो वही बाबू जगत सिंह भी कहानी के प्रमुख पात्र हैं।

बाबू जगत सिंह इंजीनियर हैं। रसीना उनके यहां नौकर है। एक बार उसे अपने परिवार के पास कुछ पैसे भेजने की जरूरत पड़ी तो वह अपने मालिक से वेतन बढ़ाने की बात करता है लेकिन उसका मालिक बाबू जगत सिंह उसका वेतन बढ़ाने से इनकार कर देते हैं। उसे एडवांस पैसे भी नही देते। रसीला अपने दोस्त रमजान जोकि पड़ोस में ही जज साहब के यहां नौकर था, उससे कुछ पैसे उधार लेता है। उन पैसों को वह अपने गाँव भेज कर अपनी समस्या को सुलझाता है। धीरे-धीरे वह रमजान के लगभग सभी पैसे चुका देता है, केवल अठन्नी की रकम रह जाती है।

एक बार बाबू जगत सिंह उसे कुछ सामान लाने के लिए पैसे देते हैं तो रसीला उनमें से अठन्नी बचा लेता है और उसे रमजान को दे देता है ताकि उसका पूरा कर्ज चुक जाए। बाबू जगत सिंह उसकी एक छोटी सी चोरी को पकड़ लेते हैं और उसे पुलिस के हवाले कर देते हैं। जहां पर अदालत भी उसके खिलाफ फैसला सुनाती है और उसे 6 महीने की सजा होती है।

बाबू जगत सिंह अठन्नी जैसी मामूली रकम के लिए भी उसको क्षमा नहीं करते और अपने धनबल और जज के साथ अपनी दोस्ती के कारण उसे 6 महीने की सजा दिलवा देते हैं। जबकि बाबू जगत सिंह और जज दोनों बड़े रिश्वतखोर हैं और हजारों रुपए की रिश्वत लेते हैं, लेकिन उन लोगों का कुछ नहीं होता ।

इस कहानी के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया है कि समाज में केवल छोटे और गरीब चोरों को ही सजा हो पाती है, बड़े-बड़े सफेदपोश चोर समाज में खुलेआम घूमते रहते हैं। उनका कोई कुछ नहीं कर पाता।


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निम्नलिखित में से कृषि क्षेत्र में कौन-सी बेरोजगारी पाई जाती है? A. अदृश्य बेरोजगारी B. संरचनात्मक बेरोजगारी C. औद्योगिक बेरोजगारी D. शिक्षित बेरोजगारी

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सही विकल्प होगा :

A. अदृश्य बेरोजगारी

कृषि क्षेत्र में जो बेरोजगारी पाई जाती है, उसे अदृश्य बेरोजगारी कहते हैं। अदृश्य बेरोजगारी को एक अन्य नाम ‘प्रच्छन्न बेरोजगारी’ से भी जाना जाता है।

विस्तार से समझें :

‘अदृश्य बेरोजगारी’ से तात्पर्य उस बेरोजगारी से होता है, जिसमें कोई श्रमिक कार्य तो कर रहा होता है, लेकिन उस श्रमिक की उस कार्य हेतु कोई बहुत अधिक आवश्यकता नहीं होती यानी उसके बिना भी वह कार्य किया जा सकता है। चूँकि श्रमिक के पास अन्य कोई कार्य नहीं होता है, तो इस कारण में वो उसी कार्य में संलग्न हो जाता है, जो उसके सामने उपलब्ध है। इस कारण उस श्रमिक को उसके श्रम का भरपूर पारिश्रमिक भी नहीं मिलता और ना ही उसकी श्रमिक क्षमता का पूर्ण उपयोग हो पाता है।

इस तरह की बेरोजगारी को अदृश्य बेरोजगारी अथवा छिपी हुई बेरोजगारी अथवा प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते हैं। यह बेरोजगारी अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाती है। यह बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में आम है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक रोजगार ना होने के कारण एक खेत पर काम करने के लिए जितने अधिक लोगों की आवश्यकता होती है, उससे कहीं अधिक संख्या में लोग उपलब्ध होते हैं। वह सभी लोग एक ही कार्य में लग जाते हैं।

‘प्रच्छन्न बेरोजगारी’ अथवा ‘छुपी हुई बेरोजगारी’ में यह जरूरी नहीं होता कि नियोक्ता कर्मचारी को कोई भुगतान करे ही। कहीं-कहीं पर वह केवल दिखावे के लिए कर्मचारी की नियुक्ति तो कर देता है लेकिन उसे कोई भुगतान नहीं देता।


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हजामत के अलावा नाइयों में कौन-कौन से गुण हुआ करते थे?

शहर में बढ़ते हुए संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को एक प्रार्थना पत्र लिखिये।

औपचारिक पत्र

संक्रामक रोगों के संबध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी को प्रार्थना पत्र

 

दिनाँक- 29 मार्च 2024

सेवा में,
मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी,
नगर निगम, शिमला-171001,
हिमाचल प्रदेश

विषय: बढ़ते हुए संक्रामक रोगों की बाबत

महोदय,

इस पत्र के माध्यम से मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि मैं खलिनी, शिमला की ग्रीन पार्क कॉलोनी का स्थायी निवासी हूँ और पिछले कुछ समय से इस क्षेत्र में गंदगी को लेकर आपको अवगत कराना चाहता हूँ। यहाँ पर बहुत गंदगी फैल गयी है और कोई भी निगम का कर्मचारी यहाँ पर सफाई के लिए नहीं आता।

जैसा कि आप जानते हैं कि इस बार बरसात बहुत हुई है और बरसात के कारण पेड़ों के पत्ते और डंगे से निकली मिट्टी सारी कॉलोनी में फैली हुई है। नालियाँ जाम हो गयी हैं और गंदा पानी नालियों में इक्कठा हो गया है और इस वजह से मक्खी और मच्छर इकट्ठे हो गए हैं जिस कारण बहुत से संक्रामक रोग फैल रहे है।

काफी समय से निगम का सफाई कर्मचारी भी नहीं आ रहा है, इस कारण आस-पास के लोग भी कॉलोनी के बाहर कूड़ा खुले में ही फेंक कर चले जाते हैं और इस वजह से हम कॉलोनी वासियों को गुजरना भी मुश्किल हो गया है। एक सभ्य नागरिक होने के नाते, मैं अपनी ज़िम्मेदारी समझता हूँ कि कॉलोनी इस विचारणीय दशा के बारे में आपको बताऊँ क्योंकि मुझे लगता है कि इस बावत अगर कोई कदम नहीं उठाया गया तो हम सब को महामारी का सामना करना पड़ेगा ।

इसलिए आपसे निवेदन है कि आप हमारी कॉलोनी और इसके आस-पास के क्षेत्र की नियमित सफाई के लिए शीघ्र ही उचित प्रबंध करने की कृपा करें ताकि इस गंदगी से हम सब कॉलोनी वासियों को छुटकारा मिल सके और संक्रामक रोगों की रोकथाम की जा सकेसधन्यवाद।

आपका विश्वासी,
विनीत ठाकुर,
सेट न. 24, ग्रीन पार्क कॉलोनी,
खलिनी, शिमला- 171002


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अपनी गली के आवारा पशुओं के लिए शिकायत करते हुए नगर-निगम के अधिकारी को इस समस्या के निवारण हेतु प्रार्थना पत्र लिखिए।

रियो ओलंपिक्स में भारत के लिए पहला पदक किसने जीता? A. बबिता कुमारी B. नरसिंह यादव C. पी. वी. सिंधु D. साक्षी मलिक

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इस प्रश्न का सही विकल्प होगा :

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‘रियों ओलंपिक’ मे भारत के लिए पहला पदक ‘पी. वी. सिंधु’ ने जीता था। ये पदक ‘रजत पदक’ था, जो कि ‘पी. वी. सिंधु’ ने बैंडमिंटन की एकल स्पर्धा में जीता।

विस्तार से वर्णन

रियो ओलंपिक में भारत में केवल 2 पदक जीते थे। एक रजत पदक (सिल्वर मेडल) और दूसरा कांस्य पदक (ब्राँज मेडल) रियो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन 2012 के मुकाबले निराशाजनक रहा था, क्योंकि 2012 में भारत ने 6 पदक जीते थे। रियो ओलंपिक में भारत ने केवल 2 पदक जीते और दोनों पदक महिलाओं ने जीते।

पीवी सिंधु ने बैडमिंटन की एकल स्पर्धा में रजत पदक जीता और साक्षी मलिक ने महिला कुश्ती में कांस्य पदक जीता। यह पहला मौका था जब ओलंपिक में केवल महिलाओं ने पदक जीता और पुरुषों कोई पदक नहीं मिला। रियो ओलंपिक 5 अगस्त 2016 से 21 अगस्त 2016 तक ब्राज़ील के ‘रियो डि जेनेरियो’ शहर में आयोजित किए गए थे। किसी दक्षिणी अमेरिकी देश यानी लैटिन अमेरिकी देश में पहली बार ओलंपिक खेलों का आयोजन किया गया था।


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इस प्रश्न का सही विकल्प होगा :

C. उच्चतम न्यायालय

भारत में किसी भी मामले में अपील करने का सर्वोच्च निकाय अर्थात सबसे बड़ा अपीलीय न्यायालय (कोर्ट of Appeal) भारत का ‘उच्चतम न्यायालय’ (सर्वोच्च न्यायालय) है।

विस्तार से जानें.

भारत का सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय एक ऐसी न्यायिक संस्था है, जहां पर अंतिम अपील की जा सकती है अर्थात अपील करने का सबसे आखरी निकाय सर्वोच्च न्यायालय है। अपील कर्ता चाहे तो अन्य सभी न्यायालयों से निराशा मिलने के बाद वह सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है। भारत में एकल व एकीकृत न्याय प्रणाली है, जिसके अंतर्गत संघ अर्थात संसद और राज्य की विधानसभा द्वार द्वारा लागू किए गए कामों के लिए केवल एक ही न्यायालय होता है। इस न्याय प्रणाली के अंतर्गत राज्य का उच्च न्यायालय होता है। जिसके अंदर जिला न्यायालय होते हैं। सभी राज्यों के उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय के अंतर्गत कार्य करते हैं। इस तरह की अपील कर्ता को जिला न्यायालय से न्याय नहीं मिलता है तो वह उच्च राज्य के उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है और वहां से या ना मिलने पर वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है। भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।


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दिए गए उपसर्ग से दो-दो शब्द बनाइए- (क) पुनर् (ख) हर (ग) सम् (घ) कु (च) अ (छ) बिन (ज) प (ङ) स्व

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हजामत के अलावा नाइयों में कौन-कौन से गुण हुआ करते थे?

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हजामत बनाने के अलावा नाइयो में अनेक गुण होते थे। नाइयों के बारे में कहा जाता था कि पृथ्वी पर कोई ऐसा कार्य नहीं था जो भारतीय नाई ना कर सकता हो। बहुत सी नाई अनेक मंदिरों में पुजारी थे। यानि ब्राह्मण जैसा कार्य करते थे। अनेक नाई युद्ध के मैदान में जाकर अपने उस्तरे से शत्रुओं के नाक-कान काट लेते थे। यानी वह क्षत्रिय का भी काम कर लेते थे।

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[stextbox id=’black’]संदर्भ पाठ :
‘पूरब के नाई’ – बलराज साहनी (हिंदी रत्नभारती, कक्षा 8, पाठ 8)[/stextbox]

 


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दिनांक : 5 अप्रेल 2024

 

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श्रीमान पोस्ट मास्टर,
गोरगाँव (वेस्ट) पोस्ट ऑफिस
गोरेगाँव (वेस्ट)
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मेरा नाम संदेश शिर्के है। इस पत्र के माध्यम से मैं आपको बताना चाहता हूँ कि 15 मार्च को मैंने अपने बंगलौर में रहने वाले मित्र को उसके जन्मदिन पर एक पार्सल भेजा था लेकिन वह पार्सल उसे नहीं मिला। आज 5 अप्रेल हो चुकी है। 20 दिन बीत जाने के बाद भी मेरे मित्र को मेरे द्वारा भेजा गया पार्सल अभी तक नही मिला है।

महोदय मैं आपका ध्यान इस विषय की ओर दिलाना चाहता हूँ कि हम बहुत आशा से अपने प्रियजनों को यदि कुछ भेजते हैं या तो वह सामान वहाँ पहुँचता ही नहीं और यदि पहुँच भी जाए तो वह अपनी समय–सीमा से बहुत बाद में पहुँचता है। इसकी वजह से कई बार बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अभी कुछ दिन पहले ही मैंने अपने मित्र को एक छात्रवृति का आवेदन पत्र भेज था। वह आवेदन–पत्र उसे अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद प्राप्त हुआ, जिससे उसके हाथ से एक उचित अवसर निकल गया ।

महोदय, आपसे विनम्र निवेदन है कि आप इस विषय में प्रभावी कदम उठाएँ और मेरे द्वारा पार्सल के बारे में पता लगवाएं की मेरा पार्सल अभी तक क्यों नही पहुँचा। अगर मेरा पार्सल डाकविभाग द्वारा कहीं गुम या चोरी हो गया है तो मेरे नुकसान का हर्जाना कौन देगा। इसलिए आपसे यथोचित कार्रवाई की अपेक्षा है।

मेरे द्वारा बेंगलुरु भेजे गए पार्सल की रिसीट का नंबर है…
536264123

कृपया उपरोक्त नंबर के आधार पर मेरे पार्सल की सही स्थिति का पता लगाएं।

धन्यवाद,

 

भवदीय,

सदेश शिर्के,
नवयुग को-आप .हा. सोसायटी,
पीरामल नगर,
गोरेगाँव (वेस्ट)
मुंबई – 400104


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संवाद लेखन

पिंजरे में बंद पक्षी और आजाद पक्षी के बीच संवाद

 

पिंजरे में बंद पक्षी ⦂ (एक पक्षी उड़ कर आया) कैसे हो भाई, कहाँ थे इतने दिन?

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पिंजरे में बंद पक्षी ⦂ (घबराया हुआ) लेकिन अगर उन्होंने मुझे फिर से पकड़ लिया तो?

आज़ाद पक्षी ⦂ (हौसला देते हुए) घबराओ मत। हिम्मत से काम लो। अगर अपने परिवार के पास जाना है तो तुम्हें ऐसा करना ही पड़ेगा और भगवान ने तुम्हें यह चोंच दी है ना। इसका इस्तेमाल सिर्फ खाने के लिए ही नहीं बल्कि हथियार की तरह करो। मैं यहाँ पास में ही छुप कर रहूँगा और अगर कोई मुश्किल आई तो मैं तुम्हारी मदद के लिए आ जाऊंगा।

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संवाद लेखन

नौकर और मालिक के मध्य वेतन वृद्धि को लेकर संवाद

 

मालिक ⦂ (आँखें मलते हुए) रामू , अरे ओ रामू कहाँ चला गया?

नौकर ⦂ (दौड़ते हुए) जी मालिक अभी आया।

मालिक ⦂ (घड़ी की तरफ देखते हुए) तुम्हें मालूम भी है क्या समय हो गया है, मेरी चाय कहाँ है ?

नौकर ⦂ (हाथ में चाय का प्याला लिए हुए) लीजिए मालिक आपकी चाय।

मालिक ⦂ (कुर्सी पर बैठते हुए) लाओ-लाओ, जल्दी दो सुबह-सुबह अदरक वाली चाय पीने का मज़ा ही कुछ और है।

नौकर ⦂ (हाथ जोड़ कर) मालिक! मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है।

मालिक ⦂ (चाय की चुस्की लेते हुए) वाह-वाह! क्या चाय है, मज़ा आ गया।  हाँ–हाँ कहो क्या बात है?

नौकर ⦂ (थोड़ा हिचकिचाते हुए) मालिक! मैं चाहता हूँ कि आप मेरे मासिक वेतन में थोड़ी वृद्धि कर दें।

मालिक ⦂ (चाय का प्याला मेज पर रखते हुए) क्यों क्या बात है अभी छः महीने पहले ही तो तुम्हारा वेतन बढ़ाया था , अब दोबारा इतनी जल्दी वेतन बढ़ाने के लिए क्यों कह रहे हो ?

नौकर ⦂ (घुटनों के बाल बैठ गया) मालिक ! दरअसल मैंने अपनी दोनों बेटियों को अंग्रेज़ी स्कूल में दाखिला दिलवाया है और उनकी मासिक फ़ीस बहुत ज्यादा है और फ़ीस देने के बाद महीना काटना बहुत मुश्किल हो रहा है।  उनके लिए नई किताबें खरीदने में भी मुश्किल हो रही है।

मालिक ⦂ (बड़ी हैरानी से नौकर की ओर देखते हुए) अंग्रेज़ी स्कूल में लेकिन क्यों, क्या जरूरत है इतना पैसा खर्च करने की, लड़कियों को तो किसी भी स्कूल में करवा दो और वैसे भी तुमने तो उनको दसवीं–बारहवीं तक पढ़ाने के बाद उनकी शादी कर ही देनी है।

नौकर ⦂ (अपना सर ऊँचा उठाते हुए) नहीं मालिक, मैं चाहता हूँ कि मेरी बेटियाँ भी पढ़ – लिखकर अपने पैरो पर खड़ी हो जाएं ताकि उन्हें कभी भी किसी के सामने हाथ ना फैलाना पड़े और आज के समय में बेटियाँ बेटों से कम नहीं है। लड़कों से कंधे से कंधा मिलकर चल रही है।  लड़कियाँ डॉक्टर, वैज्ञानिक, वकील, पुलिस अफसर और तो और राजनीति में भी अपना और अपने देश का नाम रोशन कर रही  है।

मालिक ⦂ (मुसकुराते हुए) रामू , तुमने तो मेरी आँखें खोल दी।  आज से तुम्हारी बेटियों की जिम्मेदारी मैं उठाऊँगा, उनकी स्कूल की फ़ीस, उनकी किताबें इत्यादि और तुम्हारा मासिक वेतन भी बढ़ाता हूँ ताकि तुम उनका पालन–पोषण अच्छे से कर सको।

नौकर ⦂ (आँखों में खुशी के आँसू) मालिक, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ।  भगवान ! आपका भला करें ।


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संवाद लेखन

बुखार से पीड़ित रोगी और डॉक्टर के बीच संवाद

 

मरीज़ ⦂ नमस्ते! डॉक्टर साहब ।

डॉक्टर ⦂ नमस्ते, आओ बैठो। तुम्हे क्या परेशानी है?

मरीज़ ⦂ (खाँसते हुए) डॉक्टर साहब, कुछ दिनों से तबीयत कुछ ठीक नहीं है। सर्दी-जुकाम और खाँसी ने परेशान कर रखा है। अब तो बुखार भी है।

डॉक्टर ⦂ (माथे पर हाथ लगाते हुए) तुम्हें तो काफी तेज़ बुखार है। कितने दिनों से तबीयत खराब है?

मरीज़ ⦂ पाँच–छः दिनों से।

डॉक्टर ⦂ (मरीज़ को डाँटते हुए) पाँच-छः दिनों से बीमार हो और अब आ रहे हो। कितने लापरवाह आदमी हो।

मरीज़ ⦂ डॉक्टर साहब, क्या करूँ, गरीब आदमी हूँ। अगर एक दिन भी काम पर नहीं जाऊँ तो मालिक मेरे पैसे काट लेगा ।

डॉक्टर ⦂ (प्यार से समझाते हुए) देखो भाई, अगर सेहत ठीक नहीं होगी तो काम कैसे होगा और ऐसा पैसा कमाने का क्या फ़ायदा जो दवाइयों पर लग जाए ।

मरीज़ ⦂ (सिर हिलाते हुए) जी डॉक्टर साहब मैं इस बात का ख्याल रखूँगा।

डॉक्टर ⦂ (सांत्वना देते हुए) ठीक है! मैं कुछ दवाइयाँ लिख देता हूँ, इन्हें खा लो और फिर मुझे एक बार आकर दिखा देना। तुम ठीक हो जाओगे।

मरीज़ ⦂ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्टर साहब।


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पशु-प्रवृत्ति में कौन समास है?

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पशु-प्रवृत्ति ⦂ पशु सी प्रवृत्ति

समास का भेद ⦂ तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का उपभेद ⦂ करण तत्पुरुष

स्पष्टीकरण ⦂

‘पशु-प्रवृत्ति’ इस समस्त पद में ‘तत्पुरुष समास’ होगा। इस समस्त पद में तत्पुरुष समास इसलिए होगा क्योंकि यहां पर द्वितीय पद प्रधान है। हम जानते हैं कि तत्पुरुष समास में हमेशा द्वितीय पद प्रधान होता है।

यहां पर तत्पुरुष समास का उपभेद ‘करण तत्पुरुष’ लागू होगा। करण तत्पुरुष समास में द्वितीय पद प्रधान होता है। इसमें प्रथम पद में करण कारक के होने का बोध है। दोनो पदों को ‘से’ अथवा ‘के  द्वारा’ दर्शाया जाता है तो वहाँ पर करण तत्पुरुष समास होगा। समास व़् योजक चिन्हों का लोप हो जाता है।

करण तत्पुरुष समास के कुछ उदाहरण…

शोकाकुल, : शोक से आकुल
रेखांकित : रेखा के द्वारा अंकित
गुणयुक्त : गुण से युक्त
ईश्वर-प्रदत्त : ईश्वर से प्रदत्त


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बड़े-बड़े मोती से आँसू में कौन सा अलंकार है?

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काव्य पंक्ति : ‘बड़े-बड़े मोती से आँसू’

अलंकार : उपमा अलंकार

स्पष्टीकरण :

‘बड़े-बड़े मोती से आँसू’ इस पंक्ति में ‘उपमा अलंकार’ है।

इस काव्य पंक्ति में ‘उपमा अलंकार’ इसलिए है, क्योंकि यहां पर जो अलग-अलग तत्वों की उनके गुण, स्वभाव के अनुसार तुलना की गई है और उनमें समानता प्रदर्शित की गई है।

इस काव्य पंक्ति में ‘आँसुओं’ की तुलना ‘मोतियों’ से की गई है। यहाँ पर ‘मोती’ उपमेय है और ‘आँसू’ उपमान हैं। इस कारण यहां पर उपमा अलंकार है।उपमा अलंकार की परिभाषा के अनुसार जब किन्हीं दो वस्तु अथवा पदार्थ अथवा व्यक्ति के बीच उनके गुण, आकृति और स्वभाव के अनुसार बिल्कुल समानता दर्शाई जाए अर्थात उपमेय और उपमान के बीच के भेद को मिटा दिया जाए तो वहां पर ‘उपमा अलंकार’ प्रकट होता है।

उपमा अलंकार में दो अलग-अलग तत्वों (वस्तु, पदार्थ, व्यक्ति आदि) की आपस में तुलना की जाती है और उनके बीच के भेद को मिटा दिया जाता है।

उपमा अलंकार के चार अंग होते हैं :

  • उपमेय
  • उपमान
  • वाचक शब्द
  • सामान्य गुणधर्म

उपमा अलंकार के दो उपभेद भी होते हैं :

  • पूर्णोपमा
  • लुप्तोपमा

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संवाद लेखन

चॉक और ब्लैकबोर्ड के बीच संवाद

चॉक नमस्कार ! भाई ब्लैकबोर्ड, कैसे हो ?

ब्लैकबोर्ड नमस्कार ! मैं ठीक हूँ , तुम बताओ कैसे हो ?

चॉक क्या बताऊँ भाई आज बहुत ज़्यादा थक गया हूँ और थोड़ा घिस भी गया हूँ।

ब्लैकबोर्ड हाँ मैंने देखा आज पूरा दिन तुम्हारा बहुत ज्यादा इस्तेमाल हुआ है।

चॉक मेरी छोड़ो तुम बताओ तुम्हारा क्या हाल है।

ब्लैकबोर्ड मेरा हाल भी तुम्हारे जैसा ही है , मैं भी आज बहुत घिस गया हूँ।

चॉक वैसे जब से तुम पर रंग किया है, तबसे तुम बहुत सुन्दर दिखाई दे रहे हो, चलो थोड़ा आराम कर लो। वैसे भी कल मेरी जगह कोई और चॉक ले लेगा।

ब्लैकबोर्ड हाँ, दिल छोटा मत करो दोस्त, बस इतना याद रखो की हमारे कारण बच्चे कुछ सीख रहे हैं। जब तुम्हारे द्वारा मुझ पर शब्द लिखे जाते है तो वह सब के काम आते है।

चॉक हाँ भाई यह देख कर बहुत खुशी होती है।

ब्लैकबोर्ड ⦂ बिल्कुल सच कहा दोस्त हमें इस बात से खुश होना चाहिए की हम कम से कम किसी के काम तो आ रहे हैं और यही तो जीवन है जो किसी के काम आए।

चॉक यह जीवन भी कोई जीवन है , सुबह  तक तो मैं बिल्कुल ठीक था और अब मेरी हालत देखो मुझे कितना दर्द हो रहा है।

ब्लैकबोर्ड ⦂ मैं तुम्हारा दर्द समझ सकता तुम्हें तो केवल आज ही यह दर्द सहना पढ़ रहा है। ज़रा मेरी तरफ देखो। मैं तो ना जाने कितने वर्षों से यहाँ लटका हुआ हूँ और मुझे तो हर रोज़ यह दर्द सहन करना पड़ता है।

चॉक तुम्हें फिर भी कोई शिकायत नहीं।

ब्लैकबोर्ड ⦂ नहीं, बिल्कुल नहीं क्यूंकि मुझे अपना महत्व पता है। मैं जानता हूँ कि जब भी मुझ पर तुम्हारे द्वारा (चॉक से) लिखा जाता है तो वह बच्चों के काम आता है। वो इन्हें पढ़ कर डॉक्टर, वैज्ञानिक, पुलिस कर्मी, शिक्षक, वकील, नेता और भी न जाने क्या-क्या बनते हैं तो मुझे स्वयं पर गर्व होता है।

चॉक तुमनें सही कहा भाई तुम्हारी बातें सुनकर तो अब तो मेरा दर्द भी कम हो गया है और मुझे भी खुद पर गर्व हो रहा है। आज मुझे एहसास हुआ कि हम ज्ञान का प्रसार करने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।


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‘श्वेताम्बर’ में कौन समास है?

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  समस्त पद : श्वेताम्बर

  समास विग्रह : श्वेत है जो अंबर

  समास भेद : कर्मधारण्य समास

स्पष्टीकरण 

‘श्वेतांबर’ में ‘कर्मधारण्य समास’ होगा।

श्वेताबंर में ‘कर्मधारण्य समास’ इसलिए होगा क्योंकि श्वेतांबर का समास विग्रह करने पर प्रथम पद एक विशेष की तरह कार्य कर रहा है। कर्मधारण्य समास में प्रथम पद एक विशेषण होता है। द्वितीय पद विशेष्य होता है।

कर्मधारय समास की परिभाषा के अनुसार कर्मधारय समास में पहला पर एक विशेषण का कार्य करता है तथा दूसरा पद उसका विशेष्य होता है। कर्मधारय समास में पहला पद उपमान तथा दूसरा पर विशेष्य का कार्य करता है।

 कर्मधारय समास के उदाहरण :

  • विश्वव्यापी : विश्व में व्याप्त है जो
  • नीलांबर : नीला है जो अंबर
  • चरणकमल : चरण के समान कमल
  • कामधेनु : कामना पूरा करने वाली धेनु

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विद्यार्थियों के लिए योग साधना शिविर का आयोजन करने हेतु सूचना लिखें।

सूचना

सर्वोदय विद्यालय, शिमला

दिनाँक- 8 अप्रेल 2024

विद्यालय के सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय के परिसर में स्वास्थ्य जागरूकता अभियान के तहत योग साधना शिविर का आयोजन किया गया है। यह शिविर दिनाँक 12 अप्रेल 2024 से 17 अप्रेल 2024 तक  3 दिन तक प्रातः काल 7 बजे से दोपहर 11 बजे तक चलेगा।

सभी विद्यार्थियों से अनुरोध है कि जिन विद्यार्थियों को योग साधना शिविर में भाग लेना है, वह अपना नाम विद्यालय के लिपिक कार्यालय में पंजीकृत करा दें। विद्यार्थियों को सलाह दी जाती है कि योग साधना शिविर में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर अपने शरीर को स्वस्थ बनाने के गुर सीखे।

आज्ञा से,
कमलेश सिंह (प्रधानाचार्य)
सर्वोदय विद्यालय,
शिमला (हि. प्र.) |


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अपने प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर स्कूल में कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करने का अनुरोध कीजिए।

लोकतंत्र में चुनाव का महत्व (निबंध)

निबंध

लोकतंत्र का चुनाव में महत्व

 

लोकतंत्र में चुनाव का बेहद अधिक महत्व है। बिना चुनाव के कोई भी लोकतंत्र कायम नहीं रह सकता। चुनाव लोकतंत्र की आत्मा है। यह लोकतंत्र के मूल अवधारणा है। लोकतंत्र चुनाव पर ही टिका होता है। लोकतंत्र का अर्थ यही है जनता द्वारा अपने लिए योग्य और पसंद का प्रतिनिधि का चुनाव करना और जनता द्वारा प्रतिनिधित्व चुने गए प्रतिनिधि द्वारा शासन चलाना। अपने पसंद का जन प्रतिनिधि चुन जाने की प्रक्रिया ही चुनाव कहलाती है।

लोकतंत्र का विकास की चुनाव की अवधारणा के तहत ही हुआ है। जनता अपने प्रतिनिधि को अपनी इच्छा अनुसार चुनौती है और वह प्रतिनिधि जनता का प्रतिनिधित्व करते हुए शासन व्यवस्था के संभालते हैं। चुनाव लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।  यदि किसी लोकतंत्र में चुनाव कराने बंद कर दिए जाएं वह लोकतंत्र नहीं कहलाएगा। चुनाव विहीन लोकतंत्र फिर लोकतंत्र नही रहता वह मर जाता है।

चुनाव द्वारा जनता जनप्रतिनिधि को चुनकर एक निश्चित अवधि के लिए ही जन-प्रतिनिधि के हाथ में यह शक्ति देती है। उसे निश्चित शासन काल में जन प्रतिनिधि को अपनी कुशल शासन व्यवस्था द्वारा जनता को अपनी कुशलता को सिद्ध करना होता है। यदि वह शासन करने में सफल नहीं हो पता तो जनता अगले चुनाव में उसे हटाकर दूसरे किसी प्रतिनिधि को मौत का देती है।

लोकतंत्र की यह प्रक्रिया चलती रहती है। चुनाव इसी प्रक्रिया का अहम चरण होता है। यदि चुनाव ही नहीं होगा तो जनता को अयोग्य प्रतिनिधि को हटाने का अवसर ही नहीं मिलेगा और वह अयोग्य प्रतिनिधि शासन व्यवस्था में बना रहेगा, जिससे लोकतंत्र समाप्त हो जाएगा और अपनी मनमर्जी से शासन करने लगेगा।

यदि लोकतंत्र में नियमित रूप से चुनाव होते रहेंगे तो जनप्रतिनिधि के मन में रहता है कि अगली बार उसने कुछ गलत किया तो अगली बार जनता उसे नहीं चुनेगी। इससे वो निरंकुश नही हो पाएगा।

चुनाव लोकतंत्र को स्वस्थ बनाए रखते हैं। ये लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखते हैं। इसलिए लोकतंत्र में चुनाव का विशेष महत्व है। लोकतंत्र में केवल चुनाव ही नही बल्कि निष्पक्ष चुनाव भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। एक पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव ही लोकतंत्र को सार्थक करते हैं।


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यशपाल की रचना समाज और देश में फैले भेदभाव को बेनकाब करती है। ‘दुःख का अधिकार’ पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए।

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‘यशपाल’ की रचना समाज और देश में पहले भेदभाव और समाज के पाखंड को बेनकाब करती है। ‘दुःख का अधिकार’ पाठ के माध्यम से ये बात स्पष्ट हो रही है।

‘दुःख का अधिकार’ पाठ  में लेखक ने के माध्यम से यही पता चल रहा है कि दुकान को व्यक्त करने के लिए समाज में हैसियत होनी चाहिए। जिनकी हैसियत समाज में अच्छी होती है, उसके दुःख में सब शरीक होना चाहते हैं। अच्छी हैसियत वाले व्यक्ति के छोटे से दुःख के प्रति भी संवेदना व्यक्त करने के लोग तत्पर रहते हैं, लेकिन गरीबों के दुःख को कोई नहीं पूछता।  लोग हैसियत के आधार पर ही दुःखों का आकलन करते हैं। उन्हें गरीबों का दुःख पाखंड लगता है।

लेखक ने इस पाठ में एक बुढ़िया स्त्री का वर्णन किया है, जिसका जवान बेटा साँप के काटने से मर गया था। घर में कुछ दाना-पानी नहीं था और उसके पोते भूख से बिलख रहे थे। ऐसी स्थिति में बुढ़िया खरबूजे बेचने के लिए बाजार में आ गई ताकि खरबूजे बेचकर कुछ पैसे कमा सके और घर में भूखे बच्चों के लिए राशन पानी ला सके। लेकिन बाजार और समाज के लोगों को उसके दुःख से कोई सरोकार नहीं था।

उन्हें ये दिखाई दे रहा था कि आज ही उसके बेटे की मौत हुई है और आज वह अपना व्यापार लेकर बैठ गई। लेकिन ये जानने की कोशिश नहीं की कि ऐसा वो मजबूरी में कर रही थी क्योंकि घर में छोटे-छोटे बच्चे भूख से तड़प रहे थे।

लेखक भी अच्छे कपड़े पहने हुए था इसलिए अपने कपड़ों के कारण उसे रोती हुई बुढ़िया से कुछ पूछने में हिचक हो रही थी क्योंकि लेखक को अपने कपड़े और अपनी वेशभूषा के कारण उसके पास बैठने में संकोच हो रहा था।

लेखक को अपनी एक पुरानी घटना भी याद आ गई, जब एक उसके पड़ोस में एक धनी महिला के पुत्र की मृत्यु हो गई तो आसपास के सब लोग उसके दुख को पूछने लगातार आते रहे क्योंकि उसकी सामाजिक हैसियत अच्छी थी।

इस बात से स्पष्ट होता है कि लोग हैसियत के अनुसार ही दुखो पर संवेदना व्यक्त करते हैं। उन्हें गरीबों के दुःख व्यक्त करने में अनेक तरह की कमियां नजर आती है, जबकि अमीरों के दुःख के साथ हमेशा खड़े रहते हैं।

ये कहानी समाज मे फैले इसी दोहरे मानदंड और भेदभाव को बेनकाब करती है।

संदर्भ पाठ :
दुःख का अधिकार, लेखक – यशपाल (कक्षा-9)

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इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला की दोस्ती भारतीय समाज के लिए किस प्रकार प्रेरक है?

‘समाज सेवा ही ईश्वर सेवा है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।

इन पदों में समास बताइए — 1. चन्द्रमौलि 2. दिनकर 3. प्राप्तांक 4. सूर्योदय।

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चन्द्रमौलि : जिनकी मौलि पर है चन्द्र अर्थात भगवान शिव
समास भेद : बहुव्रीहि समास

दिनकर : दिन में कार्य करने वाला अर्थात सूर्य
दिनकरबहुव्रीहि समास

बहुव्रीहि समास

बहुव्रीहि समास की परिभाषा के अनुसार जब मूल पदों में कोई भी पद प्रधान ना हो और उन पदों को जोड़कर एक नये पद की रचना हो और वह पद नए तीसरे अर्थ को संकेत करता हो अर्थात मूल शब्दों के अर्थ नए शब्द के अर्थ को प्रकट करता हो तो वहां पर बहुव्रीहि समास होता है।

बहुव्रीहि समास के उदाहरण :

  • पीतांबर : पीलाहै जो अंबर पीतांबर अर्थात भगवान श्रीकृष्ण अथवा भगवान विष्णु
  • दशानन : दश है आनन जिसके अर्थात रावण

प्राप्तांक : प्राप्त अंक (अव्यवी भाव)
प्राप्तांक : अव्यवीभाव समास

अव्यवीभाव समास : अव्ययीभाव समास की परिभाषा के अनुसार जब किसी सामासिक पद में पूर्व पद अर्थात पहला पद प्रधान हो तथा दूसरा पद एक अव्यय की तरह कार्य करें, तो वहां पर अव्ययीभाव समास होता है।

अव्यवीभाव समास के उदाहरण :

  • यथाशक्ति :  शक्ति के अनुसार
  • आजीवन : पूरा जीवन
  • प्रतिवर्ष : हर वर्ष

सूर्योदय : सूर्य का उदय (तत्पुरुष)
सूर्योदय : तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास का उपभेद : संबंध तत्पुरुष

तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास की परिभाषा के अनुसार जब दोनों पदों में दूसरा पद प्रधान हो तो वहाँ तत्पुरुष समास होता है।

तत्पुरुष समास के उदाहरण :

  • मोहबंधन : मोह का बंधन
  • प्रसंगोचित: प्रसंग के अनुसार
  • राजकन्या : राजा की कन्या

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‘निर्झरी’ और ‘निर्झर’ संधि विच्छेद क्या होगा? संधि का भेद भी बताएं।

निर्झरी ⦂ निः + झरी
संधि भेद ⦂ विसर्ग संधि
निर्झर ⦂ निः + झर
संधि भेद ⦂ विसर्ग  संधि

 

स्पष्टीकरण 

‘निर्झरी’ और ‘निर्झर’ इन शब्दों में ‘विसर्ग संधि’ होगी।

विसर्ग संधि में जब विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन आए तो वहां पर विसर्ग संधि होती है।

विसर्ग संधि में पहले पद के अंतिम वर्ण में विसर्ग होता है। उसके बाद दूसरे पद के प्रथम वर्ण में कोई स्वर अथवा व्यंजन होता है।

विसर्ग संधि बनाने के 10 नियम होते हैं, यहां पर विसर्ग संधि का वह नियम लागू हो रहा है, जिसमें प्रथम पद के विसर्ग वाले वर्ण में कोई स्वर और दूसरे पद के द्वितीय वर्ण में ‘झ’ व्यंजन अथवा ब, व, ध जैसे व्यंजन हों तो वह ‘र्’ में परिवर्तित हो जाता है।

उदाहरण

निः + बल ⦂ निर्बल
निः + मोही ⦂ निर्मोही
निः + वेद ⦂ निर्वेद
निः + धन ⦂ निर्धन


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‘रामायण’ शब्द में क्या ‘अयादि संधि’ हो सकती हैं?

‘नवोत्पल’ संधि विच्छेद और संधि का नाम बताएं।

शरण-स्थली में कौन-सा समास है?

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शरण स्थली में समास को पहचानते हैं…

समस्त पद : शरण-स्थली

समास विग्रह : शरण की स्थली

समास भेद : तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का उपभेद : संबंध तत्पुरुष समास

स्पष्टीकरण

शरण-स्थली में तत्पुरुष समास इसलिए होगा क्योंकि इसमें द्वितीय पद प्रधान है। तत्पुरुष समास में द्वितीय पद प्रधान होता है।

यहाँ पर तत्पुरुष समास का उपभेद संबंध तत्पुरुष लागू होगा। संबंध तत्पुरुष में समास का विग्रह करते समय उसमें ‘का’, ‘की’, ‘के’ जैसे संबंधसूचक योजकों का प्रयोग होता है।

समास से तात्पर्य शब्दों के संक्षिप्तीकरण से होता है। हिंदी व्याकरण की भाषा में समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब दो या दो से अधिक पदों का संक्षिप्तीकरण करके एक नवीन पद की रचना की जाती है।

तत्पुरुष समास के कुछ उदाहरण :

आरामकुर्सी : आराम करने की कुर्सी
आशातीत : आशा को लाँघकर गया हुआ
राजद्रोही : राज का द्रोही (राजा को धोखा देने वाला)


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दिए गए उपसर्ग से दो-दो शब्द बनाइए- (क) पुनर् (ख) हर (ग) सम् (घ) कु (च) अ (छ) बिन (ज) प (ङ) स्व

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दिए गए उपसर्ग से बने दोदो शब्द इस प्रकार होंगे

() पुनर्

पुनर् + अवलोकन ➧ पुनरावलोकन
पुनर् + जीवन ➧ पुनर्जीवन

() हर

हर + एक ➧ हरएक
हर + रोज ➧ हररोज

() सम्

सम् + पूर्ण ➧ संपूर्ण
सम् + मोहन ➧ सम्मोहन

() कु 

कु + तर्क ➧ कुतर्क
कु + पुत्र ➧ कुपुत्र

()  

अ + कर्म ➧ अकर्म
अ + छूत ➧ अछूत

() बिन 

बिन + बोया ➧ बिनबोया
बिन + चखा ➧ बिनचखा

() प्र

प्र +  योग ➧ प्रयोग
प्र + हार ➧ प्रहार

() स्व 

स्व + अनुभूति ➧ स्वानुभूति
स्व + देश ➧ स्वदेश

उपसर्ग क्या होते हैं?

हिंदी व्याकरण में उपसर्ग से तात्पर्य उन शब्दांशों से होता है, जो किसी शब्द के आरंभ में लगते हैं। इन शब्दांशों को लगाने से उस शब्द का अर्थ बदल जाता है। उपसर्ग किसी शब्द के लिए विशेषण का भी कार्य करते हैं। किसी शब्द के आगे उपसर्ग लगाने से वह शब्द विशेषण युक्त शब्द बन जाता है।

जैसे पुत्र शब्द में ‘सु’ अथवा ‘कु’ उपसर्ग लगाने से वह विशेषण युक्त शब्द बन गया।

सु + पुत्र ➧ सुपुत्र
कु + पुत्र ➧ कुपुत्र


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‘प्रत्युत्तर’ शब्द में से मूल शब्द व उपसर्ग अलग-अलग करें।

‘यथार्थता’ शब्द में कौन सा प्रत्यय होगा, बताइए।

देश में बुलेट ट्रेन चलाए जाने की घोषणा हुई है। इस विषय पर दो रेल यात्रियों के मध्य होने वाले संवाद को लिखिए।

संवाद लेखन

बुलेट ट्रेन चलाए जाने की घोषणा के लेकर दो रेल यात्रियों के बीच संवाद

पहला यात्री ➲ (सिर पर हाथ रखे हुए) हे भगवान ! ना जाने कितना वक्त लगेगा।

दूसरा यात्री ➲ (अखबार बंद करते हुए) क्या बात है भाई साहब कोई परेशानी है क्या ?

पहला यात्री ➲ (गहरी साँस भरते हुए) क्या बताऊँ भाई। आज मुझे मुझे सुबह 10 बजे मुंबई पहुँचना था। दफ़्तर की बहुत ही जरूरी मीटिंग थी। लेकिन 9:30 तो यहाँ अहमदाबाद में ही हो गए हैं।

दूसरा यात्री ➲ हाँ आप सही कह रहे हैं, भाई साहब। दरअसल आज यह रेल अपने निर्धारित समय से 40 मिनट देरी से चल रही है।

पहला यात्री ➲ (बहुत ही दुखी मन से) मेरा तो बहुत बड़ा नुकसान हो गया है। ना जाने ये रेल मंत्रालय वाले कुछ करेंगे भी या नहीं ?

दूसरा यात्री ➲ (अखबार दिखाते हुए) अरे ! भाई साहब लगता है, आपने आज का अखबार नहीं पढ़ा है।

पहला यात्री ➲ ऐसा क्या लिखा है, अखबार में। कुछ खास बात है क्या ?

दूसरा यात्री ➲ (मुसकुराते हुए) भाई साहब दिल छोटा मत कीजिए जो नुकसान हो गया है, अब उसकी भरपाई तो नहीं की जा सकती, परंतु अगली बार आपका नुकसान ना हो इसका इंतज़ाम तो रेल मंत्रालय नें करवा दिया।

पहला यात्री ➲ (हैरानी से) वह कैसे ?

दूसरा यात्री ➲ रेल मंत्रालय ने आज कल ही ट्वीट करके बताया है कि अब बुलेट ट्रेन शुरू होने ही वाली है।

पहला यात्री ➲ बुलेट ट्रेन का क्या फायदा होगा ?

दूसरा यात्री ➲ अब अहमदाबाद से मुंबई का सफर सिर्फ दो घंटे में तय हो जाएगा।

पहला यात्री ➲ क्या आप सच कह रहे हो ?

दूसरा यात्री ➲ बुलेट ट्रेन द्वारा मुंबई से अहमदाबाद के बीच का सफर केवल 2.58 घंटे में पूरा कर लिया जाएगा। बुलेट ट्रेन की स्पीड करीब 320 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।

पहला यात्री ➲ यह तो बहुत ही खुशी की बात है। हमारी केंद्र सरकार नें बहुत सी योजनाएं शुरू की और वह सभी पूर्ण रूप से सफल रही हैं।

दूसरा यात्री ➲ आपने बिल्कुल सही कहा भाई साहब , यह केंद्र सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है।


Other questions

अपनी प्रिय पुस्तक पर दो सहेलियों रानी और मीरा के बीच हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।

प्रकृति और मनुष्य के बीच हुए एक संवाद को लिखें।

इसकी छाया में रंग गहरा किसलिए और क्यों कहा गया है​?

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‘इसकी छाया में रंग गहरा’ इस पंक्ति को हिमालय की महिमा का गुणगान करने के लिए कहा गया है।

‘हिमालय और हम’ कविता में कवि ‘गोपाल सिंह नेपाली’ कहते हैं कि हिमालय पर्वत बेहद विशाल और विस्तृत पर्वत है। इसके नीचे गंगा का विशाल मैदान विस्तृत मैदान है, इनमें से हिमालय से निकलने वाली गंगा बहती है। जिसके कारण यह विशाल मैदान हरा-भरा रहता है।

हिमालय पर्वत की छत्रछाया में और इससे निकलने वाली गंगा-यमुना और अन्य की नदियों के कारण ही ये विशाल मैदान बेहद हरे-भरे और उपजाऊ मैदान है, जो न केवल भारत की समृद्धता का प्रतीक हैं, भारत के कई पड़ोसी देश भी इससे समृद्ध हुए हैं। इसीलिए कवि ने ‘इसकी छाया में रंग गहरा, है हरा देश परा परदेश हरा’ कहकर हिमालय की महिमा का बखान किया है।

कवि ‘गोपाल दास नेपाली’ द्वारा रचित ‘हिमालय और हम’ कविता की इन पंक्तियों कवि कहते हैं कि….

हर संध्या को इसकी छाया सागर-सी लंबी होती है
हर सुबह वही फिर गंगा की चादर-सी लंबी होती है।
इसकी छाया में रंग गहरा
है देश हरा, परदेश हरा
हर मौसम है, संदेश-भरा
इसका पद-तल छूनेवाला वेदों की गाथा गाता है।
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।

भावार्थ :

कवि हिमालय और भारतवासियों के संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि हिमालय पर्वत की छाया शाम के समय सागर के जैसी प्रतीत होती है। हिमालय की पर्वत की तलहटी से शुरू होकर आगे विशाल-विस्तृत मैदान हैं, जो बेहद हरे-भरे हैं।

हिमालय पर्वत की हर सुबह गंगा की चादर की तरह लंबी होती है, क्योंकि हिमालय पर्वत का पूरा क्षेत्र ही विशाल और विस्तृत है। इसके मैदान हरे भरे विशाल और विस्तृत हैं। इन मैदानों में हिमालय से निकलने वाली गंगा-यमुना जैसी नदियां बहती है। जिसके कारण गंगा के लिए ये विशाल अत्यंत उपजाऊ हैं। चारों तरफ हरे-भरे खेत और हरी-भरी फैसले लहराती रहती है।

कवि कहते हैं कि हिमालय की गोद में बसा भारत ही नहीं इस आसपास के दूसरे देश भी हिमालय से निकलने वाली नदियों के कारण ही हरे-भरे हैं। हिमालय के कारण केवल भारत ही समृद्ध नहीं हुआ है बल्कि बल्कि आसपास के देश भी समृद्ध हुए हैं। हिमालय बेहद पवित्र पर्वत है। यहां पर वेदों की रचना हुई। यहां पर अनेक ज्ञानी-तपस्वी संत-साधक हुए हैं। ज्ञान की साधना के लिए लोग हिमालय जाते हैं, इसलिए हिमालय के साथ हम भारतीयों का कुछ ना कुछ अनोखा संबंध रहा है।


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चुप रहने के यारों, बड़े फायदे हैं, जुबाँ वक्त पर खोलना, सीख लीजे । भावार्थ बताएं?

ठाकुरबारी के नाम पर कितने बीघा खेत थे?

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‘ठाकुरबारी’ एक मंदिर था। ‘ठाकुरबारीके नाम कुल 20 बीघे खेत थे।

हरिहर काका पाठ में ठाकुरबारी एक मंदिर था, जिसे गाँव के लोगों ने चंदे के पैसे से बनवाया था। ठाकुरबारी के मंदिर बनवाने के पीछे यह कहानी है कि जब गाँव पूरी तरह बसा नहीं था। तब कहीं से एक संत आकर वहाँ पर झोपड़ी बनाकर रहने लगे। वह रोज ठाकुरजी की पूजा किया करते थे और गाँव के लोगों से भिक्षा आदि मांग कर अपना गुजारा करते थे।

धीरे-धीरे लोगों ने ठाकुर जी के प्रति श्रद्धा भाव के कारण चंदे के पैसों से एक छोटे से मंदिर का निर्माण कर दिया। ज्यों-ज्यों गाँव बसता गया, गाँव की आबादी बढ़ती गई। मंदिर का भी विकास होता गया। श्रद्धालु और अधिक दान-दक्षिणा देने लगे।  लोग ठाकुर जी से मन्नत मांगते और मन्नत पूरी होने पर अपने खेत का छोटा सा हिस्सा ठाकुरबारी के नाम कर देते थे।

इस तरह ठाकुरबारी के बीच कुल 20 बीघा खेत की संपत्ति को गई थी।

‘हरिहर काका’ पाठ में लेखक मिथिलेश्वर ने हरिहर काका नाम के एक वयोवृद्ध व्यक्ति का वर्णन किया है, जिनकी कोई संतान नही थी।  उनके पास काफी संपत्ति थी जिस कारण उनके भाई और उनका परिवार तथा गाँव के ठाकुरबारी मंदिर के महंत उनकी संपत्ति को हड़पना चाहते थे।

ठाकुरबारी गाँव का ही एक मंदिर था जो आरंभ में एक छोटा सा मंदिर था लेकिन लोगों के विश्वास और आस्था तथा श्रद्धालुओं के द्वारा दिए गए दान के कारण मंदिर की सम्पत्ति दिनों बढ़ती गई।


Other questions

ठाकुरबारी के गाँव के लोगों ने मंदिर कैसे बनवाया था? (क) पैसो से (ख) ठाकुर के पैसों से (ग) चंदा इकट्ठा करके (घ) कोई नहीं

ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में क्या है A. अपार श्रद्धा B. घृणा C. नफरत D. कुछ भी नही?

ठाकुरबारी के गाँव के लोगों ने मंदिर कैसे बनवाया था? (क) पैसो से (ख) ठाकुर के पैसों से (ग) चंदा इकट्ठा करके (घ) कोई नहीं

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सही विकल्प होगा :

() चंदा इकट्ठा करके


विस्तार से समझें :

ठाकुरबारी मंदिर गाँव के लोगों ने चंदा इकट्ठा करके बनवाया था। गाँव में ठाकुरबारी की स्थापना के बारे में जो कहानी प्रचलित है, उसके अनुसार वर्षों पहले जब गाँव पूरी तरह नहीं बसा था, तो कहीं से एक संत आकर उस जगह पर झोपड़ी बनाकर रहने लगे थे। वे संत सुबह-शाम ठाकुर जी की पूजा किया करते थे।

लोगों से मांग कर खा लेते थे। बाद में लोगों ने श्रद्धा व्यक्त करते हुए चंदा जमा करके ठाकुर जी का एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया। जैसे-जैसे गांव की आबादी बढ़ती गई वैसे-वैसे मंदिर का भी विकास होता गया। लोग मंदिर में मन्नत मांगते उनकी मन्नत पूरी होती तो मंदिर में चढ़ावा चढ़ाते। किसी को बहुत अधिक खुशी होती तो वह अपने खेत का एक छोटा सा टुकड़ा ठाकुरबारी के नाम लिख देता था। इस तरह ठाकुरबारी का मंदिर विकसित होता गया और उसके पास बहुत अधिक संपत्ति अर्जित हो गई।


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ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में क्या है A. अपार श्रद्धा B. घृणा C. नफरत D. कुछ भी नही?

अपनी पाठशाला में मनाए गए ‘पर्यावरण रक्षा दिन समारोह’ के बारे में वृत्तांत लेखन लिखिए​।

वृत्तांत लेखन


भारती विद्यापीठ, पुणे

पर्यावरण रक्षा दिवस समारोह

 

पुणे, 5 जून 2024। आज 5 जून 2024 को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के अवसर पर हमारे विद्यालय भारती विद्यापीठ में ‘पर्यावरण रक्षा दिवस समारोह’ का आयोजन किया गया। इस समारोह का मुख्य उद्देश्य के पर्यावरण के प्रति सभी छात्रों को जागरूक करना तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक उपाय के बारे में छात्रों को अवगत कराना था।

दोपहर 10 सभी छात्र विद्यालय पहुंच गए। सबसे पहले प्रधानाचार्य ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया और एक छोटे से भाषण में पर्यावरण का महत्व समझाया। उन्होंने सभी छात्रों का आह्वान करते हुए कहा कि सभी छात्र पर्यावरण के प्रति सचेत होने के लिए कहा। उन्होंने सभी छात्रों से कहा कि वह अपने जीवन में अधिक से अधिक वृक्ष लगाने का संकल्प लें। उन्होंने छात्रों को प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह बंद करने के लिए भी आगाह किया। प्रधानाचार्य ने बताया कि प्लास्टिक पर्यावरण की दुश्मन है, इसलिए पर्यावरण के संरक्षण के लिए आवश्यक है कि हम प्लास्टिक को पूरी तरह से त्याग दें।

उसके बाद विद्यालय के उद्यान में वृक्षारोपण का कार्य हुआ। विद्यालय के सभी छात्रों ने विद्यालय के उद्यान में नए-नन्हें नन्हें पौधों का रोपण किया। तीन घंटे तक यह कार्य चलता रहा। उसके बाद लंच ब्रेक हुआ।

दोपहर 2 बजे से फिर कार्यक्रम आरंभ हुआ और कुछ छात्रों ने विद्यालय में पर्यावरण के प्रति जागरूक करने संबंधी कविताएं पड़ीं। कुछ छात्रों ने पर्यावरण संबंधि छोटे-छोटे भाषण दिए।

प्रधानाचार्य ने अंत में फिर सभी छात्रों से संकल्प लिया कि वह अपने आसपास की कॉलोनी और आसपास के क्षेत्र में नियमित रूप से वृक्षारोपण किया करेंगे ताकि शहर में अधिक से अधिक हरियाली बढ़े। हर महीने में काम से कम पाँच वृक्ष अवश्य लगाएगा। समारोह में पर्यावरण के संरक्षण के लिए अन्य जरूरी उपायों पर भी चर्चा की गई। शाम 4 बजे कार्यक्रम सम्पन्न हुआ और विद्यालय की छुट्टी हो गई।

कुल मिलाकर विद्यालय में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण रक्षा दिवस समारोह का आयोजन काफी प्रेरणादायी रहा और हमें अपने पर्यावरण के संरक्षण के लिए आवश्यक प्रेरणा मिली।

 


Other questions

आपके विद्यालय में मनाए गए ‘पेड़ बचाओ पेड़ लगाओ’ उत्सव के बारे में एक वृत्तांत लेखन कीजिए।

विद्यालय में आयोजित खेल कूद प्रतियोगिता पर एक प्रतिवेदन लिखिए।

अग्निः काष्ठाज्जायते मथ्यमानात् भूमिः तोयं खन्यमाना ददाति । सोत्साहानां नास्त्यसाध्यं नराणाम् मार्गारब्धाः सर्वयत्नाः फलन्ति ।। अर्थ लिखें (हिंदी & English)

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अग्निः काष्ठाज्जायते मथ्यमानात् भूमिः तोयं खन्यमाना ददाति ।
सोत्साहानां नास्त्यसाध्यं नराणाम् मार्गारब्धाः सर्वयत्नाः फलन्ति ।।

अर्थ : उत्साह और साहस से पूर्ण व्यक्ति यदि चाहे तो लकड़ियों को आपस में रगड़कर ही आग उत्पन्न कर सकता है।  वह चाहे तो जमीन को खोदकर उसमें से पानी निकाल सकता है। उत्साह और साहस से काम करने वाले व्यक्ति के लिए कोई भी कार्य असाध्य नहीं होता। यदि सही दिशा और सही प्रयास से कार्य आरंभ किया जाए तो उस कार्य में सफलता अवश्य मिलती है।

Meaning : If a person full of enthusiasm and courage wants, he can create fire just by rubbing sticks together. If he wants, he can dig the ground and extract water from it. No task is impossible for a person who works with enthusiasm and courage. If the work is started with the right direction and right efforts, then success is definitely achieved.


Other questions

यथावत शब्द का वाक्य प्रयोग करें।

यदि युधिष्ठिर को राजा बना दिया गया तो कदम-कदम पर हमें अपमानित किया जाएगा। उपर्युक्त वाक्य किसने किससे कहा है?

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रश्न-1. राजा दशरथ ने वशिष्ठ मुनि से किस बात की चर्चा की? मुनि वशिष्ठ ने क्या सलाह दी? प्रश्न-2. पुत्रेष्ठि यज्ञ’ की तैयारी राजा दशरथ ने किस प्रकार की? प्रश्न-3. राजा दशरथ की रानियां ने किन-किन पुत्रों को जन्म दिया? प्रश्न-4. महर्षि विश्वामित्र के बारे में लिखिए। प्रश्न-5. महर्षि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से क्या मांग की? (पाठ – अवधपुरी में राम)

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प्रश्न-1. राजा दशरथ ने वशिष्ठ मुनि से किस बात की चर्चा की? मुनि वशिष्ठ ने क्या सलाह दी?

उत्तर : राजा दशरथ ने वशिष्ठ मुनि से रघुकुल के अगले उत्तराधिकारी के बारे में चर्चा की। राजा दशरथ के कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपने गुरु वशिष्ठ मुनि से इस बारे में बात की और संतान प्राप्ति का उपाय पूछा। तब वशिष्ठ मुनि ने संतान प्राप्ति के लिए उन्हें पुत्रेष्ठि यज्ञ करने की सलाह दी।


प्रश्न-2. ‘पुत्रेष्टि यज्ञ’ की तैयारी राजा दशरथ ने किस प्रकार की?

उत्तर : पुत्रेष्ठि यज्ञ की तैयारी करने के लिए राजा दशरथ सबसे पहले श्रंग्य ऋषि के पास गए क्योंकि श्रंग्. ऋषि ही एकमात्र ऋषि थे जो पुत्रेष्टि यज्ञ को संपन्न करा सकते थे। राजा दशरथ के अनुरोध पर श्रंग्य ऋषि पुत्रेष्टि यज्ञ करने के लिए तैयार हुए।

श्रंग्य ऋषि की देखरेख में पुत्रेष्टि यज्ञ की सारी तैयारियां पूरी हुई। यज्ञ की यज्ञशाला सरयू नदी के किनारे बनाई गई। राजा दशरथ ने इस यज्ञ में अनेक राजाओं को आमंत्रित किया था। सबने यज्ञ में आहुतिया डालीं। अंतिम आहुति राजा दशरथ ने डाली।


प्रश्न-3. राजा दशरथ की रानियां ने किन-किन पुत्रों को जन्म दिया?

उत्तर : राजा दशरथ की तीन रानियां थीं, कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा। तीनों रानियां ने कुल चार पुत्रों को जन्म दिया। राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने राम को जन्म दिया। दूसरी रानी कैकेयी ने भरत को जन्म दिया और सबसे छोटी रानी सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया।


प्रश्न-4. महर्षि विश्वामित्र के बारे में लिखिए।

उत्तर : विश्वामित्र मूल रूप से एक छत्रिय राजा थे, लेकिन उन्होंने अपना राज-पाट त्यागकर संन्यास ले लिया और पहले वह राजर्षि बने, फिर ब्रह्मर्षि बन गए। उन्होंने अपने एक विशाल आश्रम की स्थापना की। वह बहुत अधिक तपोबल वाले ऋषि थे। उन्होंने अपने तपोबल से अनेक सिद्धियां सिद्ध कर रखी थीं। वह एक सिद्धि प्राप्त करने के लिए यज्ञ कर रहे थे, जिसमें दो राक्षस बाधा डाल रहे थे।


प्रश्न-5. महर्षि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से क्या मांग की?

उत्तर : महर्षि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से उनके बड़े यानी जेष्ठ पुत्र राम को मांग लिया। महर्षि विश्वामित्र एक सिद्धि प्राप्त करने के लिए यज्ञ कर रहे थे। उनके आश्रम में होने वाले इस यज्ञ में दो राक्षस आकर बाधा डाल देते थे। इस कारण यज्ञ पूर्ण नहीं हो पा रहा था। उन राक्षसों का वध केवल राम ही कर सकते थे, इसीलिए महर्षि विश्वामित्र राजा दशरथ के पास उनके ज्येष्ठ राम को मांगने आए थे।


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यदि युधिष्ठिर को राजा बना दिया गया तो कदम-कदम पर हमें अपमानित किया जाएगा। उपर्युक्त वाक्य किसने किससे कहा है?

‘हरखि हृदय दशरथपुर आयी, जनु ग्रह दशा दूसह दुखदायी।’ काव्य पंक्ति में अलंकार है? 1. विभावना 2. रूपक 3. विरोधाभास 4. उत्प्रेक्षा

‘भारतीय टीम पहले मैदान में पहुंची।’ इस वाक्य में कौन सा काल भेद है?

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भारतीय टीम पहले मैदान में पहुंची।

वाक्य का काल भेद : भूतकाल

भूतकाल का उपभेद : सामान्य भूतकाल


सामान्य भूतकाल की परिभाषा

सामान्य भूतकाल भूतकाल का वह उपभेद होता है। जिसमें भूतकाल में सामान्य रूप से क्रिया संपन्न होने का बोध होता है। भूतकाल में जो क्रिया संपन्न हो रही है, वह भूतकाल में संपन्न तो हो गई है लेकिन उसमें किसी समय विशेष का बोध नहीं होता हो तो वहां पर ‘सामान्य भूतकाल’ होता है।

जैसे

  • मोहन घर से आया
  • रीमा ने खाना खाया।
  • जिग्नेश ने किताब खरीदी।
  • राजेश सीढ़ियों से गिर गया

इन सभी वाक्यों से भूतकाल में क्रिया संपन्न होने का तो बहुत हो रहा है, लेकिन क्रिया कब संपन्न हुई, यह बोध नहीं हो रहा इसलिए यह ‘सामान्य भूतकाल’ है।

भूतकाल के छः उपभेद होते हैं, जोकि इस प्रकार हैं :

  • सामान्य भूतकाल
  • पूर्ण भूतकाल
  • अपूर्ण भूतकाल
  • आसन्न भूतकाल
  • संदिग्ध भूतकाल
  • हेतुहेतुमद भूतकाल

काल की परिभाषा

‘काल’ से तात्पर्य किसी वाक्य में क्रिया या कार्य करने के समय से होता है अर्थात किसी वाक्य में क्रिया के जिस रुप से हमें कार्य के समय का बोध होता हो, उसे ‘काल’ कहा जाता है।

काल के तीन भेद होते हैं।

  • वर्तमान काल
  • भूतकाल
  • भविष्यत काल

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माताजी ने पत्र लिखा कौन सा काल है?

कोयला खान से निकलता है, कारक बतायें।

‘शिव-पुराण’ में कौन सा समास है?

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‘शिव-पुराण’ में समास को पहचानते हैं…

समस्त पद : शिव पुराण

समास विग्रह : शिव का पुराण

समास भेद : तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का उपभेद : संबंध तत्पुरुष


स्पष्टीकरण :

शिव-पुराण में तत्पुरुष समास इसलिए होगा क्योकि इसमें द्वितीय पद प्रधान है। यहाँ पर तत्पुरुष समास का उपभेद ‘संबंध तत्पुरुष’ समास होगा।

तत्पुरुष समास की परिभाषा के अनुसार जब दोनों पदों में दूसरा पद प्रधान हो तो वहाँ तत्पुरुष समास होता है।

संबंध तत्पुरुष समास का समास विग्रह करते समय उसमें ‘का’, ‘की’, ‘के’ जैसे योजक चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। समस्त पद में योजक चिन्हों का लोप हो जाता है। इन योजक चिन्हों द्वारा ही संबंध तत्पुरुष के पदों में संबंध तत्पुरुष प्रकट होता है इसलिए इसे संबंध तत्पुरुष समास कहते हैं।

तत्पुरुष समास के उदाहरण :

हथकड़ी हाथ के लिए कड़ी

त्रिपुरारि त्रिपुर का अरि

हस्तलिखित हाथ से लिखा हुआ

विद्यालय – विद्या का आलय

देशभक्त देश के लिए भक्ति


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गाना-बजाना में कौन-सा समास है?

गुलाब जामुन कौन सा समास है?

दिए गए वाक्यों में से संज्ञा शब्दों को अलग करके उनके भेद लिखिए। (1) पत्रकार मित्र ने साहसिक किस्से सुनाए। (2) वहाँ पंडित नेहरू उपस्थित थे (3) वीरता पुरस्कार दिए गए। (4) एक पटाखा शामियाने पर गिरा। (5) सिलेंडर से रेगुलेटर बंद किया।

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दिए गए वाक्यों में से संज्ञा शब्द और औक उनके भेद इस प्रकार होंगे :

1) पत्रकार मित्र ने साहसिक किस्से सुनाए।

संज्ञा शब्द : पत्रकार
संज्ञा भेद : जातिवाचक संज्ञा

संज्ञा शब्द : मित्र
संज्ञा भेद : जातिवाचक संज्ञा

2) वहाँ पंडित नेहरू उपस्थित थे

संज्ञा शब्द : नेहरू
संज्ञा भेद : व्यक्तिवाचक संज्ञा

३) वीरता पुरस्कार दिए गए।

संज्ञा शब्द : वीरता
संज्ञा भेद : भाववाचक संज्ञा

4) एक पटाखा शामियाने पर गिरा।

संज्ञा भेद : पटाखा
संज्ञा भेद : जातिवाचक संज्ञा

5) सिलेंडर से रेगुलेटर बंद किया ।

संज्ञा भेद : सिलेंडर
संज्ञा भेद : समूहवाचक संज्ञा


संज्ञा की परिभाषा और भेद

संज्ञा से तात्पर्य उन शब्दों से होता है, जो किसी व्यक्ति, वस्तु, जाति, स्थान के नाम का बोध करता हैं। अर्थात किसी व्यक्ति, वस्तु अथवा स्थान के नाम का भेद कराने वाले शब्दों को ‘संज्ञा’ कहते हैं।

संज्ञा के पाँच भेद होते हैं….

  • व्यक्तिवाचक संज्ञा
  • जातिवाचक संज्ञा
  • भाववाचक संज्ञा
  • द्रव्यवाचक संज्ञा
  • समूहवाचक संज्ञा

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‘आलोक माँ के लिए दवा लाया।’ वाक्य में कौन सा कारक प्रयुक्त होता है?

‘दमा’ का विशेषण क्या होगा ?

दूरदर्शन शिक्षा में बाधक या साधक (निबंध)

निबंध

दूरदर्शन शिक्षा में बाधक या साधक

भूमिका

दूरदर्शन शब्द की रचना दूर और दर्शन – इन दो शब्दों से हुई है। दूरदर्शन, यह एक ऐसा यंत्र है जिसके माध्यम से हम दूर की वस्तु, व्यक्ति, दृश्य आदि को देख सकते हैं और ध्वनि को सुन सकते हैं। यह रेडियो का विकसित रूप है। इसका आविष्कार इंग्लैंड के जे. एल. बेयर्ड ने 1925 ई. मे किया था। रेडियो से तो आकाशवाणी केंद्र से प्रसारित ध्वनि ही सुनी जा सकती है, पर दूरदर्शन के माध्यम से ध्वनि के साथ – साथ चित्र भी देखे जा सकते हैं।

आधुनिक जीवन पर प्रभाव

दूरदर्शन का हमारे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है। हमारा भारत देश अभी विकासशील देशों की गिनती में आता है। विकासशील देशों में जहाँ पर अधिकतर जनसंख्या अशिक्षित है वहाँ दूरदर्शन बहुत ही उपयोगी और सशक्त माध्यम है। इसके द्वारा जन-साधारण को शिक्षित किया जा सकता है। हामारा भारत देश कृषि प्रधान देश है। कृषकों (किसानों) को दूरदर्शन के माध्यम से खेती करने के आधुनिक साधनों के उपयोग की शिक्षा दी जा सकती है। पानी का उचित उपयोग कैसे किया जाए ताकि पानी व्यर्थ न हो। कीटनाशक दवाइयों का और खाद का प्रयोग कब और कैसे किया जाए , फलदार पेड़ – पौधे कैसे और कब लगाए और उनकी किस प्रकार उचित देख – रेख किस प्रकार की जाए इसकी जानकारी दूरदर्शन के माध्यम से देश के कोने – कोने में पहुँचा सकते हैं। ठीक इसी प्रकार से हमारे यातायात, चिकित्सा, दूरसंचार माध्यम, सामान्य शिक्षा आदि पर दूरदर्शन पर प्रभाव किसी से छिपा नहीं है।

ज्ञानवर्धन का साधन

दूरदर्शन नें हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को बहुत प्रभावित किया है। इसके माध्यम से हम अपना ज्ञानवर्धन कर सकते हैं। इसके माध्यम से हम सागर की गराइयों में पल रहे जीवन के स्वरूप को देख सकते हैं, पर्वतों की ऊँची–ऊँची शृंखलाओं को और पशु – पक्षियों व जीव–जन्तुओं की क्रियाओं को देख सकते हैं। हमारे जीवन में काम आने वाली वस्तुओं की उचित जानकारी देकर हमें ज्ञानवर्धक बनाता है। इस प्रकार दूरदर्शन ने विविध प्रकार के ज्ञान के द्वार खोल दिए हैं।

सामाजिक कुरीतियों का निवारण

हमारे समाज में बाल–विवाह, सती प्रथा, जाती प्रथा, दहेज प्रथा, जनसंख्या में वृद्धि, अशिक्षा आदि अनेक कुरीतियों ने अपनी जड़ें जमा रखी हैं। दूरदर्शन का उपयोग इन कुरीतियों के दुष्परिणामों को दर्शाने तथा जनसामान्य के विचारों में परिवर्तन लाने के लिए किया जा सकता है। अनौपचारिक शिक्षा का दूरदर्शन बहुत अच्छा माध्यम है। इसके द्वारा साक्षरता आंदोलन को बड़ाया जा सकता है और समाज के जीवन स्तर को उन्नत करने में सहायता ली जा सकती है। दूरदर्शन नें हमारे जीवन में क्रांति पैदा कर दी है।

मनोरंजन का साधन

दूरदर्शन नें मनोरंजन के क्षेत्र में भी अपनी उपयोगीता को निर्विवादित बना दिया है। मनोरंजन के द्वारा हम घर बैठे-बैठे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं। कोई मैच हो या कोई कवि सम्मेलन, चलचित्र आदि इन सभी कार्यक्रमों को दूरदर्शन पर देख सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं त्योहारों, पर्वों, प्रतियोगीताओं,सामाजिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दूरदर्शन पर आयोजन देख सकते हैं।

नुकसान और फायदे

दूरदर्शन नें हमें बहुत लाभ पहुँचाए है, वहाँ इससे हमें हानि भी कम नहीं हुई है | इससे हामार जीवन सुविधा–सम्पन्न हो गया है और इसके साथ–साथ हमारे अंदर निष्क्रियता और आलस्य पैदा हो गया है। इसके कारण समाज में समाजीकता समाप्त होती दिख रही है। दूरदर्शन के अत्यधिक प्रयोग से आँखों पर बुरा असर पड़ रहा है। दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले समाचार सुन कर सारी दुनिया की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अपने अधिकारों के प्रति गगरूक रहते हैं। दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले चलचित्र नवयुवकों को बहुत प्रभावित करते हैं।

निष्कर्ष

दूरदर्शन शिक्षा में बाधक भी है और साधक भी है। दूरदर्शन आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। इससे अपने आप को बचाए रखना संभव तो नहीं है पर इसका संयत उपयोग करके हम अपने जीवन को सरस, ज्ञानवर्धक, तथा अधिक उपयोगी बना सकते हैं।

 


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यदि हम पशु-पक्षी होते तो? (हिंदी में निबंध) (Essay on Hindi​)

अपने मित्र के क्रिकेट टीम में चुने जाने पर मित्र को बधाई देते हुए पत्र लिखें।

अनौपचारिक पत्र

अपने मित्र के क्रिकेट टीम में चुने जाने पर मित्र को बधाई देते हुए पत्र

दिनाँक : 27 मार्च 2024

 

प्रिय मित्र दिव्यांशु,
कैसे हो?

आज मुझे पता चला कि तुम्हारा चयन हमारे जिले की क्रिकेट टीम में हो गया है और तुम राज्य स्तरीय क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए जाने वाले हो।

तुम्हारी इस सफलता पर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई। मेरी तरफ से तुम्हारी इस सफलता पर हार्दिक बधाई। मैं तुम्हारे सुखद भविष्य की कामना करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि तुम्हें यूँ ही निरंतर उन्नति मिलती रहे और तुम सफलता के पथ पर आगे बढ़ते रहो।

आने वाले क्रिकेट टूर्नामेंट तुम सफल होकर आओ, यही मेरी शुभकामना है। मेरी इच्छा है कि तुम राज्य स्तरीय टीम में चुने जाओ और उसके बाद राष्ट्रीय टीम में भी चुने जाओ। मैं तुम्हारे उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ और जिले की टीम में चुने जाने पर पुनः तुम्हें बधाई देता हूँ।

तुम्हारा मित्र,
अंशुल


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दुर्गा पूजा त्योहार की शुभकामनाएँ देते हुए मित्र को संदेश लिखिए।

आपके चाचा जी लोकसभा चुनाव जीत गये हैं। मतदाताओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कामना करते हुए उन्हें बधाई पत्र लिखिये।

यथावत शब्द का वाक्य प्रयोग करें।

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‘यथावत’ शब्द के कुछ वाक्य प्रयोग इस प्रकार हैं :

  • हमारे देश में कुछ प्राचीन ऐतिहासिक इमारतें कितनी मजबूत से बनाई गई हैं कि सैकड़ों वर्षो के बाद भी वे इमारतें यथावत खड़ी हैं।
  • कल हमारे शहर में बहुत तेज आंधी आई और हमारे बगीचे के सारे पेड़ उखड़ कर गिर गए, लेकिन पीपल का एक पेड़ इतना मजबूत था कि वह यथावत खड़ा रहा।
  • यह पुस्तक श्रीमद्भगवद्गीता के मूल संस्कृत ग्रंथ का यथावत हिंदी रूपांतरण है।
  • भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बहुत दिनों से तनाव है। अनेक तरह की बातचीत के प्रयासों के बावजूद तनाव की यथावत स्थिति बनी हुई है।

यथावत का अर्थ

यथावत का अर्थ होता है, ज्यों का त्यों अर्थात जब कोई वस्तु या पदार्थ अपनी ज्यों की त्यों अवस्था में रहता है, उसमें कोई परिवर्तन नही होता है, तो उसे ‘यथावत’ कहते हैं।

यदि युधिष्ठिर को राजा बना दिया गया तो कदम-कदम पर हमें अपमानित किया जाएगा। उपर्युक्त वाक्य किसने किससे कहा है?

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“यदि युधिष्ठिर को राजा बना दिया गया तो कदम-कदम पर हमें अपमानित किया जाएगा।” यह वाक्य दुर्योधन ने अपने पिता धृतराष्ट्र से कहा है।

जब युधिष्ठिर के पिता पांडु की मृत्यु हो गई तो पांडु की मृत्यु के बाद अंधे धृतराष्ट्र को राजा बनाया गया। क्योंकि धृतराष्ट्र अंधे थे और राजकाज इतनी कुशलता पूर्वक नहीं चला सकते थे। इसलिए पांडु के पुत्र युधिष्ठिर को राजा बनाने की बात चली।

दुर्योधन युधिष्ठिर के राजा बनाने के विरुद्ध था। वह कहता था कि राज्य पर उसके पिता का पहला अधिकार था, लेकिन उसके चाचा पांडु को राज्य मिल गया। चूँकि उसके पिता बड़े भाई हैं, इसलिए बड़े भाई का सबसे बड़ा पुत्र होने के कारण वह राजा बनने का उत्तराधिकारी है ना कि युधिष्ठिर।

युधष्ठिर को राजा बनाने की बात चली तो दुर्योधन ने विरोध करते हुए धृतराष्ट्र से कहा कि युधिष्ठिर को राजा बना दिया गया तो कदम-कदम पर हमें अपमानित किया जाएगा। क्योंकि वह स्वयं राजा बनना चाहता था। इसी कारण वह युधिष्ठिर के राजा बनने के विरुद्ध था और पांडवों को किसी भी कीमत पर किसी भी तरह की राजसत्ता देने के समर्थन में नहीं था।


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‘घनश्याम’ में कौन सा समास है? (1) द्विगु समास (2) द्वंद समास (3) बहुव्रीहि समास (4) तत्पुरुष समास (5) कर्मधारण्य समास

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‘घनश्याम’ में समास के लिए सही विकल्प होगा…

(5) कर्मधारण्य समास


समस्त पद : घनश्याम

समास विग्रह : घन (बादल) के समान श्याम

समास भेद : कर्मधारण्य समास


स्पष्टीकरण

धनश्याम में ‘कर्मधारण्य समास’ होगा। इसमें कर्मधारण्य समास होने का प्रमुख कारण ये है कि इसके समास विग्रह में पहला पद एक विशेषण का कार्य कर रहा है।

कर्मधारय समास की परिभाषा के अनुसार कर्मधारण्य समास में पहला पद एक विशेषण का कार्य करता है तथा दूसरा पर उसका विशेष्य होता है। कर्मधारय समास में पहला पद उपमान तथा दूसरा पर विशेष्य का कार्य करता है।

जैसे

  • विश्वव्यापी: विश्व में व्याप्त है जो
  • नीलांबर: नीला है जो अंबर
  • चरणकमल: चरण के समान कमल
  • कामधेनु: कामना पूरा करने वाली धेनु

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गाना-बजाना में समास को पहचानते हैं…

समस्त पद : गाना-बजाना

समास विग्रह : गाना और बजाना

समास भेद : द्वंद्व समास


स्पष्टीकरण :

‘गाना-बजाना’ में द्वंद्व समास इसलिए है क्योंकि इस समस्त पद का समास विग्रह करने पर इसके दोनों पद प्रधान हैं। द्वंद्व समास मे दोनो पद प्रधान हैं।

गाना-बजाना का समास विग्रह करेंगे तो गाना और बजाना दोनों पद प्रधान होंगे।

द्वंद्व समास की परिभाषा के अनुसार दोनों समास में दोनों पद प्रधान होते हैं तथा जब इन पदों का समास विग्रह किया जाता है तो इन पदों के बीच ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ जैसे योजक लगते हैं।

जैसे

  • मातापिता: माता और पिता
  • सुखदुख: सुख और दुख
  • छलकपट: छल और कपट

समास से तात्पर्य शब्दों के संक्षिप्तीकरण से होता है। हिंदी व्याकरण की भाषा में समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब दो या दो से अधिक पदों का संक्षिप्तीकरण करके एक नवीन पद की रचना की जाती है।


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नवीन जीवन-दृष्टि एवं विचारों के प्रसार के लिए हमारे अंदर किन-किन गुणों का होना आवश्यक है? और क्यों?​

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नवीन जीवन-दृष्टि एवं विचारों के प्रसार के लिए हमारे अंदर निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है:

  • नवीन जीवन-दृष्टि एवं विचारों के प्रसार के लिए आवश्यक है कि नए विचारों को स्वीकार करने और समझने के लिए हमारे अंदर सोच-विचार के खुलेपन का गुण होना चाहिए है। नवीन जीवन-दृष्टि एवं विचारों के लिए आवश्यक है कि हमारी सोच संकीर्ण न हो। हम हमेशा अपनी परंपरागत और रुढ़िवादी सोच से ही न चिपके रहें बल्कि हमें खुले विचारों वाला यानि Open-minded होना होगा।
  • हमारे अंदर नई-नई चीजों को सीखने का कुतूहन होना जरूरी है। हमारे अंदर सब कुछ जानने की जिज्ञासा होनी आवश्यक है। हम नित नई-नई बातों को सीखते और समझते रहें, इस गुण का होना बेहद आवश्यक है। हमारे अंदर का कुतूहल और जिज्ञासा ही हमे नवीन दृष्टि एवं नवीन विचारों के प्रसार और उन्हें आत्मसात करने के लिए प्रेरित करेगी।
  • हमारे अंदर नए-नए विचारों और दृष्टिकोण को समझने और उनका विवेचन करने का एक समालोचनात्मक चिंतन होना आवश्यक है। हम किसी भी बात को एकदम तौर पर स्वीकार करने की जगह उसे समझने उसका मूल्यांकन करने में सक्षम हों। हमारे अंदर का समालोचनात्मक चिंतन हमें सही विचारों को ग्रहण करने में मदद करेगा और नवीन विचारों की वैधता, प्रमाणिकता और उनकी प्रासंगिकता का मूल्यांकन करने में भी हमारी मदद करेगा।
  • हमारे अंदर अलग-अलग विचारों और विचारधाराओं को ग्रहण करने का साहस होना भी आवश्यक है। हमें अपनी रुढ़िओं और प्रचलित मान्यताओ के प्रभाव न आकर हम नवीन विचार और दृष्टिकोण को ग्रहण करने का  विकसित करना होगा।
  • किसी भी नवीन विचार को ग्रहण करते समय हम किसी भी तरह के पूर्वाग्रह से ग्रस्त ना हों और बिल्कुल खुले दिमाग से नवीन विचार को स्वीकार करें और उसका मूल्यांकन करें। इसके लिए हमारा सहिष्णु होना आवश्यक है।
  • हमारे अंदर भाषा कौशल और संवाद कौशल का गुण होना चाहिए ताकि हम किसी भी विषय को अच्छी तरह समझ सकें, उस पर लिख सकें और उस विषय पर संवाद स्थापित कर सकें।

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विश्व-नागरिक होने की भावना ही व्यक्ति के मन में सच्ची मानवता का संचार करती है। इस पर अपने विचार लिखिए।

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विचार/अभिमत

 

विश्व नागरिक होने की भावना मनुष्य के अंदर मानवता संचार करती है, यह बात बिल्कुल सही और सत्य है। विश्व नागरिक होने का अर्थ है कि मनुष्य पूरी पृथ्वी को अपना घर समझे। उसके अंदर ‘वसुधैव कुटम्बकम्’ की भावना हो। वह पृथ्वी के कल्याण और पृथ्वी के सभी मानवों के प्रति प्रेम भाव से रहे। एक विश्व नागरिक वह होता है जो पूरी पृथ्वी को एक समान समझना है। जो देशों और देशों की सीमाओं  के बंधन से परे होकर, जाति-धर्म-नस्ल से परे होकर पृथ्वी के समस्त मनुष्यों को एक समान समझे वह पृथ्वी के हर प्राणी को अपने परिवार का सदस्य ही समझे।

जब कोई व्यक्ति विश्व नागरिक बनता है तो उसके अंदर देश, धर्म, जाति, नस्ल, लिंग आदि के आधार होने भेद मिट जाते हैं। वह संपूर्ण पृथ्वी के सभी नागरिकों को एक समान समझना है और फिर जब उसके अंदर इस तरह के भाव जागृत हो जाते हैं तो वह सच्ची मानवता के गुणों से युक्त व्यक्ति बन जाता है, उसके अंदर सच्ची मानवता का संचार होने लगता है।

अपनी पूरी पृथ्वी के कल्याण के लिए आवश्यक है कि हमें सच्चे विश्व नागरिक बनाने होंगे पृथ्वी के किसी एक क्षेत्र के विकास की नहीं बल्कि संपूर्ण पृथ्वी के कल्याण और संरक्षण की बात करें। जाति-धर्म-नस्ल-भाषा-संस्कृति के आधार पर जो पृथ्वी के जो नागरिक आपस में लड़ रहे हैं, वह लड़ाई बंद करनी होगी।

पृथ्वी के संसाधनों के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाकर पृथ्वी के हर हिस्से के हर संसाधन के संरक्षण का प्रयास करना होगा, पूरी पृथ्वी और पूरी पृथ्वी के मानवों का कल्याण सोचना होगा तभी हम विश्व-नागरिक बन सकेंगे। यही सच्ची मानवता का परिचायक होगा।


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बड़े भाई साहब पाठ के आधार पर दादा जी द्वारा भेजा जाने वाला खर्चा कितने दिन चलता था?

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बड़े भाई साहब पाठ के आधार पर कहें तो दादाजी द्वारा भेजा जाने वाला खर्चा बीस-बाइस दिन चलता था।

 

विस्तार से समझें

‘बड़े भाई साहब’ पाठ  मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया है, उसमें बड़े भाई साहब छोटे भाई को डांटते हुए कहते हैं कि हम तुम यह नहीं जानते कि महीना वर्ष का खर्चा कैसे चलाया जाए। दादा हमें जो खर्चा भेजते हैं, वह हम बीस-बाइस दिन में खर्च कर डालते हैं और बाद में पैसे-पैसे को मोहताज हो जाते हैं। हमारा नाश्ता बंद हो जाता है, धोबी और नाई से मुंह चुराने लगते हैं। हम बीस-बाइस दिनों में जितना खर्चा कर देते हैं, उसके आधे में दादा अपना पूरा महीना आराम से निकाल लेते थे।

‘बड़े भाई साहब’ पाठ ‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा लिखी गई एक कहानी है। इसमें उन्होंने दो भाइयों के बीच की आपसी संबंधों की कहानी की रचना की है। इस कहानी के मुख्य पात्र दो भाई हैं, जो अपने घर से दूर रहकर और छात्रावास में पढ़ाई कर रहे हैं। बड़े भाई साहब छोटे भाई से 5 वर्ष बड़े हैं और छोटे भाई के प्रति अपने कर्तव्य के निर्वहन करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। छोटा भाई चंचल और पढ़ाई के प्रति लापरवाह स्वभाव का है इसलिए बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई पर नियंत्रण रखना चाहते हैं ताकि उनका छोटा भाई किसी गलत रास्ते पर चला।

संदर्भ पाठ : (‘बड़े भाई साहब’ पाठ, मुंशी प्रेमचंद, कक्षा – 10, पाठ -10)


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सरसों की फसल से वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है । ( पाठ ग्राम श्री )

स्वर्ण श्रृंखला का बंधन से क्या अर्थ है?

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स्वर्ण श्रृंखला के बंधन से अर्थ यह है कि पक्षियों को सोने के पिंजरे में बंद कर दिया गया है। उन्हें सोने की जंजीरों से बांध दिया गया है। वह पक्षी जो स्वच्छंद आकाश में उड़ने के आदी रहे हैं, जिनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति आकाश में स्वच्छंद रूप से विचरण करने की है, उन्हें सोने के पिंजरे में बंद कर दिया गया है। उनके सामने मीठे-मीठे पकवान रख दिए गए हैं। लेकिन पक्षियों को ना तो वह सोने का पिंजरा अच्छा लग रहा है और ना ही वह मीठे मीठे पकवान अच्छे लग रहे हैं। उन्हें आजाद रहकर आकाश में विचरण करना और जगह-जगह भटककर कड़वी नीम की बौरियों को खाना ज्यादा अच्छा लगता है, क्योंकि उसमें उनके मेहनत की मिठास छुपी होती है।

‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ कविता के माध्यम से कवि शिवमंगल सुमन ने पिंजरे में बंद पक्षीयों की मनोदशा का वर्णन किया है। कवि पक्षियों के माध्यम से यह बताना चाहता है कि पक्षियों को अपनी स्वतंत्रता पसंद है। उन्हें सोने के पिंजरो में उन्हें गुलामी पसंद नहीं। भले ही उन्हें सोने के पिंजरे क्यों ना मिले और मीठे-मीठे पकवान क्यों न मिले। दासता के सोने के पिंजरों और मीठे पकवान की जगह उन्हें स्वतंत्रता अधिक पसंद है, भले ही उसमें उन्हें भटक पड़ता हो और कड़वी नीम की बौरियां खानी पड़ें।

संदर्भ पाठ : ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ कवि शिवमंगल सिह सुमन, स्वर्ण श्रृंखला कक्षा – 7, पाठ – 1


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सरसों की फसल से वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है । (पाठ – ग्राम श्री )

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सरसों की फसल से वातावरण पर बेहद मनमोहक प्रभाव पड़ा है। सरसों की फसल से चारों तरफ हरियाली और सरसों के पीले फूल ही दिखाई दे रहे हैं। इससे चारों तरफ का वातावरण बेहद मनभावन हो गया है। खेतों में दूर दूर तक मखमली हरियाली फैली हुई है, उन पर खिले हुए सरसों के पीले फूल उन खेतों की सुंदरता को और बढ़ा रहे हैं। ऐसा लगता है कि धरती ने पीले रंग की चादर ओढ़ रखी हो और नीला आकाश दुरुपयोग कर धरती का अभिनंदन कर रहा हो। सरसों के अलावा गेहूँ, जौ, हरी मटर, सनई, अरहर, पालक, धनिया आदि की फसलें भी वातावरण के शोभा को और बढ़ा रही हैं। फूलों पर तरह-तरह के रंगीन तितलियां मंडरा रही हैं, जिससे वातावरण की छटा निखर उठी है।

संदर्भ पाठ :

‘ग्राम श्री’ कविता में कवि ने गाँव में दूर दूर तक फैले खेतों के सौंदर्य और ग्रामीण जन-जीवन की सुंदरता का वर्णन किया है।

(‘ग्राम श्री’ कविता, कक्षा 9 पाठ 13, क्षितिज)


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वृक्ष विहीन पहाड़ पर मनुष्य को इस प्रकार नुकसान पहुंचाते हैं कि वह प्राकृतिक आपदा बनकर मनुष्य पर टूट पड़ते हैं। वृक्ष विहीन पहाड़ भूस्खलन का एक बड़ा कारण बनते हैं। भूस्खलन से जान-माल को बड़े स्तर पर क्षति पहुंचती है। जिन पहाड़ों पर वृक्षों की संख्या कम होती है या वृक्ष विहीन होते हैं, वह पहाड़ धीरे-धीरे खंडित होते रहते हैं और भूस्खलन की प्रक्रिया द्वारा उनका अस्तित्व धीरे-धीरे कम होता जाता है।

इन पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर और मिट्टी आदि गिरते रहते हैं, जो कि आसपास के लोगों के लिए और आने जाने वाले लोगों के लिए खतरनाक बनते हैं। इसलिए यदि पहाड़ पर पर्याप्त मात्रा में वृक्ष हो तो ना तो पहाड़ पर भूस्खलन हो और ना ही हम किसी तरह की प्राकृतिक आपदा आएगी।

वृक्ष विहीन पहाड़ हो या भूमि सब जगह प्रकृति अपना कहर बरपाती है। वृक्ष प्रकृति की बाजू के समान हैं। यदि हम पृथ्वी की बाजू को काट डालेंगे तो प्रकृति भी हम पर कहर बरसायेग। इसलिए पहाड़ों को वृक्ष विहीन करने की अपेक्षा यह प्रयास करें कि पहाड़ों पर अधिक से अधिक वृक्ष लगें। ये हम सबके हित में होगा।


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कवि के जीवन में सबसे बड़ी त्रासदी क्या थी? ‘आत्मकथ्य’ कविता के आधार पर बताएं।

अपनी मौसेरी बहन को यूनिवर्सिटी में प्रथम आने की बधाई देने के लिए हुई टेलीफ़ोन-वार्ता को संवाद रूप में लिखिए।

संवाद लेखन

मौसरी बहन के साथ टेलीफोन पर संवाद

 

राधा : (ट्रिन-ट्रिन , फोन की घंटी) हेल्लो, आप कौन बोल रहे हैं?

सीता : हेल्लो राधा, मैं शिमला से तुम्हारी मासी की बेटी बोल रही हूँ।

राधा : नमस्ते दीदी,  माफ करना मैंने आपको पहचाना नहीं था।

सीता : पहचानोगी कैसे इतने समय से हमारी बात ही नहीं हुई है। मैं कल ही चार साल बाद लंदन से आई हूँ और रात ही माँ ने मुझे बताया कि तुम यूनिवर्सिटी में प्रथम आई हो। ये सुनकर बहुत खुशी हुई। इसीलिए तुम्हे बधाई देने के लिए मैंने फोन किया। तुम्हारी इस उपलब्धि पर मेरी तरफ से तुम्हे ढेर सारी बधाई।

राधा : धन्यवाद ! दीदी।

सीता : अब तुमने आगे क्या करने का सोचा है?

राधा : अभी मैं और आगे पढ़ना चाहती हूँ और अपने देश के लिए कुछ करना चाहती हूँ।

सीता : मुझे बहुत खुशी हुई कि तुम अपने देश के बारे में सोचती हो।

राधा : दीदी, हमारी यूनिवर्सिटी ने मुझे स्वर्ण पदक देने का निर्णय लिया है। दो दिन बाद उसका समारोह है, अगर हो सके तो आप भी आने की कोशिश करना। मुझे अच्छा लगेगा।

सीता : हाँ–हाँ ज़रूर। यह तो मेरे लिए खुशी कि बात होगी।

राधा : मैं आपका इंतजार करूँगी। नमस्ते दीदी।

सीता : नमस्ते।


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माताजी की बीमारी के संबंध में मित्र को पत्र

 

दिनांक : 04 अप्रेल 2024

 

प्रेषक : भरत सैनी, 213,
सैनिक विहार, दिल्ली – 110034

प्राप्तकर्ता : दीपांशु नरवाल,
रोहतक, हरियाणा

प्रिय मित्र दीपांशु,
सदा खुश रहो,

कल तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। पत्र से मुझे यह पता चला कि तुम्हारी माता जी का स्वास्थ नहीं अच्छा नहीं है। इस कारण तुम मानसिक रूप से बेहद परेशान भी हो। तुम्हारे पत्र से तुम्हारी परेशानी स्पष्ट रूप से झलक रही थी।

मित्र, मैं तुम्हारी मनःस्थिति को समझ सकता हूँ। माँ की तबीयत खराब होने पर पुत्र की कैसी मनोःस्थिति होती है, ये तुम से बेहतर कोई नहीं जान सकता। मित्र, इस समय हिम्मत हारने का समय नहीं है। तुम्हें अपनी माताजी की देखभाल करनी है। अच्छे से देखभाल करनी है ताकि वह शीघ्र से शीघ्र स्वस्थ हो जाएं। यदि तुम निराशा का भाव अपनाओगे और चिंताग्रस्त रहोगे तो तुम अपनी माताजी की देखभाल अच्छी तरह नहीं कर पाओगे और इससे ना केवल तुम्हारे माताजी के स्वस्थ होने में देर होगी बल्कि वे भी तुम्हे परेशान देखकर चिंतित होंगी इससे उनके स्वस्थ में देर हो सकती है।

इसलिए मेरा तुम से अनुरोध है कि तुम स्वयं को संभालो और स्वयं को मानसिक रूप से मजबूत करो। जीवन में सुख-दुख आते ही रहते हैं। हमें दुखों का चिंतापूर्वक सामना करना चाहिए।

यह कठिन घड़ी है, तुम स्वयं को संभाल कर अपनी खूब देखभाल और सेवा करो और यह प्रयास करो कि शीघ्र से शीघ्र स्वस्थ हो जाएं। अधीर होने से तुम्हारी समस्या का हल नहीं निकलेगा बल्कि समस्या बढ़ती ही जाएगी इसीलिए तुम्हें धीरज धारण करना होगा।

आशा है, तुम मेरी बात समझोगे और स्वयं को संभाल कर संकट की घड़ी का सामना दृढ़ता और धीरज से सामना करोगे।

मैं तुम्हारी माताजी के शीघ्र स्वस्थ होने की ईश्वर से कामना करता हूँ। तुम्हारे संकट की घड़ी में मैं पूरी तरह तुम्हारे साथ हूँ। जब भी आवश्यकता पड़े तो मुझे याद कर लेना।

तुम्हारा मित्र,
भरत सैनी


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रचना के आधार पर नीलकमल शब्द का रूप इस प्रकार होगा :

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विस्तार से समझें, क्यों?

रचना के आधार पर ‘नीलकमल’ एक यौगिक शब्द है, क्योंकि यौगिक शब्द वह शब्द होते हैं, जो दो शब्दों को मिलाकर बनाए जाते हैं।

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1. रूढ़ शब्द
2. यौगिक शब्द
3. योगरूढ़ शब्द

रूढ़ शब्द वे शब्द होते हैं, जो किसी दूसरे शब्द के योग से नहीं बने हैं और जिन का खंडन नहीं किया जा सके।
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दिनांक 28-1-2024,

कालिदास मार्ग ,
उज्जैन, उत्तर प्रदेश – 171011

 

प्रिय अनुज मयंक
स्नेह!

आशा करती हूँ कि तुम छात्रावास में कुशलता से होंगे। हम सब भी यहाँ पर कुशलता से हैं।
मयंक, कल तुम्हारे स्कूल से तुम्हारे प्रधानाचार्य द्वारा भेज पत्र मिला, उसमें लिखा था कि तुम इस वर्ष परीक्षा में प्रथम आए हो और तुम्हें क्रिकेट टीम का कप्तान भी चुना गया है। सुनकर बहुत खुशी हुई पर साथ ही उसमें यह भी लिखा था कि तुम आजकल बार-बार बीमार पड़ रहे हो। कभी तुम्हें सर्दी–जुकाम हो जाता है तो कभी तुम्हारा हाज़मा खराब हो जाता है।

मुझे लगता है कि तुम्हारी प्रतिरक्षा प्रणाली ( immune system ) कमज़ोर हो गया है। मेरे प्यारे भाई तुम्हें याद ही होगा कि जब कोरोना इतना ज्यादा फैला हुआ था तब हमारे पूरे परिवार का कोई भी सदस्य बीमार नहीं पड़ा था जानते हो इसका कारण क्या था?

इसका कारण था कि हम सब लोग नियमित रूप से व्यायाम करते थे और पौष्टिक आहार खाते थे। बाहर के खाद्य पदार्थों का सेवन बिल्कुल भी नहीं करते थे। मुझे लगता है कि तुम बाहरी खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा करने लगे हो , यह बाहर के खाद्य पदार्थ हमारी सेहत के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है क्योंकि ज़्यादातर बाहर के खाद्य पदार्थ मैदे से बने होते हैं और बहुत ज्यादा तले हुए होते हैं। तुम्हें इनका सेवन बंद करना होगा और नियमित व्यायाम करना होगा।
तुमने वह कहावत तो सुनी ही होगी “उत्तम स्वास्थ्य ही सफलता की कुंजी है”।

बड़ी बहन होने के नाते मेरा यह फर्ज बनता है कि मैं तुम्हें नियमित रूप से व्यायाम करने के फायदे बताऊँ। शरीर को स्वस्थ रखने में व्यायाम की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नियमित व्यायाम करने से आपका शरीर बीमारियों से मुक्त हो जाता है और आपका मानसिक संतुलन भी बना रहता है।

व्यायाम हमेशा खुले वातावरण में करना चाहिए क्योंकि  व्यायाम करते समय शुद्ध वायु और रोशनी की ज़रूरत होती है। नियमित रूप से व्यायाम करने से मानसिक संतुलन में वृद्धि होती है, आलस्य दूर होता है और याददाश्त बढ़ती  है।

व्यायाम करना हमारे शरीर के लिए उतना ही आवश्यक होता है जितना की भोजन करना। व्यायाम करने से शरीर को शक्ति और स्फूर्ति मिलती है और शरीर को संतुलित रखने जैसी जीवन की कोई बड़ी अनमोल चीज नहीं होती। आशा करती हूँ कि तुम अपनी बड़ी बहन की बात समझ गए होंगे और तुम अब नियमित रूप से व्यायाम करोगे। अपना ध्यान रखना।

तुम्हारी बड़ी बहन,
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इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला की दोस्ती भारतीय समाज के लिए किस प्रकार प्रेरक है?

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इफ्फन और टोपी शुक्ला की दोस्ती समाज के लिए इस प्रकार प्रेरक है, क्योंकि उन दोनों की दोस्ती भाईचारे का प्रतीक बनती है। इफ्फन और टोपी शुक्ला दोनों अलग-अलग धर्म से संबंध रखते थे। टोपी शुक्ला जहां हिंदू था, वहीं इफ्फन मुस्लिम था। लेकिन धर्म की दीवार दोनों की दोस्ती के बीच में नहीं आ पाई। दोनों प्रेम एवं स्नेह के अटूट बंधन में बने थे। यह भाईचारे की अद्भुत मिसाल थी, जो समाज के लिए बेहद जरूरी है।

जब इफ्फन के पिता का तबादला हुआ और इफ्फन चला गया तो टोपी शुक्ला अकेला रह गया। लेकिन उसके बाद उसका कोई भी ऐसा मित्र नहीं बन पाया जो इफ्फन जैसा हो। इफ्फन और टोपी शुक्ला वास्तव में एक-दूसरे के सच्चे दोस्त थे। उनकी दोस्ती धर्म और जाति से अलग हटकर सामाजिक भाईचारे की प्रतीक थी, इसलिए इफ्फन और टोपी शुक्ला की दोस्ती भारतीय समाज के लिए एक प्रेरक है।

संदर्भ : पाठ ‘टोपी शुक्ला’, हिंदी (संचयन), कक्षा – 10, पाठ -3


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तताँरा और वामीरो की मृत्यु को त्यागमयी क्यों कहा गया है? उनकी मृत्यु के बाद समाज में कौन सा परिवर्तन आया?

डॉ. चंद्रा ने अपनी माँ का चित्र कहाँ लगा रखा था?

आप और आपका मित्र दोनों सड़क पार करके बाजार जाना चाहते थे, परंतु कुछ मोटर साइकिल सवार लाल बत्ती की परवाह न करके जा रहे थे। इससे पैदल यात्रियों को असुविधा हो रही थी। इस संबंध में आपके मित्र के साथ जो बातचीत हुई उसे संवाद रूप में लिखिए।

संवाद लेखन

मित्रों के बीच सड़क पार करने को लेकर संवाद

 

पहला मित्र : कितनी देर हो गई, लेकिन हमें सड़क पार करने को नहीं मिल पा रही।

दूसरा मित्र : हाँ, यह वाहन चालक खासकर मोटरसाइकिल वाले यातायात के नियमों का पालन जरा भी नहीं करते। अंधाधुंध मोटरसाइकिल चला रहे हैं और लाल बत्ती होने पर भी नही रुक रहे।

पहला मित्र : तुम सही कह रहे हो। इन लोगों को ना तो यातायात के नियम की कोई परवाह है और ना ही हम पैदल यात्रियो की। यह लोग लाल बत्ती को देखकर रुकते नहीं।

पहला मित्र : हाँ यार, इन लोगों को पैदल यात्रियों की कोई परवाह नहीं। यह नहीं देखते कि पैदल यात्रियों को भी सड़क पार करनी है।

दूसरा मित्र : वही हमारे साथ हो रहा है, इतनी देर हो गई लेकिन हम लोग सड़क पार नहीं कर पा रहे। हमें देर रही है।

पहला मित्र : इन मोटरसाइकिल वालों का कोई भरोसा नहीं। यदि हम सड़क पार करने की कोशिश करें और यह लोग हमें टक्कर मार दें तो हमारा ही नुकसान होगा।

दूसरा मित्र : बिल्कुल सही बात है लेकिन अब क्या करें। अपनी जान का खतरा लेकर ही सड़क पार करनी होगी। नही तो हम लोग इंतजार करते रह जाएंगे और सड़क पार करने को नहीं मिलेगी।

पहला मित्र : चलो कुछ कोशिश करते हैं। वो देखो सड़क अभी खाली है। एक मोटरलसाइकिल और एक कार आ रही है, लेकिन दूर है, यहाँ पहुँचते-पहुँचते समय लगेगा, तब तक सड़क पार कर लेते है।

दूसरा मित्र : हाँ चलो जल्दी।


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अपनी प्रिय पुस्तक पर दो सहेलियों रानी और मीरा के बीच हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।

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संवाद लेखन

दो सहेलियों के बीच प्रिय पुस्तक के विषय में संवाद

 

मीरा : (दरवाज़े की घंटी की आवाज़) कौन है ? रुको ज़रा, अभी आई।

रानी : (दरवाज़ा खुलते ही) क्या बात है, दरवाज़ा खोलने में इतनी देर।

मीरा : (गले मिलते हुए) कैसी हो तुम और आज इतने समय के बाद तुम्हें मिलने की फुरसत मिल ही गई, ना कोई फोन ना कोई चिट्ठी, कहाँ हो आजकल ? तुम तो ईद का चाँद ही हो गई हो।

रानी : क्या करूँ यार आजकल कुछ दिनों से बहुत व्यस्थ थी, पहले एक महीने के लिए ससुराल गई हुई थी फिर वापस आई तो बच्चों की परीक्षाएं शुरू हो गई थी।

मीरा : (नाराजगी दिखते हुए) एक फोन तक नहीं किया तुमने, मैंने तुम्हें कितने फोन किए कितने मैसेज किए लेकिन तुम ने एक का भी जवाब नहीं दीया।

रानी : (प्यार से मनाते हुए) अच्छा बाबा अब नाराज मत हो मैं तुम्हें सारी बात बताती हूँ, पहले एक गिलास पानी तो पीला दो। दरअसल मेरा फोन गुम हो गया था इसलिए फोन नहीं कर पाई और जब से मोबाइल फोन आए हैं कोई नंबर ही याद नहीं है। आज मैं तुमसे मिलने आई हूँ और तुम्हें कुछ दिखाना भी है।

मीरा : क्या दिखाना है, जल्दी–जल्दी दिखाओ।

रानी : (बैग से कुछ निकलते हुए) मैंने तुम्हें अपने प्रिय लेखक मुंशी प्रेमचंद के बारे में बताया था। ये उनकी ही किताब है। बड़ी मुश्किल से मिली है।

मीरा : ऐसा क्या है इनकी कहानियों में, जो तुम्हें इतना पसंद है।

रानी : मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियाँ आम जीवन से जुड़ी कहानियाँ होती हैं और बहुत ही रोचक एवं प्रेरणादायक होती हैं।

मीरा : क्या उनकी कहानियाँ सचमुच इतनी दिलचस्प होती हैं?

रानी : हाँ, बिल्कुल। तुम भी उनकी एक कहानी “दो बैलों की कथा” पढ़ना तुम्हें पता चल जाएगा।

मीरा : (बड़ी हैरानी से) क्या ! बैलों की कथा। इसमें तो बैलों के विषय में ही लिखा होगा।

रानी : अरे नहीं ! इस कहानी के माध्यम से लेखक ने किसानों और पशुओं के भावनात्मक सम्बन्धों का वर्णन किया है।


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जन-धन योजना में बचत को बढ़ावा देने के लिए बैंक कर्मी तथा ग्रामीण के मध्य संवाद लिखिए।

‘ग्राम सुधार’ विषय पर ग्राम अधिकारी एवं ग्राम सेवक के बीच संवाद लिखें।

अपनी गली के आवारा पशुओं के लिए शिकायत करते हुए नगर-निगम के अधिकारी को इस समस्या के निवारण हेतु प्रार्थना पत्र लिखिए।

औपचारिक पत्र

नगर-निगम अधिकारी को पत्र

 

मोहन कुमार वर्मा
रवि कुंज, सिमित्री रोड,
कार्ट रोड,
शिमला -171002,

दिनांक – 28-02-2024

 

सेवा में,
महापौर,
नगर निगम,
शिमला 171001

 

विषय : आवारा पशुओं की आवाजाही हेतु

 

महोदय,
पूरे सम्मान के साथ, मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि मैं खलिनी का निवासी हूँ और आजकल हमारे क्षेत्र में बहुत से आवारा पशु घूम रहे हैं। जिसकी वजह से यहाँ की आम जनता को बहुत परेशानी हो रही है।

हमारे क्षेत्र के पास एक छोटा सा गाँव है, वहाँ के लोगों ने अपने दुधारू पशुओं को जो अब दूध नहीं देते उन्हें छोड़ दिया है। गाय, भैंसें, बकरियाँ और उनके बछड़े सब सड़कों पर घूमते रहते हैं और जहाँ–कहीं हो वहाँ सो जाते हैं, जिस कारण कई बार ट्रैफिक जाम हो जाता है और दुर्घटना का खतरा बना रहता है। ये पशु जगह –जगह पर गोबर आदि करते हैं, जिससे गंदगी फैलती है और मक्खी, मच्छर पनपते हैं।

अब कुछ दिनों में बरसात का मौसम आ रहा है, जिस कारण बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। इस शहर का एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, यह मेरा पहला कर्तव्य है कि मैं आपको शहर में हो रही गतिविधियों से अवगत करवाऊँ।

महोदय, मैं इस पत्र के माध्यम से आपसे अनुरोध करता हूँ कि कृपया इस मामले को गंभीरता से देखें । मुझे आशा है कि आप मेरे अनुरोध को अपने संज्ञान में लेंगे।

धन्यवाद ,

भवदीय,
मोहन कुमार वर्मा


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हिमाचल प्रदेश में जंगल से पेड़ काटने की अनुमति के लिए प्रार्थना पत्र किस वन अधिकारी को लिखा जाएगा?

‘जनवरी माह में बढ़ती 9 कारण विद्यालय समय 8 बजे के स्थान करवाने के लिए प्राचार्य जी को प्रार्थना पत्र लिखो ।

‘जिनकी सेवाएं अतुलनीय , पर विज्ञापन से दूर रहे, प्रतिकूल परिस्थितियों ने जिनके, कर दिये मनोरथ चूर चूर।’ उदाहरण देते हुए उपयुक्त पंक्तियों की व्याख्या कीजिए।

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जिनकी सेवाएं अतुलनीय,
पर विज्ञापन से दूर रहे,
प्रतिकूल परिस्थितियों ने जिनके,
कर दिये मनोरथ चूर-चूर।

संदर्भ : ‘उनको प्रणाम’ कविता जो कि ‘कवि नागार्जुन’ द्वारा लिखी गई है। उस कविता की इन पंक्तियों की व्याख्या इस प्रकार है।

व्याख्या : कवि कहते हैं कि वे लोग बेहद साहसी हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता के संघर्ष में अपना सब कुछ न्योछावर तो कर दिया लेकिन वह प्रचार-प्रसार से दूर रहे। वह शांति से अपना कार्य करते रहें और अपना योगदान देते रहे।

उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और हर तरह के संकट और संघर्षों का सामना करके अपने मन की सारी अभिलाषाये पूर्ण की। उन्होंने बेहद कष्टों में अपना जीवन व्यतीत किया, लेकिन अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहे और तनिक भी विचलित ना हुए।

वह बिना किसी प्रचार-प्रसार और नाम की आकांक्षा के अपना काम शांति से करते रहे क्योंकि उनका उद्देश्य कार्य करना था प्रचार पाना नहीं। ऐसे लोगों को कवि प्रणाम करते हैं।


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चुप रहने के यारों, बड़े फायदे हैं, जुबाँ वक्त पर खोलना, सीख लीजे । भावार्थ बताएं?

काट अन्ध-उर के बन्धन-स्तर वहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर, कलुष-भेद तम-हर, प्रकाश भर जगमग जग कर दे! इन पंक्तियों का भावार्थ बताएं।

जन-धन योजना में बचत को बढ़ावा देने के लिए बैंक कर्मी तथा ग्रामीण के मध्य संवाद लिखिए।

संवाद लेखन

जन-धन योजना में बचत को बढ़ावा देने के लिए बैंक कर्मी तथा ग्रामीण के मध्य संवाद

 

बैंक कर्मी : नमस्कार काका आइए बैठिए, कहिए मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ ?

ग्रामीण : नमस्कार साहब , मैं आपसे जानना चाहता हूँ कि यह जन धन योजना क्या है और इसमें क्या होता है।

बैंक कर्मी : जन-धन योजना भारत सरकार का एक वितीय समावेश कार्यक्रम है जो भारतीय नागरिकों के लिए खुला है।

ग्रामीण : यह योजना कब शुरू हुए तथा किसने शुरू की और इसका क्या फायदा है।

बैंक कर्मी : यह अभियान 28 अगस्त 2014 को भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी नें शुरू किया था।

ग्रामीण : साहब इस योजना का क्या फायदा है ?

बैंक कर्मी : इस योजना में अकाउंट ओपन करवाने के बाद खाताधारकों को कई फायदे मिलते हैं। जन धन खाते में पैसा जमा करने पर आपको ब्याज की सुविधा मिलती है। इसके अलावा सरकारी योजना से मिलने वाली सहायता राशि सीधे आपके जन धन खाते में आते हैं।

ग्रामीण : क्या इस योजना द्वारा खातेदार को बीमा भी मिलता है ?

बैंक कर्मी : जन धन खाता धारकों को सरकार द्वारा एक लाख रुपए का दुर्घटना बीमा कवर भी दिया जाता है।

ग्रामीण : एक लाख रुपए कब और कैसे मिलते हैं ?

बैंक कर्मी : अगर खाता धारक के साथ किसी भी प्रकार की दुर्घटना होती है तो इस स्थिति में एक लाख रुपए की सहायता मिलती है। इसके अलावा जन धन खाता खुलवाने पर मोबाइल बैंकिंग की सुविधा भी मिलती है।

ग्रामीण : फिर तो मुझे भी जन धन खाता खुलवाना है। इसे खुलवाने के लिए मुझे क्या करना होगा ?

बैंक कर्मी : इस योजना में खाता खुलवाने के लिए आपको पहचान पत्र, पैन कार्ड, आधार कार्ड, नरेगा जाब कार्ड आदि दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी। यह सब कागजात लेकर कल बैंक आ जाना।

ग्रामीण : ठीक है साहब मैं कल सुबह आ जाऊँगा। आपका बहुत – बहुत धन्यवाद।


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पाठशाला में मनाए गए गणतंत्र दिवस के बारे में माँ और बेटा बेटी के बीच संवाद लिखिए।

भारत में कुल कितने वन्यजीव अभयारण्य है?

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भारत में कुल 528 वन्य जीव अभयारण्य है। भारत के 28 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 528 वन्य जीव अभ्यारण है, जो वन्यजीवों के लिए संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।

वन्य जीव अभ्यारण से तात्पर्य उन संरक्षित वन क्षेत्रों से होता है, जो लुप्त होती दुर्लभ वन्य जीव प्रजातियों के लिए आरक्षित किए जाते हैं ताकि उनके अवैध शिकार और उन्हें विलुप्त होने से बचाया जा सके।

भारत के 117230 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले यह 528 वन्य जीव अभ्यारण्य भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 3.57 प्रतिशत क्षेत्र में फैले हुए है

भारत के अधिक से अधिक वन्य जीवों को संरक्षित करने के लिए 218 और वन्य जीव अभ्यारण संरक्षित क्षेत्र प्रस्तावित है, जो विकास की प्रक्रिया के अधीन है।

भारत के कुल सभी राज्यों में सबसे अधिक वन्य जीव अभ्यारण अंडमान, निकोबार द्वीप समूह में है, जहां पर कुल 96 वन्य जीव अभ्यारण है।

भारत की मुख्य भूमि के राज्यों की बात की जाए तो महाराष्ट्र राज्य में सबसे अधिक 40 वन्य जीव अभ्यारण है।

भारत के सभी राज्यों के कुल वन्य जीव अभ्यारण्यों की संख्या इस प्रकार है ।

आन्ध्रप्रदेश — 13
अरूणाचल प्रदेश — 11
आसाम — 18
बिहार — 12
छत्तीसगढ़ — 11
गोवा — 6
गुजरात  — 23
हरियाणा — 8
हिमाचल प्रदेश — 28
जम्मू एवं काश्मीर — 15
झारखण्ड — 11
कर्नाटक — 27
केरल — 17
मध्यप्रदेश — 25
महाराष्ट्र — 40
मणिपुर — 1
मेघालय — 3
मिजोरम — 8
नागालैण्ड — 3
उड़ीसा — 18
पंजाब — 13
राजस्थान — 25
सिक्किम — 7
तमिलनाडु — 24
तेलेंगाना — 8
त्रिपुरा — 4
उत्तर प्रदेश — 24
उत्तराखंड — 7
पश्चिमबंगाल — 15
अण्डमान एवं निकोबार — 96
चण्ड़ीगढ़ — 2
दादर एवं नागरहवेली — 1
दमन एवं द्वीव  — 1
देहली — 1
लक्ष्यद्वीप — 1
पोण्डिचेरी — 1
भारत — 528


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भारत में अभी तक यानी अप्रेल 2024 तक कुल 18 लोकसभा अध्यक्ष हुए हैं। भारत में 17 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। वर्तमान समय में 17वीं लोकसभा चल रही है। 18वीं लोकसभा के चुनाव अप्रेल-मई 2024 में होंगे।

भारत के अभी तक चुने गए कुल 18 लोकसभा अध्यक्ष के नाम इस प्रकार हैं।

1. जी.वी. मावलंकर 15 मई 1952 – 27 फ़रवरी 1956 (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

2. एम. ए. अय्यंगार 8 मार्च 1956 – 16 अप्रॅल 1962 (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

3. सरदार हुकम सिंह 17 अप्रॅल 1962 – 16 मार्च 1967 (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

4. नीलम संजीव रेड्डी 17 मार्च 1967 – 19 जुलाई 1969 (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

5. जी. एस. ढिल्‍लों 8 अगस्त 1969 – 1 दिसंबर 1975 (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

6. बली राम भगत 15 जनवरी 1976 – 25 मार्च 1977 (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

7. नीलम संजीव रेड्डी (दूसरी बार) 26 मार्च 1977 – 13 जुलाई 1977 (जनता पार्टी)

8. के. एस. हेगड़े 21 जुलाई 1977 – 21 जनवरी 1980 (जनता पार्टी)

9. बलराम जाखड़ 22 जनवरी 1980 – 18 दिसंबर 1989 (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

10. रवि राय 19 दिसंबर 1989 – 9 जुलाई 1991 (जनता पार्टी)

11. शिवराज पाटील 10 जुलाई 1991 – 22 मई 1996 (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

12. पी. ए. संगमा 25 मई 1996 – 23 मार्च 1998 (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

13. जी.एम.सी. बालायोगी 24 मार्च 1998 – 3 मार्च 2002 (तेलुगु देशम पार्टी)

14. मनोहर जोशी 10 मई 2002 – 2 जून 2004 (शिव सेना)

15. सोमनाथ चटर्जी 4 जून 2004 – 30 मई 2009 (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) (मार्क्सवादी)

13. मीरा कुमार 4 जून 2009 – 4 जून 2014 (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

17. सुमित्रा महाजन 6 जून, 2014 – 16 जून, 2019 (भारतीय जनता पार्टी)

18. ओम बिड़ला 18 जून, 2019 से अब तक (अप्रेल 2024 तक) (भारतीय जनता पार्टी)


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भारत की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष ‘मीरा कुमार’ थीं, जिन्होंने 15वीं लोकसभा के लिए 4 जून 2009 से 16 जून 2014 के बीच 5 वर्षों तक लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

मीरा कुमार को 15वीं लोकसभा के लिए लोकसभा अध्यक्ष के रूप में 3 जून 2009 को चुना गया था। वह 15वीं लोकसभा में बिहार के सासाराम लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी की तरफ से लोकसभा प्रतिनिधि के रूप में चुनी गई थीं।

उन्हें लोकसभा अध्यक्ष के रूप में 3 जून 2009 को निर्विरोध चुना गया। उसके बाद उन्होंने 4 जून 2009 से 16 जून 2014 तक लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कार्य कियाय़ वह भारत की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष थीं। उनके बाद भारत को लगातार दूसरी बार दूसरी महिला लोकसभा अध्यक्ष मिली, जब सुमित्रा महाजन भारत की दूसरी लोकसभा अध्यक्ष बनीं। सुमित्रा महाजना भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व करती थीं।

मीरा कुमार का जन्म 31 मार्च 1945 को सासाराम बिहार में हुआ था। उनके पिता प्रसिद्ध भारतीय नेता बाबू जगजीवन राम थे, जिनका भारतीय राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। वह भारतीय राजनीति में बाबूजी के नाम से मशहूर थे।


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भारत में कुल 543 लोकसभा सीटें हैं और इन सभी 546 लोकसभा सीटों पर लोकसभा सांसदों का चुनाव हर पाँच वर्ष के अंतराल पर भारत की प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली के अन्तर्गत भारत की जनता द्वारा किया जाता है।

लोकसभा की इन 543 सीटों में 131 लोकसभा सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के प्रतिनिधियों के लिए आरक्षित हैं।

अनुसूचित जाति वर्ग के प्रतिनिधियों के लिए 84 और अनुसूचित जनजाति वर्ग के प्रतिनिधियों के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। शेष 412 सीटें हर वर्ग के प्रत्याशियों के लिए हैं।

भारत की लोकसभा सीट पर सदस्य का चुनाव 5 वर्ष की अवधि के लिए होता है।

भारत के 28 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों की सभी 543 लोकसभा सीटों की संख्या राज्यों/प्रदेशों के अनुसार इस प्रकार है…

  1. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली — 7
  2. अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह — 1
  3. आन्ध्र प्रदेश — 25
  4. अरुणाचल प्रदेश — 2
  5. असम — 14
  6. बिहार — 40
  7. चंडीगढ़ — 1
  8. छत्तीसगढ़ — 11
  9. दादरा और नगर हवेली — 1
  10. दमन और दीव — 1
  11. गोवा — 1
  12. गुजरात — 26
  13. हरियाणा — 10
  14. हिमाचल प्रदेश — 4
  15. जम्मू और कश्मीर — 6
  16. झारखंड — 14
  17. कर्नाटक — 28
  18. केरल — 20
  19. लक्षद्वीप — 1
  20. मध्य प्रदेश — 29
  21. महाराष्ट्र — 48
  22. मणिपुर — 2
  23. मेघालय — 2
  24. नागालैंड — 1
  25. उड़ीसा — 21
  26. पुदुच्चेरी — 1
  27. पंजाब — 13
  28. राजस्थान — 25
  29. सिक्किम — 1
  30. तमिल नाडु — 39
  31. त्रिपुरा — 2
  32. उत्तराखंड — 5
  33. उत्तर प्रदेश — 80
  34. पश्चिम बंगाल — 42
  35. तेलंगाना — 17

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भारत के ऐसे प्रधानमंत्री जो विदेश गए और फिर विदेश से वापस अपने घर जीवित नहीं लौटे। इन प्रधानमंत्री का नाम है..

लाल बहादुर शास्त्री।

लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहलाल नेहरु की मृत्यु के बाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने।

उनका कार्यकाल 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 के बीच तक का रहा। जब लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने उस समय भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे विवाद के समझौते के लिए लाल बहादुर शास्त्री को तत्कालीन सोवियत संघ के ताशकंद शहर में जाना पड़ा। वहाँ पर वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले थे और भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम का समझौता होना था।

दिन में ताशकंद समझौता हुआ भी लेकिन 11 जनवरी 1966 की रात को संदिग्ध परिस्थितियों में ताशकंद शहर में ही लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया गया लेकिन आज भी उनकी मृत्यु संदेह के घेरे में आती है।

इस तरह लाल बहादुर शास्त्री ऐसे प्रधानमंत्री थे जो देश से बाहर प्रधानमंत्री के रूप में गए लेकिन अपने भारत देश कभी जीवित नहीं लौट पाए। उनका शव ही भारत आया।


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स्तंभ लेख से तात्पर्य भारत के आंतरिक प्रदेशों में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयोग में ले जाने वाले पत्थर के शिलालेखों से था। बौद्ध धर्म के चरम के समय स्तंभ लेखों द्वारा बौद्ध धर्म का काफी प्रसार किया गया था।

कुछ स्तंभ लेख इस प्रकार हैं..

दो तराई स्तंभ लेख : इस तरह के स्तंभ नेपाल की तराई में स्थित पाए जाते थे। इन स्तंभ लेखो में सम्राट अशोक के द्वारा बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थान की यात्राओं का वर्णन किया गया था। इन स्तंभों में सम्राट अशोक की धार्मिक यात्राओं का वर्णन मिलता है।

सप्त स्तंभ लेख : ये स्तंभ लेख भारत में अलग-अलग छह जगहों पर पाए जाते हैं। इन्हीं छः जगहों में दो जगहें दिल्ली के पास स्थित है। इन स्तंभ लेखों का प्रयोग भी बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार और उनके सिद्धांतों के प्रचार के लिए किया गया।

चार लघु स्तंभ लेख : इन चार लघु स्तंभ लेखों में दो साँची और सारनाथ में तो दो स्तंभ प्रयाग में पाए गए हैं। इन स्तंभ लेखों से माध्यम से यह पता चलता है कि तत्कालीन समय में बौद्ध धर्म में जो भी मतभेद आदि होते थे, उनको दूर करने के लिए इन स्तंभ लेखो का निर्माण किया गया था। यह स्तंभ लेख बौद्ध धर्म में व्याप्त मदभेदों और शंकाओ के समाधान के लिए बनाए गए।


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कलिंग युद्ध साम्राज्य के सम्राट अशोक तथा कलिंग राज्य के राजा के बीच लड़ा गया था। ये युद्ध  262 से 261 ईसा पूर्व लड़ा गया था।

इस युद्ध के अनेक प्रभाव रहे, जो इस प्रकार हैं..

  • कलिंग के युद्ध में मगध साम्राज्य के सम्राट अशोक को विजय प्राप्त हुई और कलिंग राज्य के लाखों सैनिक इस युद्ध में मारे गए।
  • कलिंगा राज्य का विलय मगध साम्राज्य में हो गया। इस तरह पूरे भारतवर्ष में केवल कलिंग राज्य ऐसा था जो मगध साम्राज्य में नहीं था, वह भी मगध साम्राज्य के साथ विलय हो गया।
  • कलिंग युग के हुए भीषण नरसंहार के कारण ही अशोक का हृदय परिवर्तन हुआ और उसने हिंसा का रास्ता छोड़कर अहिंसा को अपना लिया।
  • कलिंग युद्ध के बाद ही अशोक ने बौद्ध धर्म को ग्रहण कर लिया और बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में स्वयं को पूरी तरह लगा दिया।
  • कलिंग युद्ध के प्रभाव के कारण ही अशोक ने ‘भेरी घोष’ के स्थान पर ‘धम्म घोष’ की नीति अपनाई, जिसमें युद्ध की जगह धर्म के प्रचार-प्रसार को अधिक महत्ता दी गई।

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धर्म प्रवर्तक से तात्पर्य धर्म का प्रचार करने वाले व्यक्ति से होता है। धर्म प्रवर्तक शब्द बौद्ध धर्म के उदय से प्रचलन में आया। बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु अनेक भिक्षुक आदि बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करते थे। वह धर्म के प्रचार-प्रसार करने वालों को धर्म-प्रवर्तक कहा जाता था।

मौर्य शासक अशोक ने धर्म प्रवर्तक के रूप में बहुत कार्य किया। कलिंग युद्ध में हुए भीषण नरसंहार के बाद अशोक हृदय परिवर्तन हो गया। उसने बौद्ध धर्म को पूर्णता से ग्रहण कर लिया। फिर उसने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए काफी कार्य किया। उसने अपने पुत्र-पुत्री को बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार हेतु भारत से बाहर कई जगह भेजा। अपने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अपना तन-मन-धन लगा दिया। बौद्ध धर्म प्रचार के कारण अशोक को धर्म प्रवर्तक के रूप में जाना गया।


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कलिंग युद्ध के प्रभावों का वर्णन कीजिए।

स्तंभ लेख से क्या तात्पर्य है?

सक्सेना परिवार रोबोनिल को पाकर बहुत खुश था। क्यों? विवरण दीजिए।

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सक्सेना परिवार रोबोनिल को पाकर बहुत खुश था क्योंकि रोबोनिल सक्सेना परिवार के घर के सारे घरेलू काम आसानी से कर दिया करता था। रोबोनिल ने सक्सेना परिवार के सभी लोगों के काम करने की पूरी जिम्मेदारी ले ली थी। वह सुबह-सुबह सभी लोगों का नाश्ता तैयार करता। यदि घर में कोई मेहमान आता तो वह घर का दरवाजा खोलता, उनका स्वागत करता। फिर वह घर के बच्चों को रोचक कहानियाँ सुनाता। बच्चों के स्कूल का होमवर्क करने में उनकी सहायता करता था। इसके अलावा वह सक्सेना जी के वर्ड प्रोसेसर पर काम करने में उनकी मदद करता। शाम को वह सक्सेना परिवार के कुत्ते को बाहर घुमाने ले जाता था। इस तरह घर उनसे सक्सेना परिवार के घरेलू नौकर साधोराम द्वारा किए जाने वाले सभी कार्यों को बेहद कुशलता से संभाल रखा। उसकी इसी कार्य-कुशलता के कारण सक्सेना परिवार रोबोनिल को पाकर बेहद खुश था।

‘रोबोट’ पाठ में रोबोनिल एक यंत्र मानव यानि रोबोट था। उसे सक्सेना परिवार में अपने घरेलू कामकाज के लिए कुछ दिनों के लिए रखा था क्योंकि सक्सेना परिवार का घरेलू नौकर ,साधोराम दुर्घटना के कारण घायल हो गया था और वह अस्पताल में भर्ती था। सक्सेना परिवार को घरेलू कामकाज के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, इसलिए उन्होंने रोबोनिल को थोड़े दिन अब तक के लिए काम पर रखा था, जब तक साधोराम ठीक होकर वापस काम पर नहीं आ जाता।


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रोबोटिक कंपनियों के मालिकों के बीच हलचल क्यों मच गई?

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रोबोटिक कंपनियों के बीच हलचल इसलिए मच गई थी क्योंकि रोबोनिल और रोबोदीप रोबोटों ने रोबोटिक संघ से मिलकर रोबोटों की हड़ताल की घोषणा कर दी थी। उन्होंने हड़ताल करने की घोषणा सक्सेना परिवार के नौकर साधोराम के सर्मथन में की थी, जिसे सक्सेना परिवार नौकरी से निकालने वाला था। रोबोटों द्वारा हड़ताल करने की घोषणा करने की बात सुनकर रोबोटिक कंपनियों में हचलचल मच गई।

‘रोबोट’ पाठ में सक्सेना परिवार के यहाँ साधोराम नाम का नौकर था। एक दिन दुर्घटना के कारण साधोराम को चोट लग गई और उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। ऐसी स्थिति में सक्सेना परिवार घरेलू कामकाज की असुविधा होने लगी। इसलिए उन्होंने घरेलू कामकाज के लिए एक रोबोट रोबोनिल को काम पर रख लिया। रोबोनिल घर के सारे काम आसानी से कर देता था। सक्सेना परिवार को रोबोनिल का काम पसंद आया। उन्होंने नौकर साधोराम को निकालकर रोबोनिल को हमेशा के लिए काम पर रखने का सोच लिया।

रोबोट रोबोनिल को यह बात पसंद नहीं आई कि उसके कारण किसी मानव की नौकरी चली जाए। जब रोबोनिल को दूसरे रोबोट रोबोदीप से यह बात पता चली तो उन दोनों ने रोबोटिक संघ से संपर्क किया किया और रोबोटों की हड़ताल की घोषणा कर दी।

रोबोटों द्वारा हड़ताल की घोषणा सुनकर रोबोटिक कंपनियों में हचलच मच गई। फिर कंपनी और रोबोटों के बीच एक समझौता हुआ जिसके अंतर्गत सक्सेना परिवार साधोराम को नौकरी से नहीं निकलेगा और साधुराम पूरी तरह ठीक होकर वापस घर आ जाएगा तो सबसे परिवार साधुराम को नौकरी पर रख लेगा। सक्सेना परिवार रोबोनिल से तब तक ही काम लेगा जब तक साधोराम ठीक नही हो जाता।

इस तरह इस कहानी में रोबोनिल और रोबोदीप नाम के दो रोबोटों ने एक मानव साधोराम की नौकरी को जाने से बचाया।


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‘गिल्लू’ पाठ में लेखिका की मानवीय संवेदना अत्यंत प्रेरणादायक है । टिप्पणी लिखिए ।

गैंडा अभ्यारण्य किस राज्य में अवस्थित है ? A. असम B. पश्चिम बंगाल C. उत्तर प्रदेश D. बिहार”

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गेंडा अभ्यारण्य किस राज्य में अवस्थित है? इस प्रश्न का सही विकल्प होगा :

A. असम


‘गैंडा अभ्यारण्य’ जो कि भारत में एक सींग वाले गैंडा के प्रसिद्ध है, वो भारत के ‘असम’ राज्य में स्थित है। इस अभ्यारण्य को ‘काँजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान’ कहा जाता है।

काँजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के बारें और जानें…

‘काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान’ भारत के असम राज्य में स्थित एक अभयारण्य है। यह अभयारण्य असम के लगभग 430 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह राष्ट्रीय उद्यान ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित है।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एक सींग वाले भारतीय गैंडे के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। एक सींग वाला भारतीय गैंडा जिस का वैज्ञानिक नाम ‘राइनोसेरॉस यूनिकार्निस’ है, वह इस अभयारण्य में बड़ी संख्या में पाया जाता है।
‘काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान’ को 1905 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। इस उद्यान में विभिन्न प्रजातियों के जीव-जंतु, पशु-पक्षी आदि पाए जाते हैं, जिनमें गैंडे, बाज, तोते, चील आदि प्रमुख हैं।


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‘इस कक्षा में बीस छात्र हैं।’ ये वाक्य सकर्मक है या अकर्मक?

गृहलक्ष्मी’ में कौन सा समास है?

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‘गृहलक्ष्मी’ में समास को पहचानते हैं…

गृहलक्ष्मी : गृह की लक्ष्मी

गृहलक्ष्मी : तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का उपभेद : संबंध तत्पुरुष


स्पष्टीकरण :

‘गृह लक्ष्मी’ में ‘तत्पुरुष समास’ होगा। यहाँ पर तत्पुरुष समास का उपभेद संबंध तत्पुरुष समास लागू होगा।

तत्पुरुष समास में द्वितीय पद प्रधान होता है। ‘गृहलक्ष्मी’ में भी द्वितीय पद प्रधान है। संबंध तत्पुरुष वहाँ पर लागू होता है जहां पर दोनों पदों के बीच संबंध दर्शाया जाए। संबंध तत्पुरुष में योजक चिन्हों ‘का’, ‘की’, ‘के’, ‘को’ आदि द्वारा प्रकट किया जाता है। तत्पुरुष समास की परिभाषा के अनुसार जब दोनों पदों में दूसरा पद प्रधान हो तो वहाँ तत्पुरुष समास होता है।

जैसे
मोहबंधन : मोह का बंधन
प्रसंगोचित : प्रसंग के अनुसार
राजकन्या : राजा की कन्या
देवालय : देव का आलय

समास से तात्पर्य शब्दों के संक्षिप्तीकरण से होता है। हिंदी व्याकरण की भाषा में समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब दो या दो से अधिक पदों का संक्षिप्तीकरण करके एक नवीन पद की रचना की जाती है।


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गुलाब जामुन कौन सा समास है?

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‘गुलाब जामुन’ में  समास को पहचानते हैं…

गुलाब जामुन : गुलाब है जो जामुन अर्थात एक मिठाई

समास का नाम : बहुव्रीहि समास


स्पष्टीकरण :

‘गुलाब जामुन’ में ‘बहुव्रीहि समास’ इसलिए होगा क्योंकि इसके समास विग्रह में किसी तीसरे पद की ओर संकेत किया गया है।

बहुव्रीहि समास की परिभाषा के अनुसार जब मूल पदों में कोई भी पद प्रधान ना हो और उन पदों को जोड़कर एक नये पद की रचना हो और वह पद नए तीसरे अर्थ को संकेत करता हो अर्थात मूल शब्दों के अर्थ नए शब्द के अर्थ को प्रकट करता हो तो वहां पर बहुव्रीहि समास होता है।

बहुव्रीहि समास के कुछ उदाहरण :

दशानन : दश है आनन जिसके अर्थात रावण
वीणावादिनी : वीणा का वादन करने वाली अर्थात देवी सरस्वती
गरुड़ध्वज : गरुड़ है जिनका ध्वज अर्थात भगवान विष्णु


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ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से आगाह करते हुए इसकी रोकथाम हेतु क्या क्या प्रयास किए जा सकते है इस विषय पर अपनी सखी को पत्र लिखिये?

अनौपचारिक पत्र

ग्लोबल वार्मिंग पर सखी को पत्र

 

मकान नं 24, ग्रीन पार्क,
खलिनी, शिमला -171002

दिनांक : 2 अप्रेल 2024

 

प्रिय सखी रंजना
सप्रेम,

आशा करती हूँ कि तुम अपने स्थान पर कुशल मंगल होगी। मैं भी यहाँ अपने परिवारजनों सहित कुशलता पूर्वक हूँ। तुम्हारा पत्र मिला था, पत्र पढ़ कर बहुत प्रसन्ता हुई, परंतु मैं तुम्हारे पत्र का उत्तर नहीं दे पाई।

बहुत दिनों से तुम्हें पत्र लिखने का सोच रही थी लेकिन समय ही नहीं मिल पाया क्योंकि मैं नाना–नानी के घर गई थी। मेरे नाना जी एक वैज्ञानिक हैं और उन्होंने मुझे ग्लोबल वार्मिंग के बारे मे बताया। मुझे तो सुन कर बहुत डर लगा।

क्या तुम्हें मालूम है कि जब वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ने लगा है। इसके कारण ओज़ोन परत में छेद होने के कारण तापमान में वृद्धि हुई है। ओज़ोन परत में छेद होने के कारण धरती का तापमान बढ़ने लगा है। जिस कारण अनेक रोगों का खतरा भी बढ़ गया है और कई प्राकृतिक आपदाएँ मुँह खोले खड़ी हैं। जैसे – बाढ़, सूखा, हिमक्षरण आदि।

ग्लोबल वार्मिंग से ना केवल हम मनुष्य ही बल्कि जीव–जंतु भी प्रभावित हो रहे हैं। बढ़ते तापमान के कारण गलेशियर पिघलने लगे हैं, जिससे धरती का जल-स्तर बढ़ने लगा है। इसी के परिणाम स्वरूप एक समय में समुद्र के किनारे बसने वाले नगर जलमग्न हो जाएँगे।

इस समस्या से निपटने के लिए जीवाश्म इंधनों का प्रयोग कम करना होगा। वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत तलाशने होंगे। क्लोरो–फ़्लोरो कार्बन्स की मात्रा पर रोक लगानी होगी। वृक्षारोपण को बढ़ावा देना होगा।

वन संरक्षण के लिए सभी को मिल–जुल कर कार्य करना होगा तभी हम सब सुरक्षित हो पाएंगे, वरना वो दिन दूर नहीं जब हम सब भी जलमग्न हो जाएंगे। हो सके तो तुम भी अपने ज्यादा से ज्यादा दोस्तों को इस बारे में बताना।

अपने माता–पिता को मेरी ओर से प्रणाम कहना और अपने छोटे भाई श्याम को मेरी तरफ से स्नेह देना।

तुम्हारी सखी,
गरिमा ।


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चाचा जी को अपने जन्मदिन पर आने का आग्रह करते हुए करते हुए पत्र लिखें।

पिताजी को पत्र लिखकर बताइए कि ग्रीष्म ऋतु में पिकनिक मनाना चाहते हैं ?

‘ग्राम सुधार’ विषय पर ग्राम अधिकारी एवं ग्राम सेवक के बीच संवाद लिखें।

संवाद लेखन

ग्राम अधिकारी और ग्राम सेवक के बीच संवाद

 

ग्राम सेवक: श्रीमान जी, क्या बात है न आजकल कार्यालय में न ही शाम को चौपाल में देखते हो, कहाँ हो आजकल?

ग्राम अधिकारी: अरे भाई, जाएंगे कहाँ, बस शर्मा जी के घर के पास का डंगा बरसात में टूट गया है, बस उसी लिए खंड विकास अधिकारी के चक्कर लगा रहा हूँ।

ग्राम सेवक: इस बार तो बरसात ने सच में बहुत तबाही पहुंचाई है गाँव में।

ग्राम अधिकारी: तबाही तो ऐसी किसी के खेत की फसल तबाह हो गयी है, किसी के घर की दीवार गिर गयी है, किसी के पशु स्वयं के पानी के बहाव में बह गए हैं और जाने और कितनी मुसीबतें यह बरसात इस बार लायी है।

ग्राम सेवक: तो क्या इस बार आपने इस आपदा से निपटने के लिए अतिरिक्त वितीय सहायता के लिए भी आवेदन किया है।

ग्राम अधिकारी: हाँ, आवेदन दिया तो है, लेकिन जिला अधिकारी भी यही कह रहे हैं कि सब जगह हाल एक सा है और हमारे पास बजट की भारी कमी है।

ग्राम सेवक: बस यही तो कारण है हमारे देश में बढ़ती चोर-बाजारी का, कल मैं जब शहर से आ रहा था तो मैं देखा कि गाँव के शुरू में जो जिला विकास अधिकारी का घर है वहाँ पर बरसात के कारण उनकी बाहर की दीवार टूट गयी थी और कल ही संबन्धित विभाग के अधिकारियों ने वहाँ की दीवार ठीक भी कर दी और तुरंत चिनाई करवा दी गयी।

ग्राम अधिकारी: ऐसी बात नहीं है भाई, हमें भी उन्होंने साफ इनकार नहीं किया है लेकिन केवल बजट की कमी के कारण वह हमारी मदद नहीं कर पा रहे हैं।

ग्राम सेवक: तो फिर तो भाई साहब, इसका मतलब, अधिकारियों के घर के कार्य मुफ्त में हो रहे हैं क्या? ग्राम अधिकारी: बात तो सही है, लेकिन इसमें मैं क्या कर सकता हूँ भाई ?

ग्राम सेवक: क्यों नहीं कर सकते, आप माने तो हम कल ही सब गाँव वाले जिला विकास अधिकारी के पास जाएंगे और अगर उन्होंने कोई मदद नहीं की तो जन आंदोलन करना पड़ा तो करेंगे। हम लोगों से जब वोट मंगनी होती है तो सरकार के नुमायानंदे अनेक प्रलोभन देते हैं लेकिन बाद हमें पूरे पाँच साल पूछते भी नहीं।

ग्राम अधिकारी: ठीक है फिर कल सारे गाँव में संदेश भिजवा दो कि कल हम सब सुबह 10.00 बजे जिला विकास अधिकारी के कार्यालय जाएंगे और अपनी मुसीबतों और मांगो को उनके समक्ष रखेंगे।


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पाठशाला में मनाए गए गणतंत्र दिवस के बारे में माँ और बेटा बेटी के बीच संवाद लिखिए।

प्रकृति और मनुष्य के बीच हुए एक संवाद को लिखें।

‘गिल्लू’ पाठ में लेखिका की मानवीय संवेदना अत्यंत प्रेरणादायक है । टिप्पणी लिखिए ।

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‘गिल्लू’ पाठ में मानवीय संवेदना अत्यंत प्रेरणादायक रही है, क्योंकि इस पाठ में लेखिका ने एक ऐसे नन्हे एवं निरीह जीव के प्रति मानवीय संवेदना का प्रदर्शन किया था, जो बेहद संकट की स्थिति में था और लेखिका ने उसे संकट से बचाया था। लेखिका द्वारा गिल्लू के प्रति मानवीयता वाला व्यवहार करना उनके पशु पक्षियों के प्रति मानवीय संवेदना का प्रत्यक्ष प्रमाण रहा है।

लेखिका महादेवी वर्मा पशु प्रेमी रही हैं। उन्होंने अपने पशु प्रेम से संबंधित अनेक संस्मरण लिखे हैं। ‘गिल्लू’ पाठ भी उनके संस्मरणों का एक हिस्सा है। गिल्लू एकसी गिलहरी का बच्चा था, जो लेखिका के घर के आंगन में घायल अवस्था में लेखिका को मिला था। कौओं गिलहरी के बच्चे को घायल कर दिया था और लेखिका ने उस गिलहरी के बच्चे की जान बचाई और ‘गिल्लू’ नाम दिया। एक अन्जान से निरीह प्राणी को इतनी आत्मीयता से रखना, उसकी जान बचाना, उसका उपचार करना और फिर उसे पालना-पोसना, यह लेखिका की मानवीय संवेदना की पराकाष्ठा थी। हमें भी अपने आसपास के बेजुबान प्राणियों के प्रति करनी ऐसी ही संवेदना रखनी चाहिए।

‘गिल्लू’ पाठ पाठ ‘महादेवी वर्मा’ द्वारा लिखा गया एक संस्करणात्मक पाठ है, जिसमें उन्होंने अपने घर में पाली जाने वाली एक निरीह गिलहरी का वर्णन किया है। इस गिलहरी को उन्होंने बेहद घायल अवस्था में जान से बचाया था और उसका उपचार कर उसे ठीक किया। उसके बाद उन्होंने उस गिलहरी को पाल लिया और उसका गिल्लू नाम दिया।


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लेखिका व गिल्लू के आत्मिक संबंधों पर प्रकाश डालिए।

अलगू चौधरी पंच ‘परमेश्वर की जय’ क्यों बोल पड़ा​?

‘गिरी का गौरव गाकर झर-झर’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

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गिरी का गौरव गाकर झर-झर में ‘अनुप्रास अलंकार’ है।

गिरी का गौरव गाकर झर-झर

अंलकार का नाम : अनुप्रास अलंकार

स्पष्टीकरण :

इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ‘ग’ वर्ण की तीन बार आवृत्ति हो रही है। इसके अतिरिक्त यहाँ पर ‘झर-झर’ ये शब्द भी प्रयुक्त हुआ है।

‘अनुप्रास अलंकार’ की परिभाषा के अनुसार जब किसी काव्य पंक्ति में किसी शब्द के प्रथम वर्ण की एक से अधिक बार पुनरावृति हो तो वहां पर ‘अनुप्रास अलंकार’ प्रकट होता है। यहाँ पर ‘ग’ वर्ण इसी नियम की पुष्टि करता है।

दूसरे नियम के अनुसार जब किसी समान शब्द की किसी काव्य पंक्ति में अनेक बार समान अर्थ में पुनरावृति हो तो भी वहाँ पर ‘अनुप्रास अलंकार’ प्रकट होता है। यहाँ पर ‘झऱ-झर’ शब्द युग्म इसी नियम की पुष्टि करता है।

अलंकार से तात्पर्य काव्य के सौंदर्य को बढ़ाने वाले शब्दों से होता है। अलंकार का काव्य के लिए आभूषण की तरह कार्य करते हैं। जिस तरह मानव के लिए आभूषण उसका सौंदर्य बढ़ाने का कार्य करते हैं। उसी तरह अलंकार काव्य के सौंदर्य को बढ़ाने का कार्य करते हैं, इसीलिए अलंकारों को काव्य का आभूषण कहा जाता है।


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शारंगदेव के ‘संगीत रत्नाकर’ में कितने अलंकार बताये हैं ?

‘हरखि हृदय दशरथपुर आयी, जनु ग्रह दशा दूसह दुखदायी।’ काव्य पंक्ति में अलंकार है? 1. विभावना 2. रूपक 3. विरोधाभास 4. उत्प्रेक्षा

गिरिधर – गिरि को धारण करने वाले अर्थात श्री कृष्ण में कौन सा समास है?

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गिरिधर – गिरि को धारण करने वाला अर्थात श्री कृष्ण में समास को पहचानते हैं…

गिरि को धारण करने वाले अर्थात भगवान श्री कृष्ण : कर्मधारण्य समास


स्पष्टीकरण :

गिरि को धारण करने वाले में ‘कर्मधारण्य समास’ है।

कर्मधारय समास की परिभाषा के अनुसार कर्मधारय समास में पहला पद एक विशेषण का कार्य करता है तथा दूसरा पद उसका विशेष्य होता है।

कर्मधारय समास में पहला पद उपमान तथा दूसरा पर विशेष्य का कार्य करता है।

कर्मधारण्य समास के उदाहरण :

तपोवन : तपस्या रूपी धन
कलहप्रिय : कलह है प्रिय जिसको
मक्खीचूस : मक्खी को चूसने वाला
प्रधानमंत्री – प्रधान है जो मंत्री


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कृष्ण-अर्जुन में कौन सा समास है?

ईदगाह’ में कौन सा समास है?

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कृष्ण-अर्जुन में समास को पहचानते हैं…

कृष्ण-अर्जुन : कृष्ण और अर्जुन

समास का नाम : द्वंद्व समास

स्पष्टीकरण :

‘कृष्ण-अर्जुन’ में द्वंद्व समास इसलिए है क्योंकि यहां पर कृष्ण और अर्जुन यह दोनों पद प्रधान हैं। द्वंद्व समास में दोनों पद प्रधान होते हैं।

द्वंद्व समास की परिभाषा के अनुसार दोनों समास में दोनों पद प्रधान होते हैं तथा जब इन पदों का समास विग्रह किया जाता है तो इन पदों के बीच ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ जैसे योजक लगते हैं।

जैसे
माता-पिता : माता और पिता
सुख-दुख : सुख और दुख
छल-कपट : छल और कपट
आगे-पीछे : आगे और पीछे

समास से तात्पर्य शब्दों के संक्षिप्तीकरण से होता है। हिंदी व्याकरण की भाषा में समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब दो या दो से अधिक पदों का संक्षिप्तीकरण करके एक नवीन पद की रचना की जाती है।


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ईदगाह’ में कौन सा समास है?

‘असहायता’ शब्द का समास विग्रह करें और समास का भेद बताएं।

किस वर्ग के सदस्यों से आयोडीन प्राप्त की जाती है – A. हरै शैवाल B. भूरे शैवाल C. लाल शैवाल D. नील हरित शैवाल

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किस वर्ग के सदस्यों से आयोडीन प्राप्त की जाती है, तो इस प्रश्न का सही विकल्प होगा :

B. भूरे शैवाल


स्पष्टीकरण :

‘भूरे शैवालों’ के द्वारा ‘आयोडीन’ प्राप्त की जा सकती है। भूरे शैवालों को सुखाकर बड़ी मात्रा आयोडीन प्राप्त की जा सकती है। भूरे शैवालों से आयोडीन की अलावा ‘आयोडोकार्बन’ भी प्राप्त किया जाता है।

भूरे शैवाल क्या होते हैं।

भूरे शैवाल फियोफाइसी वर्ग के बहुकोशीय यूकेरियोटिक शैवाल होते हैं। भूरे शैवाल फ़ाइकोकोलॉइड और फ़्यूकोक्सैन्थिन से भरपूर होते हैं। इन शैवालों में क्लोरोफिल c, 3-थायलाकोइड लैमेला और लैमिनारिन नामक खाद्य आरक्षित इकाई पाई जाती है। ये शैवाल फिलामेंट्स शैवाल होते हैं। इनकी लंबाई 30 सेमी तक हो सकती है। ये शैवाल ज्यादातर समुद्री शैवाल होते हैं। लेकिन कुछ शैवाल मीठे पानी में भी पाये जाते हैं। यह शैवाल ठंडे क्षेत्रों या ध्रुवीय क्षेत्रों में अधिकतर पाये जाते हैं। इन शैवालों में एक्टोकार्पस, डिक्ट्योटा, अलारिया, नेरियोसिस्टिस, पैडिना, लामिनेरिया आदि के नाम प्रमुख हैं।

शैवाल क्या हैं?

शैवाल से तात्पर्य उन पर्णहरित युक्त तथा संवहन उत्तक रहित और आत्मपोषी एवं सेललोज भित्ति वाले पादपों (पैधों) से होता है, जिनका शरीर सूकया के समान होता है। इन पादपों में सामान्य पादप की तरह जड़, तना एवं पत्तियां नहीं पाई जाती। अधिकतर शैवाल जलीय पौधे होते हैं, जो समुद्र या अन्य जलीय क्षेत्रों में उगते हैं।


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कुंवर नाराणय द्वारा रचित कविता ‘आदमी का चेहरा’ पर टिप्पणी कीजिए।

ईदगाह’ में कौन सा समास है?

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ईदगाह में समास को पहचानते हैं…

ईदगाह : ईद की गाह

समास का भेद : तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का उपभेद : संबंध तत्पुरुष समास

स्पष्टीकरण :

इस वाक्य में तत्पुरुष समास इसलिए होगा क्योंकि इस वाक्य में द्वितीय पद प्रधान है। यहाँ पर तत्पुरुष समास के उपभेद संबंध तत्पुरुष का प्रयोग हो रहा है क्योंकि इस वाक्य में दो पदों संबंध दर्शाया गया है। इन संंबंधों को ‘को’, ‘की’, ‘का’ के माध्यम से प्रकट किया जाता है।

तत्पुरुष समास की परिभाषा के अनुसार जब दोनों पदों में दूसरा पद प्रधान हो तो वहाँ तत्पुरुष समास होता है।

जैसे
मोहबंधन : मोह का बंधन
प्रसंगोचित : प्रसंग के अनुसार
राजकन्या : राजा की कन्या
देवालय : देव का आलय


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आन-बान-शान में कौन सा समास है?

‘असहायता’ शब्द का समास विग्रह करें और समास का भेद बताएं।

‘इस कक्षा में बीस छात्र हैं।’ ये वाक्य सकर्मक है या अकर्मक?

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‘इस कक्षा में बीस छात्र हैं।’ इस वाक्य में क्रिया को भेद को पहचानते हैं…

वाक्य : इस कक्षा में बीस छात्र हैं।

क्रिया के भेद : सकर्मक क्रिया


स्पष्टीकरण :

इस वाक्य में सकर्मक क्रिया इसलिए है क्योंकि इस वाक्य में क्रिया के साथ कर्म स्पष्ट हो रहा है। जिस वाक्य में कर्म स्पष्ट हो वहाँ सकर्मक क्रिया होती है।

सकर्मक क्रिया – जिस वाक्य में क्रिया का फल कर्ता के अतिरिक्त किसी दूसरे पर पड़ता है। वहाँ सकर्मक क्रिया होती है।

उदाहरण

  • बच्चा दूध पिता है।
  • खिलाड़ी क्रिकेट खेल रहे हैं।
  • क्रिया के साथ किसको तथा क्या प्रश्न करने से उत्तर मिलता है। वहाँ सकर्मक क्रिया है ।

सकर्मक क्रिया के दो भेद होते है

1. एक कर्म वाली क्रिया (सकर्मक क्रिया)

2. दो कर्मों वाली क्रिया (द्विकर्मक क्रिया)

 

जिस वाक्य में क्रिया का फल केवल कर्ता के अतिरिक्त किसी ओर पर नहीं पड़ता, वहाँ अकर्मक क्रिया होती है।

उदाहरण :

  • बच्चा हंस रहा है।
  • पक्षी आकाश में उड़ रहे हैं।
  • जहाँ पर क्या तथा किसको प्रश्न करने से उत्तर नहीं मिलता। वहाँ अकर्मक क्रिया होती है।

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आलोक माँ के लिए दवा लाया। वाक्य में कौन सा कारक प्रयुक्त होता है?

मजदूरों ने ईंट नहीं उठाई। वाक्य में कौन सा वाच्य है ?

‘आलोक माँ के लिए दवा लाया।’ वाक्य में कौन सा कारक प्रयुक्त होता है?

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‘आलोक माँ के लिए दवा लाया।’ इस वाक्य में प्रयुक्त कारक को पहचानते हैं..

वाक्य : आलोक माँ के लिए दवा लाया।

कारक : ‘के लिए’

कारक भेद : संप्रदान कारक


स्पष्टीकरण :

‘आलोक माँ के लिए दवा लाया।’ इस वाक्य में संप्रदान कारक इसलिए होगा क्योंकि संप्रदान कारक में वाक्य का कर्ता किसी के लिए कोई कार्य करता है। इस वाक्य में भी आलोक अपनी माँ के लिए दवा लाने का कार्य कर रहा है।

संप्रदान कारक की परिभाषा के अनुसार जब वाक्य में कर्ता द्वारा किसी के लिए को कोई क्रिया या कार्य किया जाता है तो वहाँ पर संप्रदान कारक होता है।

संप्रदान कारक वाले वाक्यों में कारक ‘के लिए’ का प्रयोग किया जाता है।

कारक की परिभाषा

हिंदी व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम शब्द की वह अवस्था जिसके द्वारा वाक्य में उसका क्रिया से संबंध प्रकट होता है, उसे कारक कहते हैं। संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया से से संबंध जिस रूप में माना जाता है, उसे कारक कहते हैं।
कारक के आठ भेद होते हैं।

1) कर्ता कारक (जो कार्य करने वाला हो)
2) कर्म कारक (जिस पर किए हुए कार्य का प्रभाव पड़े)
3) करण कारक (जिसके द्वारा कर्ता कार्य करता है)
4) संप्रदान कारक (जिसके लिए कार्य किया जाए)
5) अपादन कारक (जिसमें अलग होना बोध हो)
6) सम्बन्ध कारक (जो अन्य पदों से संबंध दर्शाये)
7) अधिकरण कारक (जो कार्य करने का आधार हो)
8) सम्बोधन कारक (जहाँ किसी को संबोधित किया जाता हो)


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रामू नारियल के पेड़ पर चढ़ा कौन सा कारक चिन्ह है​?

कोयला खान से निकलता है, कारक बतायें।

आन-बान-शान में कौन सा समास है?

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‘आन-बान-शान’ में समास में किसी समास का प्रयोग हुआ है आइए जानते हैं…

समस्तपद : आन-बान-शान : आन और बान और शान

समास भेद : द्वंद्व समास


स्पष्टीकरण :

‘आन-बान-शान’ में ‘द्वंद्व समास’ होता है। आन-बान-शान और इस समस्त पद के होने का प्रमुख कारण चांद इस समस्त पद में तीनों पदों का प्रमुख होना है।

द्वंद्व समास में प्रयुक्त सभी पद प्रधान होते है। द्वंद समास में जब दो या दो से अधिक पदों का प्रयोग किया जाता है और सभी पद सम्मान होते हैं तो वहां पर द्वंद्व समास होता है। इस समास में सभी पदों का अपना महत्व होता है और एक पद की निर्भरता दूसरे पद पर नहीं होती

द्वंद्व समास की परिभाषा के अनुसार द्वंद्व समास में दोनों पद प्रधान होते हैं तथा जब इन पदों का समास विग्रह किया जाता है तो इन पदों के बीच ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ जैसे योजक लगते हैं।

जैसे

माता-पिता : माता और पिता
सुख-दुख : सुख और दुख
छल-कपट : छल और कपट
आगे-पीछे : आगे और पीछे

समास की परिभाषा

समास से तात्पर्य शब्दों के संक्षिप्तीकरण से होता है। हिंदी व्याकरण की भाषा में समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब दो या दो से अधिक पदों का संक्षिप्तीकरण करके एक नवीन पद की रचना की जाती है।


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‘आज आचार्य को सुन्दर भाषण देना पड़ा।’ इस वाक्य के वाच्य की पहचान करते हैं…

वाक्य : आज आचार्य को सुन्दर भाषण देना पड़ा।

वाच्य : कर्तृवाक्य

स्पष्टीकरण :

उपरोक्त वाक्य में ‘कर्तृवाच्य’ इसलिए है क्योंकि इस वाक्य में कर्ता की प्रधानता है। जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता होती है, उस वाक्य में ‘कर्तृवाच्य’ होता है।

अब थोड़ा सा वाच्य के बारे में जान लेते हैं।

वाच्य की परिभाषा – क्रिया के उस परिवर्तन को वाच्य कहते हैं, जिसके द्वारा हमें इस बात का ज्ञान हो कि वाक्य के अन्तर्गत अर्थात वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव मे से किसकी प्रधानता है।

वाच्य के तीन भेद होते हैं…

1. कर्तृवाच्य – जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध होता है।

2. कर्मवाच्य – जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध हो।

3. भाववाच्य – जिस वाक्य में क्रिया अथवा भाव की प्रधानता का बोध हो।


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अनुच्छेद लेखन व संवाद लेखन में अंतर बताएं।

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अनुच्छेद लेखन और संवाद लेखन गद्य की दो अलग-अलग विधाएं हैं। दोनों विधाओं का अलग-अलग महत्व है। अनुच्छेद लेखन और संवाद लेखन इन दोनों विधाओं के बीच के अंतर का आकलन करते हैं।

अनुच्छेद लेखन और संवाद लेखन में अंतर इस प्रकार है…

अनुच्छेद लेखन

  • अनुच्छेद लेखन किसी भी सामयिक या गैर-सामयिक विषय को बेहद संक्षिप्त रूप में लिखने की गद्या विधा है।
  • अनुच्छेद लेखन सारगर्भित तथ्यों को संक्षेप में लिखने के लिए प्रचलित आधुनिक गद्य – विद्या है।
  • अनुच्छेद लेखन निबंध लेखन का ही संक्षिप्त रूप होता है।
  • निबंध लेखन में जहाँ विवरण विस्तारपूर्वक दिया जाता है, वहीं अनुच्छेद लेखन में शब्द सीमा लगभग 100 से 150 शब्द तक होती है।
  • अनुच्छेद लेखन एक ही अनुच्छेद (पैराग्राफ) में होता है।

संवाद लेखन

  • संवाद का अभिप्राय बातचीत अथवा वार्तालाप से है।
  • यह अभिव्यक्ति के मौखिक एवं लिखित दोनों रूपों में मिलता है ।
  • प्रभावशाली संवाद बोलना अथवा लिखना भी एक कला है ।
  • दो व्यक्तियों की बातचीत संवाद कहलाता है।
  • संवाद लेखन में संवाद छोटे सरल व संक्षिप्त होने चाहिए।
  • संवाद सरल तथा रोचक होना चाहिए।
  • संवाद का प्रत्येक वाक्य विषय से जुड़ा होना चाहिए।
  • संवाद की भाषा भवानुकूल, पत्रानुकूल तथा विषयानुकूल होनी चाहिए।
  • संवाद लिखते समय वाक्यों की क्रमबद्धता का ध्यान रखा जाता है।
  • संवाद लेखन की कोई शब्द सीमा नही है ये कितने भी लंबे हो सकते हैं।

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पिंजरे मे बंद पक्षी खुश क्यों नही है?​ (हम पंछी उन्मुक्त गगन के)

‘असहायता’ शब्द का समास विग्रह करें और समास का भेद बताएं।

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असहायता शब्द का समास विग्रह और भेद इस प्रकार होगा :

असहायता : न सहायता (सहायता नही)

समास भेद :  तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का उपभेद : नञ् तत्पुरुष समास


स्पष्टीकरण :

‘असहायता’ में ‘नञ् तत्पुरुष समास’ होगा। ‘नञ तत्पुरुष समास’ में प्रथम पद पद नकारात्मक अर्थ में प्रस्तुत किया जाता है।

असहायता  का यदि हम समास विग्रह करेंगे तो इसमें पहला पद नकारात्मक अर्थ में प्रस्तुत किया गया है।

नञ् तत्पुरुष समास के अन्य उदाहरण…

अधर्म : न धर्म (धर्म नही)

असत्य : न सत्य (सत्य नही)

अनाथ : न नाथ (नाथ ना हो)

अज्ञानी : न ज्ञानी (जो ज्ञानी ना हो।

इस तरह नञ् तत्पुरुष समास में पहला पद नकारात्मक होता है, जिसे ‘न’ अथवा ‘अ’ वर्ण द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

‘नञ तत्पुरुष समास’ तत्पुरुष समास के सात उपभेदों में से ही एक  उपभेद है। तत्पुरुष समास के 7 उपभेद इस प्रकार हैं…

  • कर्म तत्पुरुष समास
  • करण तत्पुरुष समास
  • अधिकरण तत्पुरुष समास
  • अपादान तत्पुरुष समास
  • संप्रदान तत्पुरुष समास
  • संबंध तत्पुरुष समास
  • नञ् तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास से तात्पर्य समास से उस छः भेदों में उस भेद से है जिसमें द्वितीय पद प्रधान होता है। तत्पुरुष समास के नञ तत्पुरुष समास उपभेद में द्वितीय पद तो प्रधान होता है लेकिन पहला पद नकारात्मकता लिए होता है।


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‘वायु गुणवत्ता आयोग’ संसद मार्ग, नई दिल्ली को कुछ कारगर सुझाव देते हुए संबंधित अधिकारी को लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए।​

औपचारिक पत्र

वायु गुणवत्ता आयोग के अधिकारी को पत्र

दिनाँक : 3 अप्रेल 2024

सेवा में,
श्रीमान मुख्य अधिकारी,
वायु गुणवत्ता आयोग,
संसद मार्ग,
नई दिल्ली – 110001

 

विषय : दिल्ली में वायु की खराब गुणवत्ता को सुधारने हेतु कुछ सुझाव

 

माननीय अधिकारी महोदय,

मैं आशीष चतुर्वेदी, दिल्ली शहर का जागरूक निवासी हूँ। हमारे दिल्ली शहर की वायु गुणवत्ता पिछले कुछ वर्षों से  बद से बदतर होती जा रही है। अपने शहर में बढ़ते जा रहे प्रदूषण के प्रति व्यक्ति चिंतित हूँ और चाहता हूं कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार हो और दिल्ली प्रदूषण मुक्त हो।

ये एक कटु सत्य है कि दिल्ली संसार के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक शहर है। सरकारों द्वारा अनेक प्रयास करने के बावजूद दिल्ली के प्रदूषण स्तर में कोई कमी नहीं आई है। दिल्ली में बढ़ते जा रहे प्रदूषण के कारण दिल्ली निवासियों के स्वास्थ्य पर गहन संकट आन पड़ा है। दिल्ली में प्रदूषण का यही हाल रहा तो आने वाले समय में अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए बहुत से दिल्ली निवासी दिल्ली शहर से पलायन कर सकते हैं। हमें समय रहते ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए कुछ सार्थक प्रयास करने होंगे।

मेरी तरफ से आपके विभाग के लिए कुछ सुझाव हैं। यदि आपको यह सुझाव उचित लगते हों तो आप इन सुझावों पर अमल कर सकते हैं…

  • सबसे पहले हमें दिल्ली में निजी वाहनों की संख्या बेहद कम करनी होगी और लोगों को निजी वाहनों के कम-से-कम उपयोग करने के लिए जागरूक करना होगा। उन्हें सार्वजनिक परिवहन साधन के प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
  • हालाँकि मेट्रों का पूरे शहर में दिल्ली में जाल बिछ गया है, और सार्वजनिक परिवहन के साधनों के उपयोग में मेट्रो का काफी लोकप्रिय भी है लेकिन हमें दिल्ली में सावर्जनिक परिवहन के अन्य साधनों को भी अधिक बढ़ाना होगा क्योंकि हर जगह मेट्रो की पहुँच संभव नही है। इससे मेट्रो पर निर्भरता और अत्याधिक दवाब कम होगा। जहाँ पर मेट्रों नही पहुँच सकती वहाँ पर जाने के लिए लोग निजी वाहनों का उपयोग करते हैं। ऐसे स्थानों पर पर्याप्त मात्रा में सार्वजनिक वाहन जैसे ई-रिक्शा, ऑटो रिक्शा आदि उपलब्ध होंगे तो लोग निजी वाहनों का प्रयोग कम करेंगे। इससे कम कार्बन उत्सर्जन होगा और वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा।
  • आसपास के राज्यों में सर्दी के मौसम में पराली जलाने के कारण दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। इस संबंध में आसपास के राज्यों से सहयोग संबंध स्थापित करके इस समस्या के समाधान के लिए सार्थक कदम बताने होंगे ताकि पराली से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके।
  • दिल्ली शहर में सड़कों पर चलने वाले सभी पुराने वाहनों जो प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें सड़कों पर से तुरंत हटाना होगा इसके लिए सख्त कार्रवाई करनी आवश्यक है ताकि ऐसे वाहन को दिल्ली की सड़कों पर से हमेशा के लिए हटाया जा सके।
  • ई-रिक्शा, साईकिल तथा कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले, पर्यावरण फ्रेंडली ईंधन से चलने वाले वाहनों को अधिक प्रोत्साहित करना होगा ताकि प्रदूषण कम से कम उत्पन्न हो।
  • आपके विभाग को वायु गुणवत्ता के सुधार के लिए आवश्यक है कि आप अन्य सरकारी विभागों से उचित समन्वय स्थापित करके शहर में अधिक से अधिक हरित क्षेत्र का विकास करें। शहर में अधिक से अधिक वृक्षारोपण हों। जिससे शहर की हरियाली बढ़ेगी जो प्रदूषण के स्तर कम करने में कारगर सिद्ध होगी।
  • वायु गुणवत्ता मानकों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों पर कठोर जुर्माना और दंड की व्यवस्था करनी होगी।
  • ऐसी सभी औद्योगिक इकाइयों पर अपशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन के मानक तय करने होंगे और उन पर कठोर नियंत्रण और निगरानी रखनी होगी।
  • आपके विभाग को ऊर्जा के ऐसे साधनों पर अत्यधिक जोर देना होगा जो प्रदूषण मुक्त होते हैं, जैसे विद्युत ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि।
  • शहर में वायु गुणवत्ता के सुधार के लिए आपको एक कैंपेन चलाना भी आवश्यक है, जो भर के सभी नागरिकों को प्रदूषण के दुष्प्रभावों से सचेत करने के लिए शिक्षित और जागरुक करें और दैनिक जीवन में प्रदूषण उत्पन्न करने वाले कारकों से कैसे बचा जाए ये बताए।

आशा है कि आपको मेरे ये सुझाव ठीक लगे होंगे। यदि आपको ये सुझाव ठीक लगते हैं तो आप इन्हें अमल में ला सकते है। हम सभी शहर वासियों के मिले जुले सहयोग से हम अपने शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार करके प्रदूषण मुक्त कर सकते हैं।

धन्यवाद,

एक जागरूक नागरिक,
आशीष चतुर्वेदी
अमन विहार, दिल्ली


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सरकारी चिकित्सालय में सुविधाएं के अभाव तथा कर्मचारियों के असंवेदनशील व्यवहार की शिकायत करते मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखें।

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पिंजरे मे बंद पक्षी खुश क्यों नही है?​ (हम पंछी उन्मुक्त गगन के)

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पिंजरे मे बंद पक्षी इसलिए खुश नहीं है क्योंकि पक्षी को परतंत्रता पसंद नहीं है, उन्हें स्वतंत्रता पसंद है। उनका मूल स्वभाव स्वच्छंद होकर आकाश में विचरण करना है, ना कि पिंजरे में एक जगह कैद हो जाना है। पक्षियों के पंख ऊँची उड़ान के लिए होते हैं। वह खुले आकाश में स्वतंत्र भाव से स्वच्छंद होकर उड़ाना चाहते हैं। उनकी स्वच्छंद उड़ान उनके अंदर एक नई उमंग और ऊर्जा भरती है।

भले ही उन्हें दाने-दाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़े। नीम की कच्ची और कड़वी निंबौरियां खानी पड़ें, लेकिन वह भी उन्हें मंजूर है। लेकिन उन्हें अपनी स्वतंत्रता नहीं खोनी है। उन्हें सोने के पिंजरे में कैद नहीं होना है।

सोने के पिंजरे में रहकर हर तरह की सुख-सुविधा भी उन्हें अपनी आजादी की कीमत पर मंजूर नही है। पक्षी सुख-सुविधा युक्त परतंत्र जीवन से ज्यादा संघर्ष वाले स्वतंत्र जीवन को जीना पसंद करते हैं। इसलिए पिंजरे में बंद पक्षी खुश नहीं है, क्योंकि पक्षियों को परतंत्रता नहीं स्वतंत्रता पसंद है।

पिंजरे ने उन्हें कैद करके रखा है, उनकी स्वतंत्रता को छीन लिया है, इसलिए पिंजरे में कैद होकर पक्षी खुश नहीं है।

‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ कविता कवि शिमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित एक कविता है। इस कविता में कवि ने पिंजरे में बंद पक्षियों की दशा और उनकी व्यथा का वर्णन किया है।

कविता के अनुसार पक्षियों का मूल स्वभाव स्वच्छंद भाव से स्वतंत्र होकर आकाश में उड़ने का है। उनको पिंजरे में कैद करना उनके लिए अत्याचार के समान है। उनके मूल स्वभाव से उन्हें अलग नहीं किया जा सकता।

पक्षियों की उड़ान का दायरा असीमित होता है, वह अपने नन्हें पंखों से आकाश को नाप लेना चाहते हैं, लेकिन उनके मूल प्रकृति से उन्हे अलग करके पिंजरे में कैद कर दिया जाता है।

पक्षी अपनी व्यथा को कविता के माध्यम से प्रकट कर रहा है। हमें आसमान में उड़ने से मत रोको। वह हमारा मूल स्वभाव है। भले ही हमें रहने के लिए ऐसे घर मत दो, हमारे घोंसले उजाड़ डालो लेकिन हमारे पंखों को मत नोंचो। हमें पंखों की उड़ान को सीमित मत करो। हमें पिंजरे में कैद मत करो। हमें स्वच्छंद रहने दो।


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आपके विद्यालय में मनाए गए ‘पेड़ बचाओ पेड़ लगाओ’ उत्सव के बारे में एक वृत्तांत लेखन कीजिए।

वृत्तांत लेखन

पेड़ बचाओ, पेड़ लगाओ

 

दिनांक : 22 मार्च 2024

 

कल 21 मार्च 2024 को हमारे विद्यालय महावीर विद्यापीठ, महात्मा गाँधी रोड, कांदिवली, मुंबई में ‘वैश्विक वृक्षारोपण दिवस’ के उपलक्ष्य में ‘पेड़ बचाओ-पेड़ लगाओ’ उत्सव का आयोजन किया गया। इस उत्सव को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य सभी विद्यार्थियों को वृक्षारोपण के प्रति जागरूक करना था।

हम सभी छात्रों को सुबह 8:00 बजे विद्यालय पहुंचना था। सभी छात्रों को पाँच-पाँच पेड़ दे दिए गए थे। सबके लिए विद्यालय के आसपास के लोकल एरिया में अलग-अलग स्थान निर्धारित कर दिए गए थे। सभी छात्रों को निर्देश दिया गया था कि वह अपने निर्धारित स्थान पर जाकर यह पाँचों पेड़ लगाएं। पेड़ लगा लेने के लिए नगर पालिका से उचित स्थान की अनुमति पहले से ही ले ली गई थी।

दोपहर 12:00 बजे तक तक सभी छात्रों द्वारा पाँच-पाँच पेड़ लगाने का कार्यक्रम संपन्न हो गया। दोपहर 12:00 बजे सभी छात्र विद्यालय लौट आए। उसके बाद लंच हुआ और फिर पेड़ों के महत्व पर शिक्षकों द्वारा उपयोगी जानकारी दी गई। अंत में प्रधानाचार्य ने वृक्षारोपण के महत्व को समझाते हुए छात्रों का आह्वान किया कि वह अपने जीवन में अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं ताकि हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे।

प्रधानाचार्य ने बताया कि बच्चों की संख्या लगातार कम होती जा रही है जो पर्यावरण के लिए गंभीर संकट की घड़ी है। यदि हमने अपने पेड़ों को नहीं बचाया तो मानव का अस्तित्व भी खतरे में पड़ता जाएगा। इसलिए सभी छात्र अपने जीवन में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने के लिए प्रेरित हों।

प्रधानाचार्य के भाषण और इस पूरे कार्यक्रम से हमें काफी अधिक प्रेरणा मिली और हमने अपने जीवन काल में लगातार पेड़ लगाने का संकल्प लिया। दोपहर 2:00 बजे तक पूरा कार्यक्रम संपन्न हो गया और विद्यालय की छुट्टी हो गई।


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लोकतांत्रिक सरकार किस तरह से पारदर्शी होती है?

लोकतांत्रिक सरकार इस तरह पारदर्शी होती है, क्योंकि वह सबको साथ लेकर चलने वाली सरकार होती है। लोकतंत्र का मतलब है, जनता का तंत्र। लोकतंत्र में किसी एक व्यक्ति की नहीं चलती बल्कि जनता की चलती है अथवा जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों के समूह की चलती है। लोकतांत्रिक सरकार द्वारा जो भी निर्णय लिए जाते हैं, वह किसी भी व्यक्ति के निर्णय नहीं होते बल्कि मिलजुल कर सब से विचार-विमर्श करके निर्णय लिए जाते हैं।

उदाहरण के लिए

यदि भारत देश का प्रधानमंत्री कोई निर्णय लेता है तो वह अपने मंत्रिमंडल से विचार-विमर्श करता है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी जरूरी संस्थानों से विचार-विमर्श करके ही कोई निर्णय लेता है। इसी प्रकार अन्य लोकतंत्र में भी राष्ट्र का प्रमुख अपनी सभी सहयोगियों से निर्णय लेकर ही कोई कानून पास करता है. अथवा कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेता है। यह पारदर्शिता का सूचक है, जिसमें सबकी भावनाओं का सम्मान किया जाता है, जनता के हितों को देखा जाता है। कोई भी लोकतांत्रिक सरकार निर्णय लेने की अपनी पारदर्शिता के कारण पारदर्शी होती है।


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अंकित और विक्रय मूल्य के बीच के अंतर को बट्टा (डिस्काउंट) कहा जाता है।

बट्टा यानि डिस्काउंट एक प्रकार की विशेष छूट होती है, जो किसी भी वस्तु के अंकित मूल्य और विक्रय मूल्य के बीच के अंतर को दर्शाती है।

विक्रेता अक्सर अपने वस्तु की बिक्री को बढ़ाने के लिए अलग-अलग छूट का ऑफर देते हैं। इसलिए वह वस्तु के अंकित मूल्य में एक विशेष छूट का आकर्षक डिस्काउंट  देकर ग्राहकों को आकर्षित करते हैं। वह वस्तु के अंकित मूल्य से कम मूल्य पर वस्तु की बिक्री करते हैं। यह वस्तु का विक्रय मूल्य कहा जाता है। इस तरह अंकित मूल्य और वस्तु के विक्रय मूल्य के बीच के अंतर को बट्टा (Discount) कहा जाता है।

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माना किसी वस्तु का अंकित मूल्य 100 रुपये है तो यदि विक्रेता उसमें 20% छूट दे रहा है तो 100 रुपये का 20% 20 रुपये होगा।

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बट्टा = अंकित मूल्य – विक्रय मूल्य

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आजकल अभिभावकों का अपनी संतान के साथ कैसा संबंध बनता जा रहा है। इस बारे में अपने विचार लिखें।

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आजकल अभिभावक और संतान के संबंध

 

अभिभावकों और अपनी संतान के साथ संबंध प्रयोग के नए दौर से गुजर रहा है। जहां एक और संतान से कैरियर के प्रति अभिभावक अधिक जागरूक हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ संतान और अभिभावक के बीच संबंधों में आत्मीयता की कमी आ गई है। इस मशीनी युग में माता-पिता दोनो काम पर जा रहे हैं। लोगों की जीवन शैली अधिक व्यस्त हो गई है। अभिभावकों को अपनी संतान के साथ चंद पल बैठकर बात करने की फुरसत नही है।

आज के अभिभावक अपनी संतान की हर जरुरत को पूरा करने में तो सक्षम है और वह अपनी संतान की हर जरूरत को पूरा भी कर रहे हैं। उसे उच्च से उच्च शिक्षा दिला रहे हैं, और अच्छे से अच्छा विद्यालय और सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन वह अपनी संतान को वह आत्मीयता और प्रेम नहीं दे पा रहे जोकि एक माता-पिता को अपने संतान को देना चाहिए। उनके पास अपनी संतान के साथ बात करने के लिए समय नहीं है।

जीवन की सभी आवश्यक सुविधाओं को जुटाने के लिए उन्हें अधिक काम करना पड़ रहा है और अधिक समय देना पड़ा है। इससे अभिभावक और संतान के बीच संबंध औपचारिकता भर रह गई है। अभिभावक अपनी संतान की हर जरूरत तो पूरी कर दे रहे हैं, अपनापन और माता-पिता का प्रेम नही दे पा रहे।

संतान को जो समय अपने माता-पिता के साथ व्यतीत करना चाहिए वो समय वह अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे मोबाइल, कंप्यूटर पर बिताती है। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की अपनी अच्छाइयों के साथ, अपनी बुराइयां भी हैं। आजकल की संतानें एकाकी जीवन व्यतीत करने लगी हैं। आजकल की संतान अंतर्मुखी होती जा रही है जो अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और सोशल मीडिया की वर्जुअल दुनिया में ही जी रही है।

संक्षेप में कहें तो आजकल की संतान और अभिभावक के बीच के संबंधों में मिला-जुला विकास हुआ है। एक तरफ माता-पिता अपनी संतान के करियर और शिक्षा के प्रति अधिक जागरूक हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ संबंधों और मूल्यों में कमी आई है। इन संबंधों में वो आत्मीयता नहीं रही जैसी पहले हुआ करती थी।


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महत्वाकांक्षाओं का अभी अंत नही होता। इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

चाचा जी को अपने जन्मदिन पर आने का आग्रह करते हुए करते हुए पत्र लिखें।

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चाचा जी को जन्मदिन पर आने के लिए पत्र

 

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श्री विमलचंद्र माथुर,
139, सेक्टर – 4,
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श्री कमलचंद्र माथुर,
25-A, राजा कॉलोनी,
गुड़गाँव

 

दिनांक : 2 अप्रेल 2024

 

आदरणीय चाचा जी,
चरण स्पर्श,

आप कैसे हो? चाची जी का स्वास्थ्य कैसा है? चाचा जी आपको पता है कि आगामी 10 अप्रैल को मेरा जन्मदिन है। मेरे अनुरोध पर मम्मी-पापा ने मेरा जन्मदिन स्तर भव्य स्तर पर मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने मुझे पूरी छूट दी है कि मैं अपने सभी खास लोगों को अपने जन्मदिन पर आमंत्रित करूं। मैंने अपने सभी खास दोस्तों को अपने जन्मदिन पर बुलाया है।

चाचा जी, आप मेरे लिए अत्यंत प्रिय हैं। आप भी मुझे बहुत प्यार करते हो ये मैं जानता हूँ। मैं चाहता हूँ कि आप मेरे जन्मदिन पर आकर मुझे आशीर्वाद दें। आप मेरे जन्मदिन पर आएंगे और मेरी खुशी में शामिल होंगे तो मेरी खुशी दुगुनी हो जाएगी। इसलिए 10 अप्रैल को आप, चाचीजी और दोनो छोटी बहनें जन्मदिन पर जरूर आएं। जन्मदिन की पार्टी शाम को 7:00 शुरु होगी, लेकिन आप सुबह या दोपहर तक ही आ जाना ताकि हम सब मिलकर जन्मदिन की पार्टी की तैयारी करेंगे। अपने भतीजे के इस अनुरोध को आप ठुकराना नहीं। आपके आने के इंतजार में…

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रोहन माथुर,


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कुंवर नाराणय द्वारा रचित कविता ‘आदमी का चेहरा’ पर टिप्पणी कीजिए।

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इस कविता के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट करने का प्रयत्न किया है कि श्रम पूजा के समान है। श्रम करने वाला ऊँचा-नीचा नहीं होता। श्रम को कभी भी हेय दृष्टि से नहीं देखना चाहिए।

देश के विकास में अपना जो-तोड़ परिश्रम करके अपना योगदान देने वाले मजदूर, किसान, कुली, बढ़ई, नाई, मोची के योगदान को हम अक्सर भूल जाते हैं।

छोटे से छोटे कार्य करने वाला व्यक्ति सम्मान योग्य है। कुली का कार्य करने वाला व्यक्ति हो अथवा सड़क पर मजदूरी करने वाला मजदूर या खेतों में जी-तोड़ परिश्रम करने वाला किसान सभी का अपना महत्व है। यह सभी अपने-अपने कर्म द्वारा देश के विकास में उतना ही योगदान देते हैं, जितना की एक अमीर उद्योगपति देता है। बल्कि यह मेहनतकश परिश्रमी व्यक्ति ही देश की असली रीढ़ हैं। इन्हीं पर देश की अर्थव्यवस्था टिकी है। यदि यह काम करना बंद कर दे तो देश के विकास की गति रुक जाएगी।

कविता के माध्यम से यह बताने की चेष्टा की गई है कि परिश्रम करने वाले व्यक्तियों का जो अपना कार्य वो सहज रूप से कर लेते हैं, वह कार्य यदि हमें करने को मिले तो हमें पता चलता है कि वह कितना कठिन कार्य है और उसको करने में कितनी अधिक श्रम लगता है। इसलिए हमें उनके श्रम के महत्व को कभी भी कम नहीं समझना चाहिए।

कुंवर नारायण की कविता – आदमी का चेहरा ‘कुली!’

पुकारते ही
कोई मेरे अंदर चौंका ।

एक आदमी आकर खड़ा हो गया मेरे पास
सामान सिर पर लादे
मेरे स्वाभिमान से दस क़दम आगे
बढ़ने लगा वह

जो कितनी ही यात्राओं में
ढ़ो चुका था मेरा सामान
मैंने उसके चेहरे से उसे
कभी नहीं पहचाना

केवल उस नंबर से जाना
जो उसकी लाल कमीज़ पर टँका होता

आज जब अपना सामान ख़ुद उठाया
एक आदमी का चेहरा याद आया


कुंवर नारायण

कुंवर नारायण हिंदी साहित्य के एक जाने-माने कवि रहे हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में 1927 में हुआ था। वह नई कविता के सशक्त हस्ताक्षर के तौर पर जाने जाते हैं। वह अज्ञेय द्वारा संपादित ग्रंथ ‘तीसरा सप्तक’ के प्रमुख कवियों में से एक थे। उन्होंने कई संवेदनशील कविताओं के अलावा अनेक कहानियां, समीक्षाएं भी लिखी। उन्होंने सिनेमा से संबंधित साहित्य की भी रचना की।

उनकी प्रमुख रचनाओं में चक्रव्यूह, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों आदि के नाम प्रमुख है।

उन्हें साहित्य का सर्वोच्च पुरुस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार भी 2005 में मिल चुका है।


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प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए कि विद्यालय में अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाए जाएं।

औपचारिक पत्र

पेड़-पौधे लगाने के संबंध में प्रधानाचार्य को पत्र

 

दिनांक : 15 मार्च 2024

 

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल,
सोलन

विषय: पेड़ और पौधे लगाने के लिए प्रार्थना पत्र

 

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय,

इस पत्र के माध्यम से मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि हमारे जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग बनने के कारण बहुत से पेड़ और पौधों को अपनी आहुति देनी पड़ी है। हम सब जानते हैं कि पेड़ पौधों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है, ये बात इस विकास की आड़ में हम सब भूल जाते हैं।

सर, मुझे नहीं लगता कि हम पेड़- पौधों के कटाव से विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर हैं जबकि मैं तो मानता हूँ कि इस तरह का विकास तो हमें पीछे की तरफ ले जा रहा है।

सर, मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि क्यों न हम इस समस्या का निवारण अपनी पाठशाला से ही शुरू करें और मैं तो मानता हूँ कि अगर मानव जाति को एक सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जीना है तो वृक्षारोपण को एक जन-आंदोलन बनाना होगा और पाठशाला से बढ़कर कोई अन्य स्थान इस आंदोलन को शुरू करने के लिए नहीं है।

हम सब विद्यार्थी अपने विद्यालय और इसके आसपास के इलाके में जाकर पेड़-पौधे लगाएँ और लोगों को भी इस बाबत जागरूक करें।

आपसे निवेदन है कि कृपया आप इस बाबत आदेश जारी करने की कृपा करें और अगर आप की सहमति हो तो हम वृक्षारोपण का यह कार्यक्रम अगले हफ्ते 21 मार्च पर वैश्विक वृक्षारोपण दिवस के दौरान शुरू कर सकते हैं।

धन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी,
मुकेश कुमार,
कक्षा-11, सेक्शन-बी


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पाठशाला में मनाए गए गणतंत्र दिवस के बारे में माँ और बेटा बेटी के बीच संवाद लिखिए।

संवाद लेखन

पाठशाला में मनाए गए गणतंत्र दिवस के बारे में माँ और बेटा बेटी के बीच संवाद

 

रिंकू और पिंकी : (दौड़ते हुए अंदर आते हैं) माँ–माँ! कहाँ हो आप ? हम आ गए।

माँ : (रसोई से बाहर आते हुए) अरे ! क्या बात है बच्चों आज जल्दी घर आ गए?

रिंकू और पिंकी : (रिंकू खुशी से नाचते हुए) आज हमारे स्कूल में गणतंत्र दिवस मनाया गया। हमें खाने को समोसे और लड्डू भी दिए।

माँ : (मुस्कुराते हुए) क्या तुम जानते हो की गणतंत्र दिवस कब और क्यूँ मनाया जाता है ?

पिंकी : हाँ, माँ मास्टर जी नें आज सुबह पूरे स्कूल को संबोधित करते हुए बताया कि 26 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद नें 21 तोपों की सलामी के बाद राष्ट्रीय धवज को फहराकर भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्म की घोषणा की थी।

माँ : (खुश होती हुई) रिंकू क्या तुम भी कुछ जानते हो इस दिन के बारे में ?

रिंकू : हाँ, माँ मास्टर जी नें बताया कि अंग्रेजों के शासन काल से छुटकारा पाने के 894 दिन बाद हमारा देश गणतंत्र राज्य बना, इसीलिए तब से आज तक गणतंत्र दिवस हर वर्ष पूरे राष्ट्र में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

माँ : (मुस्कुराते हुए) शाबाश! बेटा।


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पिताजी को पत्र लिखकर बताइए कि ग्रीष्म ऋतु में पिकनिक मनाना चाहते हैं ?

अनौपचारिक पत्र

पिता को पत्र

 

नमन शर्मा ,
न्यू शिमला सेक्टर- 4,
शिमला 171002,

दिनांक-05-03-2024,

 

आदरणीय पिताजी
चरण स्पर्श

आशा करता हूँ, आप ठीक होंगे। मैं भी यहाँ छात्रावास में ठीक हूँ। मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि हमारे स्कूल से अगले सप्ताह ग्रीष्म ऋतु की छुट्टियाँ पड़ने वाली है। हमारे स्कूल की तरफ़ से सभी छात्रों को 2 दिन के लिए पिकनिक के लिए ले जा रहे हैं। उसके बाद स्कूल दो महीने के लिए बंद हो जाएंगे।

पिताजी, मैं पिकनिक में जाना चाहता हूँ। इसलिए आप मुझे पिकनिक में जाने की आज्ञा दें। पिताजी, मैं आपके पत्र का इंतजार करूंगा। आपको और माँ को चरण स्पर्श एवं सभी को प्रणाम।

आपका बेटा,
नमन शर्मा ।


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वाच्य पहचानकर लिखिए। 1. अर्जुन ने चिड़िया की आँख पर निशाना लगाया। 2. शिष्यों ने गुरुजनों के पैर छुए। 3. किसानों द्वारा फसल बोई गई। 4. राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन किया गया। 5. प्रधानाचार्य द्वारा पुरस्कार वितरित किए गए। 6. आज कक्षा में नया पाठ पढ़ाया गया। 7. नानी से अब कहानी सुनाई नहीं जाती। 8. वह जोर-जोर से हँसने लगा। 9. उससे कोई काम नहीं किया जाता। 10. वे हँसी-मज़ाक सहन नहीं करते थे।

0

वाच्य के भेद इस प्रकार होंगे :

1. अर्जुन ने चिड़िया की आँख पर निशाना लगाया।
वाच्य भेद : कर्तृवाच्य

2. शिष्यों ने गुरुजनों के पैर छुए।
वाच्य भेद : कर्तृवाच्य

3. किसानों द्वारा फसल बोई गई।
वाच्य भेद : कर्मवाच्य

4. राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन किया गया।
वाच्य भेद : कर्मवाच्य

5. प्रधानाचार्य द्वारा पुरस्कार वितरित किए गए ।
वाच्य भेद : कर्मवाच्य

6. आज कक्षा में नया पाठ पढ़ाया गया।
वाच्य भेद : कर्तृवाच्य

7. नानी से अब कहानी सुनाई नहीं जाती ।
वाच्य भेद : भाव वाच्य

8. वह जोर-जोर से हँसने लगा।
वाच्य भेद : कर्तृवाच्य

9. उससे कोई काम नहीं किया जाता।
वाच्य भेद : भाववाच्य

10. वे हँसी-मज़ाक सहन नहीं करते थे।​
वाच्य भेद : कर्तृवाच्य

थोड़ा और जानें :

हिंदी व्याकरण में वाच्य क्रिया का वह रूप होता है, जो वाक्य में कर्ता की प्रधानता अथवा कर्म की प्रधानता अथवा भाव प्रधानता का बोध कराता है। वाच्य के तीन भेद होते हैं।

  • कर्तृवाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाचक

जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता होती है, वह कर्तृवाच्य कहलाता है।

जैसे

  • राम ने रावण को मारा।

जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है, वह कर्मवाच्य कहलाता है।

जैसे

  • राम द्वारा रावण को मारा गया।

जिस वाक्य में भाव की प्रधानता होती है, वह भाववाच्य कहलाता है।

जैसे

  • राम से रावण को मारा गया।

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हिमाचल प्रदेश में जंगल से पेड़ काटने की अनुमति के लिए प्रार्थना पत्र किस वन अधिकारी को लिखा जाएगा?

औपचारिक पत्र

वन अधिकारी को पत्र

 

दिनांक : 24/3/2024

 

गीता भवन,
देवनगर,
शिमला-171009

सेवा में,
जिला वन अधिकारी,
35Q9+MJV, खलिनी,
शिमला-171002 (हिमाचल प्रदेश)

विषय : पेड़ काटने की अनुमति के बारे में

श्रीमान जी,
पूरे सम्मान के साथ, मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि मैं शिमला शहर के देवनगर इलाके का स्थायी निवासी हूँ और प्रामाणिक हिमाचली हूँ। मेरे घर के ऊपर एक बहुत पुराना देवदार का पेड़ है और यह पेड़ तकरीबन 31 साल पुराना है। यह पेड़ मेरी जमीन में ही आता है और इस पेड़ के साथ ही मेरे मकान की दीवार और छत है।

श्रीमान जी, काफी समय से यह पेड़ गिरने की कगार पर है और पिछले बरसात और बर्फ के मौसम में तो इसकी लंबी और भरी टहनियाँ मेरे छत पर गिर भी गईं थी और मेरे मकान को उससे काफी नुकसान झेलना पड़ा था बस यह गनीमत है कि कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।

मैंने इस बाबत आपके विभाग को एक पत्र भी लिखा था लेकिन उस पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई। इस बार भी बरसात काफी हुई है और पेड़ अपनी जड़ों से काफी उखड़ गया है और मेरे मकान पर टेढ़ा हो गया है और लगता है अगर इस बार बर्फबारी में यह मेरे घर पर गिर जाएगा।

इस कारण हम सब हर समय डर में जी रहे हैं क्योंकि पेड़ कभी भी गिर सकता है। इसलिए आपसे अनुरोध है कि कृपा इस पेड़ को कटवाने की उचित व्यवस्था करें या फिर मुझे अनुमति दे ताकि मैं यह पेड़ कटवा सकूँ ताकि किसी भी अनहोनी घटना से बचा जा सके।

मुझे आशा है आप मेरे अनुरोध को अपने संज्ञान में लेंगे और इस मुद्दे पर जल्द कार्यवाही के आदेश पारित करेंगे।

धन्यवाद।

प्रार्थी,
कुशल शर्मा

 


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दिनांक : 31 मार्च 2024

 

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला,
दंगोह, पालमपुर

विषय: शौचालय की स्वच्छता बाबत

 

आदरणीय प्रधानाचार्य,

सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की 11 वीं कक्षा की छात्रा हूँ। महोदय, सर्वप्रथम तो मैं हमारी पाठशाला में पिछले महीने बनाए गए नए शौचालयों के लिए धन्यवाद देना चाहती हूँ क्योंकि हमारी पाठशाला में कई सालों से शौचालय नहीं होने की वजह से बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ रहा था और एक छात्रा होने के कारण हमें तो शौच के लिए सुरक्षित जगह ढूँढने में बहुत परेशानी होती थी।

अब पाठशाला में नए शौचालय में नए शौचालय तो बन गए हैं लेकिन इनकी सफाई की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। पहले शुरू-शुरु में तो इनकी सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता था लेकिन अब हालत बहुत खराब हो गई है और अब इन शौचालयों की हालत बहुत दयनीय होती जा रही है और गंदगी की वजह से बहुत सारी बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है।

अभी पिछले हफ्ते ही हमारी कक्षा की एक लड़की को संक्रमण हो गया था और उस कारण उसे अस्पताल में भी भर्ती करना पड़ा। इस संदर्भ में हमने सफाई पर्यवेक्षक से भी शिकायत की थी लेकिन उन्होंने भी अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं की। इसलिए आपसे अनुरोध है कि कृपया इस परेशानी की गंभीरता को समझते हुए संबंधित स्टाफ को आवश्यक निर्देश जारी करे ताकि शौचालय समय से निरंतर साफ किये जाएँ। सभी स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण में रह सकें। आपकी अति कृपया होगी।
धन्यवाद।

आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
महिमा भट्ट,
कक्षा-11, खंड-बी


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