अनौपचारिक पत्र
अपने मित्र को नए विद्यालय और सहपाठियों के साथ व्यवस्थित होने के बारे में पत्र
दिनाँक : 3 सितंबर 2023
गौरव शर्मा,
123, शर्मा निवास,
जनता कॉलोनी,
फरीदाबाद
निरंजन मिश्रा,
2A, रमन निवास,
सिंह विहार,
गुड़गाँव
प्रिय मित्र निरंजन,
खुश रहो,
तुम्हारे हाल-चाल कैसे हैं? मैं तो यहाँ पर ठीक-ठाक हूँ, तुम अपनी बताओ। मित्र, तुम्हारे विद्यालय छोड़कर जाने के बाद तुम्हारी बहुत याद आती है। तुम्हारे पिताजी के ट्रांसफर के कारण तुम्हे ये शहर छोड़कर नये शहर जाना पड़ा। तुम अब नए विद्यालय जाने लगे हो।
तुमने अपने नए विद्यालय के बारे में लिखा कि अभी तुम वहां पर सहज नहीं हो पाए हो और विद्यालय में एकदम अलग-थलग बैठे रहते हो। तुम्हारी अभी किसी से दोस्ती नहीं हुई है।
मित्र निरंजन, परिवर्तन संसार का नियम है। हमें जीवन में अनेक बार अनेक तरह के परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है। इसलिए हमें सदैव किसी भी परिवर्तन के लिए तैयार रहना चाहिए। हाँ, मैं मानता हूं कि पुराना विद्यालय और उनके साथियों की याद तुम्हारे मन में बसी हुई है और नए विद्यालय के नए परिवेश में तुम अभी ढल नही पाए हो, लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ सही हो जाएगा।
तुम नियमित रूप से विद्यालय जाओ, और नए-नए सहपाठियों के साथ दोस्ती बनाने की कोशिशें आरंभ करो। तुम अपने सभी सहपाठियों में यह देखो कि कौन सा ऐसा सहपाठी है जिसके विचार तुम्हारे विचारों से मिलते हैं, जो तुम्हारे जैसा ही सोचता है। उससे अधिक दोस्ती बढ़ाओ।
तुम अपने सभी सहपाठियों से साथ मित्र जैसा व्यवहार रखो। और दो तीन सहपाठियों को अपना खास मित्र बनाओ जो तुम्हारे जैसे हों। हम लोगों की मित्रता भी तो इसी प्रकार हुई थी। जैसे-जैसे तुम्हारी दोस्ती बढ़ती जाएगी, तुम भी विद्यालय के वातावरण के ढलते जाओगे। आशा है तुम मेरे सुझाव पर गौर करोगे। मैं तुमसे मिलने जल्दी आऊंगा।
तुम्हारा मित्र,
गौरव