अनौपचारिक पत्र
पैर में चोट लगने पर मित्र को पत्र
शर्मा निवास,
सेक्टर-2, नियर शिव मंदिर,
न्यू शिमला।
प्रिय मित्र पारस,
कैसे हो ?
आशा करता हूँ, तुम ठीक होगे। माफ़ी चाहता हूँ कि बहुत दिनों के बाद पत्र लिख रहा हूँ । मैं ट्रेनिंग के लिए दिल्ली गया था । मुझे बाद में पता चला कि तुम सीढ़ियों से गिर गए हो, और तुम्हारे पैर में फैक्चर आ गया था, इसी कारण तुम वार्षिक परीक्षा में नहीं दे पाए थे।
पारस, मैं मानता हूँ, तुम्हें इस बात का दुःख है पर तुम्हें ज्यादा दुःख नहीं बनाना है। तुमने कोई जान-बूझ के तो नहीं किया न इसलिए तुम्हें ज्यादा चिन्ता नहीं करनी है।
देखना, अगली परीक्षा में प्रथम स्थान पर आओगे। जो होता है, वह अच्छे के लिए होता है । तुम्हें ज्यादा दुखी नहीं होना है अपने मन को खुश रखो और आगे के बारे में सोचो।
आशा करता हूँ, तुम मेरी बातों को समझोगे और इन पर अमल करोगे। मैं जल्दी मिलने आऊंगा।
तुम्हारा मित्र,
आयुष ।
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